19 Apr 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
तैलीय से लेकर सामान्य व रूखी त्वचा के लिए भी मॉइश्चराइजर का उपयोग करना जरूरी होता है। प्राकृतिक मॉइश्चराइजर त्वचा को मुलायम बनाने और उसके निखार को बनाए रखने में मददगार होते हैं, लेकिन क्या सामान्य दिनों की ही तरह प्रेग्नेंसी के दौरान मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना सुरक्षित हो सकता है? अगर हां, तो गर्भावस्था में मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करने के क्या फायदे हो सकते हैं और मॉइश्चराइजर का उपयोग करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसी से जुड़ी जानकारी इस लेख में दी गई है।
हां, प्रेग्नेंसी के दौरान मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इस दौरान प्राकृतिक मॉइश्चराइजर का ही इस्तेमाल करना सुरक्षित माना गया है। अगर गर्भावस्था में सैलिसिलिक एसिड, पैराबेन या रेटोनॉइड जैसे किसी केमिकल युक्त उत्पाद का उपयोग किया जाए, तो यह माँ व शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। यह गर्भस्थ शिशु में विकास के साथ मोटर स्किल डिसऑर्डर (Motor Skill Disorder) का कारण बन सकता है।
ऐसे में अगर गर्भवती महिला प्रेग्नेंसी के दौरान मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल (Moisturizer Cream During Pregnancy in Hindi) का इस्तेमाल करना चाहती हैं, तो उसमे मिली सामग्रियों व उनकी मात्रा की जांच जरूर करें। प्राकृतिक मॉइश्चराइजर का चुनाव करने के बाद ही उसका इस्तेमाल करें। गर्भावस्था में मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करने के कई लाभ भी होते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है।
गर्भावस्था में मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करने के कई लाभ हैं। ध्यान रखें गर्भवती महिला पर मॉइश्चराइजर के लाभ उनकी त्वचा के प्रकार, मॉइश्चराइजर की गुणवत्ता और उसके लगाने के तरीके व फ्रीक्वेंसी के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। साथ ही, अगर किसी महिला को त्वचा संबंधी एलर्जी या कोई अन्य समस्या है, तो प्रेग्नेंसी के दौरान मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
मॉइश्चराइजर का उपयोग करने से गर्भावस्था के दौरान रूखी त्वचा की समस्या को दूर किया जा सकता है। मॉइश्चराइजर में प्राकृतिक तौर पर त्वचा को नमी प्रदान करने का गुण होता है। इसी वजह से अगर गर्भावस्था के दौरान रूखी त्वचा की समस्या होती है, तो उसे दूर करने में प्राकृतिक मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना लाभकारी हो सकता है।
त्वचा विशेषज्ञों के अनुसार, अगर त्वचा बहुत अधिक तैलीय है, तो स्किन क्रीम की जगह पर लोशन या मॉइश्चराइजर का उपयोग किया जा सकता है। दरअसल, स्किन क्रीम में कुछ हद तक ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे त्वचा अधिक तैलीय हो सकती है। वहीं, मॉइश्चराइजर अपने आप में ही त्वचा को नमी देने का गुण रखता है। ऐसे में ऑयली स्किन होने पर मॉइश्चराइजर के इस्तेमाल से मुंहासों से बचाव किया जा सकता है।
प्राकृतिक मॉइश्चराइजर का उपयोग करने से चेहरे के दाग-धब्बों को दूर किया जा सकता है और त्वचा के नेचुरल ग्लो को भी बरकरार रखा जा सकता है। दरअसल, मॉइश्चराइजर प्राकृतिक तौर पर स्किन टोनर की तरह प्रभाव कर सकता है, जिससे त्वचा की स्वस्थ कोशिकाओं के विकास में मदद मिल सकती है।
प्राकृतिक मॉइश्चराइजर के फायदे त्वचा की कोशिकाओं के विकास में मदद कर सकती हैं, जिससे त्वचा की बाहरी परत के साथ ही अंदरूनी परत की भी देखभाल में मदद मिल सकती है और त्वचा पर बढ़ती उम्र के प्रभाव को धीमा किया जा सकता है।
सनबर्न से बचाव करने के लिए न सिर्फ सनक्रीन जरूरी होता है, बल्कि मॉइश्चराइजर का उपयोग भी उतना ही प्रभावकारी माना जा सकता है। इसके लिए ऐसे मॉइश्चराइजर का चुनाव करना चाहिए, जिसमें प्राकृतिक तौर पर एसपीएफ (SPF) मौजूद हो।
गर्भावस्था में हो रहे हार्मोनल बदलाव त्वचा को भी प्रभावित कर सकते हैं। वहीं, इस दौरान अधिक थकान महसूस करने से भी त्वचा बेजान, थकी हुई हो सकती है और झुर्रियों की समस्या भी बढ़ सकती हैं। ऐसे में प्राकृतिक मॉइश्चराइजर का उपयोग करने से त्वचा की नमी बनी रह सकती है, जो झुर्रियों की समस्या कम कर सकती है।
प्रेग्नेंसी में मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करने से पहले उसमें मिली सामग्रियों की जांच करनी आवश्यक है। नीचे हम कुछ सामग्रियों के बारे में बता रहें, जो प्रेग्नेंसी के लिए मॉइश्चराइजर में होने चाहिए, जैसेः
तो ये थे प्रेग्नेंसी के दौरान मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करने से संबंधी आवश्यक जानकारी। इसी तरह गर्भावस्था के जुड़ी अन्य जानकरी हिंदी में पढ़ने के लिए पढ़ते रहे बेबीचक्रा। साथ ही, अगर गर्भावस्था में त्वचा की देखभाल से जुड़ी कोई चिंता है, तो आप कमेंट के जरिए भी बता सकते हैं।
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.