2 Aug 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
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गर्भावस्था के अंतिम पड़ाव में आते-आते घर के लोगों के मन में सवाल आता है कि कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन। इस सवाल का जवाब हम इस लेख में लेकर आए हैं। हम यहां नॉर्मल डिलीवरी के संकेत बताएंगे और इन दोनों डिलीवरी के बीच का अंतर भी। चलिए तो शुरू करते है लेख को और जानते हैं नार्मल डिलीवरी के लक्षण और सिजेरियन डिलीवरी के लक्षण।
नार्मल डिलीवरी को वजाइनल डिलीवरी भी कहा जाता है। नार्मल डिलीवरी में बच्चे का जन्म वजाइना / योनि से होता है। नार्मल डिलीवरी में किसी तरह की सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ती है। योनि मार्ग से बच्चे का जन्म होने के चलते महिला जल्दी प्रसव से रिकवर हो जाती है।
सिजेरियन डिलीवरी एक बड़ी सर्जरी है। इसमें पेट पर चीरा लगाकर बच्चे को गर्भाशय से बाहर निकाला जाता है। कुछ जटिल मामलों में ही सी-सेक्शन करने की सलाह डॉक्टर देते हैं।
लेख को आगे पढ़ते हुए जानें कि कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन।
वैसे तो नॉर्मल डिलीवरी पूरी तरह महिला के स्वास्थ्य, आखिरी समय में बच्चे का नीचे आना और प्रेगनेंसी के महीनों पर निर्भर करता है। फिर भी आप नार्मल डिलीवरी के लक्षण से समझ सकते हैं कि नॉर्मल डिलीवरी होगी या नहीं। नॉर्मल तरीके से 9 महीने में डिलीवरी होने के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं –
आगे बढ़ते हुए समझें कि प्रेगनेंसी के लक्षणों से कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन।
प्रेगनेंसी के आखिरी महीने, हफ्ते व दिनों में नार्मल डिलीवरी के लक्षण (9 महीने में डिलीवरी होने के लक्षण) कुछ इस तरह के दिख सकते हैं।
डॉक्टर गर्भवती महिला की स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर सिजेरियन डिलीवरी करने का फैसला लेते हैं। महिला के स्वास्थ्य के साथ ही गर्भस्थ शिशु की पोजीशन भी बहुत मायने रखती है। बच्चे की पोजीशन का डिलीवरी का तरीका प्लान करने में बहुत बड़ा योगदान है। अगर बच्चे की पोजीशन सामान्य नहीं है, तो सिजेरियन डिलीवरी करने की सलाह दी जाती है, ताकि जच्चा-बच्चा को बचाया जा सके।
‘कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन,’ इस विषय पर और चर्चा करते हैं।
सामान्य स्थिति – Normal Position in Hindi
कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन सोच रहे हैं, तो इसका एक जवाब बच्चे की पोजीशन है। अगर बच्चा सामान्य पोजीशन में गर्भाशय में है, तो डिलीवरी नॉर्मल ही होगी। इस पोजीशन में शिशु का सिर यूट्रस की ओर होता है। बस इसके लिए ऑस का खुलना (गर्भाशय का मुँह खुलना) आवश्यक है, तभी नॉर्मल डिलीवरी संभव हो पाएगी।
ट्रांसवर्स पोजीशन – Transverse Position in Hindi
ट्रांसवर्स पोजीशन का मतलब होता है कि बच्चा गर्भ में आड़ा है। इस स्थिति में नॉर्मल डिलीवरी नहीं हो पाती, इसलिए डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी करवाने की सलाह देते हैं। इसलिए मन में सवाल हो कि कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन, तो आप इस पोजीशन से पता लगा सकते हैं कि डिलीवरी सर्जरी से ही होगी।
ब्रीच पोजीशन – Breech Position in Hindi
गर्भाशय में शिशु की मूवमेंट के चलते कई बार उसका सिर ऊपर की ओर और पैर नीचे की ओर आ जाता है। यह सामान्य स्थिति के एकदम विपरित पोजीशन है, इसलिए इस ब्रीच पोजीशन में नॉर्मल डिलीवरी नहीं की जाती है।
स्वस्थ गर्भावस्था के लिए नॉर्मल डिलीवरी को ही सबसे सुरक्षित तरीका माना जाता है। रिसर्च भी बताते हैं कि सी-सेक्शन से तत्काल और दीर्घकालिक दोनों ही तरह की जटिलताओं का जोखिम बना रहता है। हां, कुछ जटिल मामलों में सी-सेक्शन ही एकमात्र प्रसव का तरीका होता है।
रिसर्च के अनुसार, साल दर साल सी-सेक्शन का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है, वो भी बिना किसी स्पष्ट प्रमाण के। जैसे कि महिला का किस रोग या शिशु संबंधी जटिलता के कारण सी-सेक्शन किया गया है। ये सब स्पष्ट नहीं होता।
डिलीवरी के बाद कुछ हफ्तों तक सेक्स के बारे में नहीं सोचना चाहिए। आगे समझिए डिलीवरी के बाद सेक्स लाइफ में क्या बदलाव आ सकता है व असर पड़ता है।
लेख को यहां तक पढ़ने के बाद आप समझ ही गए होंगे कि कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन। सबसे जरूरी है महिला का गर्भावस्था के समय सुरक्षित रहना, जिससे नॉर्मल डिलीवरी की संभावना काफी हद तक बढ़ाई जा सकती है। साथ ही डॉक्टर से समय-समय पर चेकअप करवाते रहें, ताकि पता चल सके कि प्रसव नॉर्मल होगा या सिजेरियन तरीके से।
गर्भावस्था के आखिरी सप्ताह में महिला के पेट में ऐंठन तेज होने लगती है, निचले कमर में दर्द होता है, शरीर की मांसपेशियां रिलैक्स होने लगती हैं और वाटर ब्रेक हो सकता है।
प्रेगनेंसी के नौवें महीने में डिलीवरी डॉक्टर द्वारा दी गई ड्यू डेट के आसपास होती है। अंदाजन कहें, तो प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में डिलीवरी उस महीने के आखिरी सप्ताह में हो सकती है।
डिलीवरी डेट निकल जाए, तो आप अपने डॉक्टर से बात करें। वो आपको प्रसव पीड़ा शुरू करने वाली दवाई लेने की सलाह दे सकते हैं।
नार्मल डिलीवरी टिप्स में पर्याप्त पानी पीना, शारीरिक गतिविधियां करते रहना, चेकअप करवाना, डॉक्टर से खुलकर बात करना, आदि शामिल है। बस अब सवाल आए कि नॉर्मल डिलीवरी में क्या करें (normal delivery ke liye kya kare) तो इन बातों को याद रखें।
चित्र स्रोत – Pexels
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