26 Aug 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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अक्सर शिशु ऐसी-ऐसी हरकतें करतें हैं, जो नॉर्मल है या नहीं समझ में नहीं आता है। ऐसी ही एक हरकत है शिशु का थूक निकालना। वैसे तो शिशु ब्रेस्ट मिल्क या फॉर्मूला मिल्क पीने के बाद थोड़ा दूध निकाल देता है। पर सच तो यह है कि दूध पीकर उल्टी करना और बार-बार शिशु का थूक निकालना, इन दोनों बातों में बहुत अंतर होता है।
शायद आप सोच रहे होंगे कि असल में थूक होता क्या है। तो इसको इस तरह से समझिए, जब आप मुँह में लॉलीपॉप देते हैं तो जो लार मुँह से निकलता है या सोकर उठने के बाद जो सैलाइवा तकिया पर गिरा हुआ होता है, यह थूक ही है और इसको सलाइवा कहते हैं।
आप तो जानते ही हैं कि सलाइवा लिक्विड होता है, जो मुँह में 24 घंटे, हर दिन बनता है। इसमें अधिक मात्रा में पानी और कुछ मात्रा में दूसरे केमिकल्स होते हैं। थूक या सलाइवा खाने को डाइजेस्ट करने में भी मदद करता है
वैसे तो स्वस्थ बच्चों में थूकना बहुत आम बात होता है। दूध पिलाने के बाद तीन महिनों के दौरान आधा दूध उनके अन्नप्रणाली से बाहर आने जैसा महसूस होता है, इस कंडिशन को गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स या इंफैंट एसिड रिफल्क्स कहते हैं। जब शिशु को पेट भरकर दूध पिलाया जाता है, तब वह इसोफेगस और पेट के बीच के मांसपेशी में आ जाता है। जब तक वह मसल मैच्योर नहीं हो जाता दूध बैकफ्लो होकर वापस मुँह में आ जाता है यानि तब तक यह थूकने की समस्या होती रहती है।
इसके अलावा शिशु के थूक निकालना के पीछे और भी कारण हैं-
शिशु का थूक निकालना और उल्टी दोनों के बीच बहुत बड़ा अंतर होता है। उल्टी के समय मुँह से पेट की सामग्री जबरदस्ती बाहर निकल जाता है। शिशु में डकार के रूप में मुँह से आसानी से दूध थूक की तरह बाहर निकल जाता है। उल्टी करने से मांसपेशियों में बहुत संकुचन होता है और शिशु बीमार भी महसूस करता है, लेकिन थूक में थोड़ी मात्रा में दूध अनायास ही निकल जाता है। शिशु के थूक निकल जाने पर उसके मुँह को गंदे कपड़े से कभी न पोंछें, इसके जगह पर बैम्बू वाटर वाइप्स का इस्तेमाल करें। इससे किसी भी प्रकार का संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहता है।
शिशु के थूकने को लेकर कुछ संकेत और लक्षण समस्या का संकेत बन सकता है-
शिशू का थूक निकालना सामान्य समस्या होने के बावजूद अगर कुछ विशेष लक्षण या संकेत नजर आते हैं तो उपचार भी समस्या के आधार पर ही डॉक्टर करेंगे। इसके अलावा छोटी-छोटी सावधानियों को बरतने पर इस समस्या को कुछ हद तक नियंत्रण में लाया जा सकता है।
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