2 Mar 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
प्राचीन काल से ही महिलाओं को पुरुषों की तुलना में श्रेष्ठ दर्जा दिया जा रहा है। महिलाओं को घर की देवी, लक्ष्मी, सौभाग्य ऐसे ही कई उपनामों से सम्मानित किया गया है। फिर भी अगर महिलाओं के लिए स्वतंत्रता की बात करें, तो ये सारे उपनाम सिर्फ किताबों या बातों तक ही सीमित नजर आते हैं।
हालांकि, महिलाओं के अधिकार को भी पुरुषों के समान ही दर्जा दिया गया है और इसी बात को जग जाहिर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस भी मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस या इंटरनेशनल वुमन डे दुनिया भर में महिलाओं के लिए स्वतंत्रता, महिलाओं के अधिकार, महिला सशक्तिकरण के साथ उनके सामाजिक विकास व सम्मान से जुड़ी बातों को जाहिर करने के लिए मनाया जाता है।
हमारे घर की आंगन से लेकर, खुले मैदान में आसमान के नीचे महिलाओं की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है, इसी की याद में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च के दिन मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के सम्मान, उनके समर्पण व महिला सशक्तिकरण के लिए समर्पित किया गया है।
इंटरनेशनल वुमन डे की खासियत है कि हर साल इसे मनाने के लिए नए-नए स्पेशल थीम को रखा जाता है, ताकि महिलाओं के लिए स्वतंत्रता की सीढ़ी किसी हद तक सीमित न रह सके।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पहली बार कब मनाया गया, इसके पीछे की कहानी साल 1908 में शुरू हुई थी। उस साल अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में करीब 15 हजार महिलाओं ने मार्च के जरिए महिलाओं के अधिकार के लिए आवाज उठाई थी।
उन्होंने नौकरी में कम घंटों की मांग के साथ ही, पुरुषों के बराबर सैलेरी और खुद के मतदान का अधिकार मांगा था।
इसके बाद अमेरिका में पहली बार 28 फरवरी, 1909 के दिन महिला दिवस मनाया गया है, जिसके बाद 1910 में इस दिन को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का दर्जा दे दिया गया। इसके बाद साल 1917 में रूस में महिलाओं के द्वारा हुए रोटी और कपड़े के लिए ऐतिहासिक हड़ताल के बाद इसे 8 मार्च के दिन मनाने का फैसला लिया गया।
महिलाओं के लिए स्वतंत्रता कई मायनों में खास है। इन्हीं बातों को हमेशा लोग याद रखें, इसे ही याद दिलाने में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक सम्मान की तरह माना जा सकता है।
इतना ही नहीं, महिलाओं के लिए स्वतंत्रता कई मायनों में खास है, जैसेः
एक लड़की शादी के पहले पिता और शादी के बाद पति की जिम्मेदारी बनकर न रह जाए, इसी लिए महिलाओं के लिए स्वतंत्रता को खास माना गया है। अगर महिलाओं के लिए स्वतंत्रता दी जाती है, तो वे खुद से अपने करियर का फैसला कर सकती हैं और सामाजिक तौर के साथ ही आर्थिक रूप से भी स्वत्रंंत रह कर जी सकती हैं।
बात करें महिलाओं के साथ घरेलू शोषण की, तो इसकी स्थिति कई क्षेत्रों में दयनीय हो सकती है। ऐसे में महिलाओं के अधिकार उन्हें शोषण के खिलाफ आवाज उठाने और उसका सामना करने का हौसला देती है। एक स्वतंत्र महिला बिना किसी डर या दबाव के खुद की रक्षा करने में सक्षम बन सकती है।
महिलाओं के लिए स्वतंत्रता न सिर्फ उनके खुद के हक के लिए होता है, बल्कि वे दूसरों को उनका हक दिलाने के लिए भी अहम माना गया है। अगर किसी महिला को अपने अधिकार व स्वतंत्रता की जानकारी है, तो वह खुद से जुड़े सभी लोगों को भी उनके हक, सम्मान व स्वंत्रता के लिए जागरूक कर सकती है।
स्वतंत्रता मिलने से महिलाओं की आत्मनिर्भरता में भी बढ़ोतरी देखी जा सकती है। अब वे खुद से इस पर सोच-विचार कर सकती हैं कि उनके लिए या उनके अन्य करीबियों के लिए क्या सही है और क्या गलत हो सकता है। उन्हें अपना मत सुनाने या उसे सामने लाने में किसी तरह का दबाव महसूस करने की जरूरत नहीं होगी।
भारत की विविधता ही इसकी सबसे बड़ी खासियत है। पर देखा जाए, तो आज भी यहां पर लड़कियों को गोरी और सांवली रंग को लेकर काफी कुछ सुनना पड़ता है। खासकर लड़कियों की शादी के समय और बाद में रंगभेद का यह मुद्दा काफी बड़ा भी बन जाता है। ऐसे में अगर एक महिला अपने हक की स्वतंत्रता से वाकिफ होगी, तो वह रंगभेद या शारीरिक बनावट जैसे मुद्दों के खिलाफ भी खड़ी हो सकती है और खुद के रंग व शारीरिक बनावट के प्रति आत्मसंतुष्टि को भी बनाए रख सकती है।
अगर कोई महिला अर्थिक व सामाजिक रूप से अपने परिवार पर निर्भर रहती है, तो हो सकता है कि उसके जीवन के सभी छोटे-मोटे फैसले उसके घर के सदस्यों के द्वारा ही लिया जाता हो। वहीं, अगर महिला स्वतंत्र व आत्मनिर्भर है, तो वह स्वयं से ही अपने सारे फैसले ले सकती है और उनपर बिना किसी की राय लिए अमल भी कर सकती है।
इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि महिलाओं के अधिकार व महिलाओं के लिए स्वतंत्रता के महत्व को समझाने में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का अहम योगदान है। इंटरनेशनल वुमन डे या नेशनल वुमन डे इन इंडिया में इसी बात को जताने के लिए मनाया जाता है कि महिलाएं भी किसी से कम नहीं है। अगर वह चाहे तो हर असंभव को संभव कर सकती हैं और बेटी, बहन, पत्नी व माँ के रूप के साथ ही सशक्तिकरण का पदभार भी संभाल सकती हैं।
महिलाओं के लिए स्वतंत्रता उन्हें प्रजनन अधिकारों की स्वतंत्रता भी प्रदान करती है। यानी महिला को कब गर्भधारण करना चाहिए या कब नहीं, इसका फैसला वह खुद से कर सकती है। इसके लिए उनके पति या परिवार के सदस्यों के फैसले के प्रति निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होगी।
हर साल अंतराराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन एक थीम के साथ होता है, जो हर साल अलग-अलग होता है। इसी तरह साल 2022 के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम “एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता जरूरी (Gender Equality Today For A Sustainable Tomorrow)” पर रखी गई है।
इसके पीछे की वजह से वैश्विक स्तर पर लैंगिक रिश्तों के प्रति समानता। बीते कुछ सालों की बात करें, तो अब लैंगिक रिश्तों के प्रति लोगों के विचार खुलकर सामने आने लगे हैं, ताकि लैंगिक रिश्तों को लेकर LGBTQ समुदाय को उनका हक और सम्मान मिल सके।
यहां पर LGBTQ समुदाय से तात्पर्य “L- लेस्बियन, G- गे, B- बाइसेक्सुअल, T- ट्रांसजेंडर और Q- क्वीयर (ऐसे लोग जिन्हें स्वंय की सेक्सुअल स्थिति पर संदेह हो)” है।
बीते जमाने से अभी तक महिलाओं के अधिकार व महिलाओं के लिए स्वतंत्रता के लिए कई अहम व जरूरी बदलाव हुए हैं, जो आने वाले दिनों व सालों में भी जारी रहेंगे। पर इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि महिलाओं को हर कदम पर स्वयं की आजादी, स्वतंत्रता व अधिकार के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन हमें उम्मीद है कि नारी अपने हौंसले से हर मुश्किल का सामना कर सकती है और हर बुलंदी को छू सकती है।
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