17 May 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
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गर्भावस्था में हुई थोड़ी-सी भी लापरवाही महिलाओं को बीमारी की चपेट में ले आती है। ऐसा ही बीमारी सेप्सिस भी है। यह खतरनाक रोग कैसे और क्यों होता है, यह जानकर प्रेगनेंसी में सेप्सिस से बचा जा सकता है। इसी वजह से इस लेख में हम गर्भावस्था में सेप्सिस के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में बता रहे हैं।
सेप्सिस, संक्रमण के प्रति शरीर का अति सक्रिय होना और अत्यधिक प्रतिक्रिया देना है। इसे एक तरह की जानलेवा मेडिकल इमरजेंसी मानी जाती है। अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया जाए, तो अंगों का कार्य करना बंद करना, टिश्यू डैमेज होना और मृत्यु भी हो सकती है। गर्भावस्था को सेप्सिस का जोखिम कारक माना जाता है।
मैटरनल सेप्सिस यानी गर्भावस्था में सेप्सिस होना ज्यादा आम नहीं है, लेकिन इसके कारण 11 प्रतिशत मौत होती हैं। माँ की मृत्यु का यह तीसरा सबसे आम प्रत्यक्ष कारण है। साथ ही सेप्सिस माँ की मृत्यु के अन्य सामान्य कारणों का प्रमुख कारक बनता है, जैसे रक्तस्राव और थ्रोम्बेम्बोलिज्म।
गर्भावस्था के दौरान सेप्सिस के विभिन्न स्टेज से महिला गुजर सकती है। इसलिए सेप्सिस के चरण की जानकारी होना जरूरी है। आइए आगे जानते हैं।
सेप्सिस
संक्रमण से लड़ने के लिए जब-जब प्रतिरक्षा प्रणाली ब्लड वेसल्स में केमिकल छोड़ती है, तो शरीर में सूजन होने लगती है। इसी की गंभीर स्थिति आगे चलकर सेप्सिस की दूसरी स्टेज सेप्टिक शॉक में बदल जाती है।
सेप्टिक शॉक (Septic Shock)
सेप्टिक शॉक में शरीर के संक्रमण के कारण प्रभावित व्यक्ति को गंभीर लो ब्लड प्रेशर की स्थिति से गुजरना पड़ता है।
सीवियर सेप्सिस (Severe Sepsis)
सीवियर सेप्सिस शरीर के अंग ठीक तरीके से कार्य नहीं करते। साथ ही लिवर और किडनी जैसे ऑर्गन फेल हो सकते हैं।
गर्भावस्था में सेप्सिस के लक्षण कुछ इस तरह से नजर आ सकते हैं।
प्रेगनेंसी में सेप्सिस होने पर तुरंत इसका इलाज करना जरूरी है। डॉक्टर इस दौरान रक्त प्रवाह में सुधार करने के लिए कैथेटर के जरिए तरल देना। साथ ही डोपामाइन हार्मोन दवाई से ऑर्गन में रक्त प्रवाह को बेहतर किया जाता है।
इंफेक्शन को रोकने के लिए एंटीबायोटिक दे सकते हैं। गंभीरता के कारण ऑक्सीजन की कमी हो जाने पर वेंटिलेशन पर भी रखा जा सकता है।
गंभीर मामले में अगर रेस्पिरेटरी फेलियर हो जाए, तो आर्टिफिशियल लंग्स से रक्त वाहिकाओं तक ब्लड पहुंचाया जाता है। इस प्रक्रिया को एक्सट्रॉस्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजिनेशन कहा जाता है।
सेप्सिस होने से पहले इससे बचाव के तरीकों को अपनाया जा सकता है। चलिए, जानते हैं गर्भावस्था में सेप्सिस का बचाव कैसे कर सकते हैं।
कम्यूनिटी एक्सपर्ट स्तनपान और पोषण, पूजा मराठे बताती हैं कि गर्भावस्था में महिला को अस्पताल में भर्ती करने के विभिन्न कारणों में से एक प्रमुख कारण जानलेवा और अंगों को विफल करने वाला सेप्सिस है।
यह मातृ रुग्णता (माँ को होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं) और माँ की मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। जैसे गर्भावस्था के दौरान होने वाले सेप्सिस को मैटरनल सेप्सिस कहते हैं और वैसे ही अगर यह समस्या डिलीवरी के छह हफ्ते बाद हो, तो उसे पोस्टपार्टम सेप्सिस या प्यूपरल सेप्सिस कहा जाता है।
सेप्सिस को कभी-कभी रक्त विषाक्तता भी कहा जाता है, जो कि गलत है। गर्भावस्था के दौरान सेप्सिस कुछ संभावित जटिलताओं का कारक बन सकता है, जैसे कि शिशु का समय से पहले जन्म, भ्रूण संक्रमण, हाइपोक्सिया और एसिडोसिस, उच्च भ्रूण मृत्यु दर और सिजेरियन करने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
सेप्सिस एक गंभीर और आपातकाल स्थिति है। ऐसे में लेख में बताए गए कोई भी लक्षण नजर आएं, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। किसी भी तरह के इंफेक्शन को नजरअंदाज न करें। इसका इलाज समय रहते करना आवश्यक है।
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