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गर्भवती महिलाओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य क्यों आवश्यक है?

गर्भवती महिलाओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य क्यों आवश्यक है?

12 Apr 2022 | 1 min Read

Vinita Pangeni

Author | 549 Articles

गर्भावस्था महिला के मन में मिश्रित भावनाएं लेकर आती है। इस दौर में खुशी और एक्साइटमेंट के साथ ही दुख होना, मन का चिंतित रहना भी सामान्य है। अगर महिला की पहली गर्भावस्था हो या प्रेग्नेंसी प्लान न हो, तो चिंता और बढ़ जाती है। इसलिए महिलाओं को सामान्य स्वास्थ्य की ही तरह प्रेग्नेंसी में मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना चाहिए। 

मानसिक स्वास्थ्य (mental health) पर गौर न किया जाए, तो धीरे-धीरे गर्भवती मानसिक विकार का शिकार हो जाती है। जैसे कि स्ट्रेस और डिप्रेशन, जिसका गर्भवती और गर्भस्थ शिशु दोनों पर नकारात्मक असर पड़ने लगता है। इसी वजह से गर्भवती महिलाओं को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना चाहिए।

प्रेग्नेंसी में मानसिक स्वास्थ्य आपको और शिशु को कैसे प्रभावित करता है? 

गर्भावस्था में मानसिक रूप से महिला स्वस्थ न रहे, तो खुद पर और शिशु पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। ये प्रभाव अजन्मे शिशु से लेकर शिशु के बड़े होने तक नजर आ सकते हैं। 

  • प्रेग्नेंसी में तनाव लेने से गर्भ में रहने वाले अजन्मे शिशु भी तनाव संबंधित हार्मोन के संपर्क में आ जाते हैं। इससे उनके मस्तिष्क में बहुत सक्रिय अमिगडाला (amygdala) होने की आशंका रहती है। मतलब शिशु में भी चिंता का स्तर अधिक हो जाता है।
  • अन्य अध्ययन में पाया गया है कि अवसादग्रस्त मां के शिशु के मस्तिष्क के वे क्षेत्र प्रभावित होते हैं, जहां से भावनाएं नियंत्रित होती हैं। 
  • एक शोध से पता चलता है कि गर्भावस्था में उदास रहने वाली महिला के शिशु का वजन जन्म के समय कम हो सकता है। इसके अतिरिक्त, चिंता और अवसाद से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं में धूम्रपान और शराब जैसे पदार्थों का सेवन करने की अधिक आशंका होती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य ठीक न होने पर महिला सही से खाना नहीं खाती और न ही ठीक से सो पाती हैं। ऐसे में शिशु का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। साथ ही गर्भवती महिलाएं चिड़चिड़ी रहती हैं, जिससे महिला का खुद का स्वास्थ्य भी गिरता जाता है। इससे शिशु का शारीरिक विकास भी प्रभावित होता है। 
  • गर्भावस्था में गंभीर तनाव का शिकार रही महिलाओं के बच्चों में बड़े होने के बाद पर्सनालिटी डिसऑर्डर की आशंका तकरीबन 10 गुना बढ़ सकती है।
  • गंभीर तनाव से गर्भवती को भी पर्सनालिटी डिसऑर्डर की शिकायत हो सकती है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए जुझती महिला
गर्भवती महिला / स्रोत – अनस्प्लैश

प्रेग्नेंसी में मानसिक समस्या को कैसे पहचानें 

कुछ प्रेग्नेंसी के लक्षण मेंटल इलनेस (Mental Illness in Pregnancy) जैसे ही होते हैं, इसलिए इनका पता लगना मुश्किल होता है। जैसे कि नींद कम आना और एनर्जी कम लगना। इसके साथ ही अगर बार-बार मन में प्रेग्नेंसी और बच्चे को लेकर नकारात्मक ख्याल आ रहे हैं और बहुत ज्यादा चिंता हो रही हैं, तो एक बार डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। ये मेंटल इलनेस यानी मानसिक अस्वस्थता के संकेत होते हैं।

प्रेग्नेंसी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के तरीके 

गर्भास्था में मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कुछ उपाय कारगर साबित हो सकते हैं। क्या हैं प्रेग्नेंसी में मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के तरीके, आगे जानिए।

  • परिवार और दोस्तों से बात करें
  • पार्टनर को अपने दिल का हाल बताएं
  • काउंसलर या थेरेपिस्ट से संपर्क करें
  • योग, मेडिटेशन और व्यायाम करें
  • प्रेग्नेंसी में स्वस्थ आहार का सेवन करें
  • भरपूर आराम करें और पूरी नींद लें
  • लोगों से सामाजिक संपर्क बनाए रखें 

प्रेग्नेंसी में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होना आम है, इसलिए हमेशा याद रखें कि जैसा आप महसूस कर रही हैं, वैसा कई महिलाएं करती हैं। चिंता, निराशा, डर, परेशान होना, ये सब महिलाओं को होता है और यह सामान्य है। इनसे जूझने और उभरने के लिए आप अपने दोस्तों और डॉक्टर की मदद लें। 

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