3 Jun 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
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प्रेग्नेंसी में थायराइड के लिए योगासन फायदेमंद हो सकते हैं। हो भी क्यों न, आखिर योगासन संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर रखने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका जो है। कौन-से योगासन गर्भावस्था में थायराइड के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं, इसपर हम आगे चर्चा करेंगे।
योगाभ्यास हाइपर (अधिक हार्मोन बनने की स्थिति) और हाइपोथायरायडिज्म (कम हार्मोन बनने की स्थिति) दोनों के लिए प्रभावी हो सकता है। योगासन रक्त का संचार बेहतर करके हार्मोन के स्राव में सुधार करता है।
एक अध्ययन में पाया गया है कि नियमित योगाभ्यास से सीरम थायराइड स्टिम्युलेशन हॉर्मोन (TSH) में सुधार हो सकता है। अधिक थायराइड बनने की स्थिति यानी हाइपोथायरायडिज्म में योगासन थायरोक्सिन हॉर्मोन की जरूरत को कम कर सकता है। इससे थायराइड ग्रंथि की कार्यप्रणाली बेहतर हो सकती है।
योग के अभ्यास से आयोडाइड को ट्रैप करने और हार्मोन के उत्पादन के सप्लीमेंट के लिए थायराइड ग्लैंड की अवशोषण शक्ति बढ़ाने में मदद मिलती है। एक अन्य अध्ययन में कहा गया है कि हाइपोथायराइड विकार में योग थायराइड के इलाज के साथ सपोर्टिव व कॉम्पिलमेंटरी थेरेपी के रूप में कार्य कर सकता है।
गर्भावस्था में कौन-से योग थायराइड के लिए (Yoga For Thyroid) बेहतर हो सकते हैं, यह हम इस लेख में आगे बता रहे हैं। योगासन को थायराइड का घरेलू उपचार (Home remedies for thyroid) भी माना जाता है।
बस गर्भावस्था में इन आसन को करने से पहले एक बार अपने योग प्रशिक्षक से सलाह जरूर लें। हर किसी की गर्भावस्था अलग होती है, इसलिए आपकी अवस्था को देखते हुए योग गुरु आपको कौन-सा योग किस तरह से करना चाहिए, इससे संबंधित सटीक राय दे सकते हैं।
प्रेग्नेंसी में थायराइड के लिए विपरीत करनी योगासन कर सकते हैं। इस योगासन को करने के बाद थायराइड ग्रंथि द्वारा बनाए जाने वाले मुख्य हार्मोन, T3, T4 और TSH में बदलाव देखा गया। यही नहीं, 15 दिनों तक योगासन करने से वजन में वृद्धि, थकान, बालों का झड़ना, कब्ज, वजन घटना, कंपकंपी, आलस्य और अनुचित हार्मोन स्तर में सुधार पाया गया।
इस योगासन को करने के लिए किसी दीवार के आसपास योग मैट लगाकर उसमें लेटने के बाद दीवार का सहारा लेते हुए पैरों को ऊपर उठाना है। इस दौरान आपकी पीठ योग मैट पर सीधी रहेगी और कुल्हों से नीचे का हिस्सा दीवार के सहारे से आसमान की ओर होगा। हाथों को शरीर के बगल में आरामदायक मुद्रा में रखें।
थायराइड के लिए उज्जायी प्राणायाम को भी अच्छा माना जाता है। उज्जायी प्राणायाम का असर गले के उस भाग पर पड़ता है, जहां थायराइड ग्रंथि होती है। इस प्राणायाम को करने से ग्रंथि पर रिलैक्सिंग और स्टिमुलेटिंग प्रभाव डालता है। साथ ही यह वॉर्मिंग इफेक्ट पैदा करता है, जो थायराइड असंतुलन के कारण लगातार लगने वाली ठंड से आराम दिलाता है।
इसमें गले को टाइट करके पूरे शरीर में सांस भरें। सांस भरते समय आवाज आनी चाहिए और छाती फुलनी चाहिए। फिर दाहिने अंगुठे से बाईं नासिका को बंद करके दाईं नासिका से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इसी क्रिया को फिर दूसरी नासिका से दोहराएं।
वज्रासन और सुप्त वज्रासन भी थायराइड के लिए अच्छा हो सकता है। इसके अलावा, स्वस्तिकासन और मेडिटेशन भी थायराइड को नियंत्रित करने में सहायक है। हाइपर और हाइपोथायरायडिज्म में ये योगासन रक्त प्रवाह को उत्तेजित करने की वजह से फायदेमंद माने जाते हैं।
साथ ही आप ऐसे आसन भी कर सकती हैं, जो गले के क्षेत्र को संकुचित करने और फैलाने का काम कर सकता है। इससे संबंधित कोशिकाएं सही तरीके से काम कर सकती हैं।
योगासन करने के बाद आखिर में हमेशा शवासन करें। इस आसान के दौरान बस मैट में शव की भांति लेट जाना है। यह पूरे शरीर को आराम देता है, जिससे योगासन का अधिक लाभ मिलता। योगाभ्यास में मेडिटेशन के जरिए डीप रिलैक्सेशन और योगासान दोनों शामिल हैं। इससे सभी तरह की दिक्कतों को नियंत्रित करने और उनसे बचाव में मदद मिलती है।
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