3 Aug 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
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प्रेगनेंसी के दौरान हर पल महिला को अपने शिशु को देखने का इंतजार होता है। डिलीवरी के बाद जैसे ही यह पल आता है, तो एक माँ के लिए यह समय जादुई होता है। चाहे पहला शिशु हो या तीसरा, ये एहसास हमेशा जादुई रहता है और दिन-ब-दिन बढ़ता जाता है।
भले ही इस वक्त महिला को कई सारे तनाव से होकर गुजरना पड़ता है, लेकिन शिशु को देखते ही महिला जो बॉन्ड और प्यार का अनुभव करती है, वो अद्वितिय है। इसी वजह से आज हम माँ की ब्रेस्टफीडिंग से बढ़ने वाली बॉन्डिंग के बारे में इस लेख में बात करेंगे।
शिशु के साथ बॉन्डिंग बढ़ाने के बेस्ट तरीकों में से एक स्तनपान है। स्तनपान से नवजात शिशु को पहले कुछ महीनों में जरूरी पोषण मिलता है। इस दौरान जब आप अपने बच्चे को दिखाते हुए त्वचा-से-त्वचा के संपर्क में आती हैं, तो शिशु आश्वस्त रहता है कि चाहे जो हो, आप हमेशा उसकी देखभाल के लिए उसके साथ हैं।
दुर्भाग्य से, स्तनपान हमेशा आसान नहीं होता। इसी वजह से कई महिलाएं सोचती हैं कि फॉर्मूला मिल्क शुरू कर दें। मगर यकीन मानिए कि ब्रेस्टफीडिंग से बच्चे के साथ जो जुड़ाव, लगाव और भावनात्मक एहसास बनता है, उसका कोई मुकाबला नहीं है। इसलिए, शांत रहें, नई पोजीशन ट्राई करें और हार न मानें। इसके परिणाम आपकी कोशिश को सार्थक बनाएंगे।
चलिए, अब ब्रेस्टफीडिंग के जादुई फायदे की गहराई में उतरकर जानते हैं कि कैसे यह माँ और शिशु के बीच अटूट भावनात्मक संबंध स्थापित करता है।
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित 10 साल लंबे अध्ययन के अनुसार, जो महिलाएं अपने बच्चों को लंबे समय तक स्तनपान कराती हैं, उनमें अधिक मातृ संवेदनशीलता होती है।
रिसर्च में बताया गया है कि स्तनपान के दौरान अनुभव की जाने वाली निकटता और करीबी बातचीत मां और बच्चे के बीच बंधन को मजबूत करने के कई तरीकों में से एक हो सकती है।
हां, इस बात के प्रमाण हैं कि स्तनपान बच्चों के भावनात्मक विकास व बॉन्डिंग को प्रभावित करता है। स्तनपान करने वाले बच्चे में उतावलापन, जोश और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए रोना, पैर पटकना, आदि ज्यादा देखा गया है।
इसके अलावा, ब्रेस्ट मिल्क में निहित ऑक्सीटोसिन शिशु को मिलता है। माँ के दूध को चूसने, माँ के स्पर्श और माँ से मिलने वाली गर्मी से शिशु में सकारात्मक प्रवृत्ति (दृष्टिकोण) बढ़ती है और नकारात्मक प्रवृत्ति (Withdrawal and Anxiety) कम होती है।
जो माँ स्तनपान कराती हैं, उनका शारीरिक और व्यक्तिपरक (subjective) तनाव काफी कम होता है, सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और मातृ संवेदनशीलता व देखभाल में सुधार भी होता है। इसके अलावा, ऑक्सीटोसिन प्रणाली व्यवहारिक और भावनात्मक प्रभावों को समझाने में मदद करता है।
स्तनपान से शिशु के साथ भावनात्मक संबंध को मनोवैज्ञानिक बातें प्रोत्साहित करती हैं। उदाहरण के तौर पर शिशु को आरामदायक एहसास देना, उसके करीब रहना, उसे पुचकारना, पोषण देना, आदि।
इसके अलावा, स्तनपान के दौरान विभिन्न हार्मोन निकलते हैं, जो माँ और बच्चे के रिश्ते को बेहतर कर एक मजबूत बंधन का निर्माण करते हैं। आगे ब्रेस्टफीडिंग वीक (Breastfeeding week) के अवसर में विस्तार से जानते हैं कि स्तनपान कैसे भावनात्मक बंधन को बढ़ावा देता है –
त्वचा से त्वचा संपर्क – भावनात्मक संबंध व निकटता बढ़ाने में स्तनपान के दौरान होने वाला त्वचा का संपर्क महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह स्पर्श व संपर्क माँ और शिशु दोनों में ही ऑक्सीटोसिन के स्तर को बढ़ाता है, जिसके बदले में सकारात्मक हार्मोनल इंटरैक्शन को बढ़ावा मिलता है।
ऑक्सीटोसिन को “लव हार्मोन” के रूप में जाना जाता है और यह एक ऐसा हार्मोन है, जिसके कई लाभ हैं। सबसे पहले तो यह आपको अपने बच्चे की जरूरतों और उसके व्यवहारों को समझने में कुशल बनाता है। साथ ही ऑक्सीटोसिन एंटी-स्ट्रेस प्रभाव भी दिखाता है।
नींद को बढ़ावा – स्तनपान से भावनात्मक बॉन्ड बच्चे तक पहुंचने वाले शांत करने वाले हार्मोन के कारण भी बढ़ता है। इससे शिशु को आरामदायक एहसास मिलता है और नींद आ जाती है। यह बच्चे का माँ पर भरोसा बढ़ाता है।
आरामदायक नर्सिंग – अच्छी पोजीशन में बैठकर बच्चे को स्तनपान करने से शिशु को रोने से होने वाली दिक्कत, भूख से मचने वाली चिड़चिड़ाहट इन सबसे राहत मिलती है। इसलिए बच्चे आरामदायक स्थिति में दूध पीते हुए अच्छा महसूस करते हैं और धीरे-धीरे माँ के साथ इमोशनल बॉन्डिग स्थापित करते हैं।
माँ की सुगंध और आवाज – स्तनपान के दौरान माँ से आने वाले सेंट को बच्चा पहचानने लगता है। साथ ही आवाज को भी पहचानना शुरू कर देता है। उसके माँ के गोद में मिलने वाले एहसास, सेंट और आवाज सबकुछ अच्छा लगने लगता है। इसी के कारण स्तनपान के चलते शिशु, माँ के साथ गहरा इमोशनल बॉन्ड बना लेता है।
बच्चे के साथ भावनात्मक जुड़ाव को बढ़ाने के लिए आपको स्तनपान कराने की कला को सीखना होगा। इसके लिए बस तीन बातों को गांठ बांध लें। हरदम जागरूक रहें, धैर्य से काम लें और बच्चे को आरामदायक स्थिति में ही स्तनपान कराएं। इससे आप ब्रेस्टफीडिंग की कला में महारत हासिल कर लेंगे। हैप्पी ब्रेस्टफीडिंग वीक (Breastfeeding week)!
चित्र स्रोत – freepik
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