9 May 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना कर रही महिलाओं के लिए बेबी प्लान करना थोड़ा मुश्किल होता है। उन्हें डर रहता है कि कहीं उनकी बीमारी गर्भ में या प्रसव के बाद बच्चे को अपनी चपेट न ले ले। कुछ बीमारियों के चलते तो गर्भपात का खतरा रहता है। इसलिए आज हम ल्यूपस होने पर महिलाएं गर्भधारण कर सकती हैं या नहीं और गर्भपात का जोखिम कितना रहता है बताएंगे।
लूपस व ल्यूपस एक तरह की ऑटोइम्यून बीमारी है। इसका मतलब है कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से स्वस्थ कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करती है। यह रोग जोड़ों, त्वचा, किडनी, हृदय, फेफड़े, रक्त वाहिकाओं और मस्तिष्क सहित शरीर के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है।
यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है। लूपस के 10 में से 9 मामले 15 से 44.3 वर्ष की महिलाओं में देखे जाते हैं। इस बीमारी के दौरान चेहरे पर लंबे समय तक रहने वाली सूजन और जलन होती है।
ल्यूपस बीमारी को नियंत्रित करके महिलाएं सुरक्षित रूप से गर्भधारण कर सकती हैं। साथ ही स्वस्थ बच्चे को भी जन्म देती हैं। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि लुपस से जूझ रही महिलाओं में “हाई रिस्क प्रेग्नेंसी” का जोखिम काफी होता है।
मतलब ल्यूपस डिजीज वाली महिलाओं की प्रेग्नेंसी में समस्याएं होने का खतरा अधिक रहता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि सभी गर्भावस्था में निश्चित रूप से परेशानियां होंगी ही होंगी। हां, अगर ल्यूपस नियंत्रण में नहीं है या बेबी प्लान करने के बाद ल्यूपस अनियंत्रित हो जाए, तो रिस्क बहुत ज्यादा है।
यही नहीं, ल्यूपस वाली महिलाओं के कुछ समूहों के लिए गर्भावस्था बहुत जोखिम भरी होती है। इनमें उच्च रक्तचाप, फेफड़ों की बीमारी, हार्ट फेलियर, किडनी फेलियर, गुर्दे की बीमारी या प्रीक्लेम्पसिया के इतिहास वाली महिलाएं शामिल हैं। इसमें वे महिलाएं भी शामिल हो सकती हैं, जिन्हें पिछले छह महीनों में स्ट्रोक या ल्यूपस फ्लेयर (lupus flare) यानी लुपस के लक्षण का गंभीर होना।
हां, ल्यूपस होने पर गर्भपात का खतरा रहता है। इससे बचने के लिए गर्भधारण करने से छह महीने पहले ही ल्यूपस का नियंत्रण में होना जरूरी है। इसलिए बेबी प्लान करने की सोचने से पहले सभी जरूरी ट्रीटमेंट करवाने के कुछ समय रुककर ही बेबी कंसीव करना चाहिए। गर्भपात के अलावा स्टिल बर्थ यानी मृत शिशु का जन्म होने का खतरा रहता है। बच्चे को कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान फ्लेयर्स हो सकते हैं यानी ल्यूपस के लक्षण गंभीर हो सकते हैं। फ्लेयर्स सबसे अधिक पहली या दूसरी तिमाही में होते हैं। ज्यादातर फ्लेयर्स हल्के होते हैं। लेकिन कुछ फ्लेयर्स को तुरंत दवा की आवश्यकता होती है या जल्दी डिलीवरी करनी पड़ सकती है।
ल्यूपस वाली करीब 2 से 10 प्रतिशत तक गर्भवती महिलाओं को प्रीक्लेम्पसिया हो जाता है। यह खतरा उनमें अधिक होता है, जिन्हें लुपस के साथ ही किडनी रोग भी हो।
प्रीक्लेम्पसिया होने पर अचानक वजन बढ़ना, हाथों और चेहरे पर सूजन, धुंधली दृष्टि, चक्कर आना या पेट में दर्द हो सकता है। यही नहीं, आपको अपने बच्चे को जल्दी जन्म देना पड़ सकता है।
हां, ल्यूपस नियंत्रित हो, तो माँ स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है। कुछ मामलों में शिशुओं का जन्म नियोनेटल ल्यूपस (neonatal lupus) नामक स्थिति के साथ होता है। जन्म के समय, नियोनेटल ल्यूपस के कारण नवजात को त्वचा पर लाल चकत्ते, लिवर की समस्याएं या लो ब्लड सेल लेवल हो सकता है।
नियोनेटल ल्यूपस ग्रस्त शिशुओं में एक गंभीर हृदय दोष विकसित हो सकता है, जिसे जन्मजात हार्ट ब्लॉक कहा जाता है। यह स्थिति अधिकांश शिशुओं में तीन से छह महीने बाद ठीक हो जाती है।
हां, ल्यूपस ग्रस्त महिलाएं स्तनपान करा सकती हैं। हालांकि, अगर आप ल्यूपस को नियंत्रित करने के लिए कुछ दवाएं ले रही हैं, तो ये स्तन के दूध से आपके शिशु तक पहुंच सकती हैं। इसलिए, डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
ल्यूपस जैसी स्थिति के साथ गर्भधारण करने के लिए काफी विचार विमर्श और योजनाओं की जरूरत पड़ती है। आप प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले ही डॉक्टर से संपर्क करें और उनकी सलाह लें। इससे कम जोखिम के साथ ल्यूपस के साथ गर्भधारण करने और स्वस्थ शिशु को जन्म देने में मदद मिलेगी।
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.