7 Apr 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
घर में पालतू जनवर रखने के हजार बहाने आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन अगर आप गर्भवती हैं और आपके पास पालतू जानवर हैं, तो यह सोचने का विषय हो सकता है। गर्भावस्था में पालतू जानवर रखना चाहिए या नहीं, यह सवाल विवादस्पद बना हुआ है। ऐसे में अगर गर्भावस्था में पालतू जानवर रखना रखना चाहती हैं या गर्भवती होने से पहले ही आपके पास पालतू जानवर है, तो आपको क्या करना चाहिए, इसकी जानकारी इस लेख में पढ़ सकती हैं।
गर्भावस्था में पालतू जानवर रखना सुरक्षित है या नहीं, यह एक विवादस्पद स्थिति है। वजह यह है कि पालतू जानवर होने से गर्भवती महिला को कई तरह के संक्रमण व रोग होने का जोखिम हो सकता है। दरअसल, पालतू जानवरों की देखभाल व उनकी साफ-सफाई के प्रति बेहद सजह रहना चाहिए। वहीं, समय के अभाव के चलते ऐसा अक्सर नहीं हो पाता है।
यही कारण है कि अधिकांश समय स्वास्थ्य विशेषज्ञ गर्भवती महिलाओं के साथ ही, नवजात शिशुओं को भी पालतू जानवरों से उचित दूरी बनाए रखने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा, गर्भावस्था में पालतू जानवर या पेट्स होने के फायदे या पालतू जानवर के नुकसान क्या हैं, इसे विस्तार से जानने के लिए नीचे पढ़ें।
पालतू जानवरों के बालों, लार व पॉटी से घर व आस-पास रहने वाले लोगों को कई तरह के संक्रमण हो सकते हैं। इसी कारण गर्भावस्था में पालतू जानवर रखना कुछ मामलों में हानिकारक भी हो सकता है। नीचे पढ़ें गर्भावस्था में पालतू जानवर रखने के नुकसान क्या हो सकते हैं।
गर्भावस्था में पालतू जानवर रखना जुनोटिक रोग का जोखिम बढ़ा सकता है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो जानवरों के जरिए इंसानों को हो सकती है। खासकर गर्भवती महिलाएं व नवजात शिशु इस बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
रेबीज संक्रमण भी जानवरों के जरिए भी अन्य लोगों तक फैल सकता है। खासकर कुत्तों के जरिए रेबीज होने का जोखिम अधिक हो सकता है। दरअसल, कुत्ते जैसे जानवरों में रेबीज वायरस होता है, जो एक जानवर से दूसरे जानवर और मनुष्यों में भी फैल सकता है।
रेबीज का संक्रमण होने पर शुरू में हल्का बुखार होना, ठंड लगना और कमजोरी जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं, जो समय के साथ गंभीर हो सकते हैं। अगर इसके उपचार में देरी की जाए, तो यह मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में यह माना जा सकता है कि गर्भावस्था के दौरान कुत्ते के साथ रहना जोखिम भरा हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान बिल्ली पालना सलमोनेलोसिज जीवाणु संक्रमण का जोखिम उत्पन्न कर सकता है। यह संक्रमण बिल्लियों में पाए जाने वाले साल्मोनेला कीटाणु के कारण हो सकता है। ऐसे में अगर गर्भावस्था के दौरान बिल्ली पालना चाहती हैं, तो अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
आमतौर पर जंगली चूहों के लिए लिम्फोसाइटिक कोरियोनिन्जाइटिस नामक बीमारी फैलने का डर हो सकता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान कुत्ते के साथ रहना या गर्भावस्था के दौरान बिल्ली पालना भी इस बीमारी का कारण बन सकते हैं।
लिम्फोसाइटिक कोरियोमेनिन्जाइटिस होने पर सामान्य तौर पर फ्लू जैसे लक्षण हो सकते हैं, जो गंभीर होने पर पैरालिसिस (Paralysis) व मेनिन्जाइटिस (Meningitis) जैसे न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का जोखिम भी बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, यह वायरस गर्भपात का कारण भी बन सकता है।
अधिकतर लोग घर में कुत्ता पालना पसंद करते हैं। अध्ययनों में भी यह बताया गया है कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए कुत्ता पालना अधिक लाभकारी हो सकता है। हालांकि, गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं से पालतू कुत्तों को दूर रखना चाहिए। अगर घर में पहले से ही पालतू कुत्ता है, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी हो सकता है, जैसेः
अगर गर्भावस्था के दौरान बिल्ली पालना है या घर में पहले से ही पालतू बिल्ली है, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जा सकता है, जिनमें शामिल हैंः
अन्य पालतू जानवरों के मुकाबले आमतौर पर गर्भावस्था में मछली पालना अधिक सुरक्षित माना जा सकता है। हालांकि, अगर गर्भावस्था में मछली पालना है या पहले से ही घर में पालतू फिश है, तो कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसेः
गर्भावस्था में पालतू जानवर रखना है, तो कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखवना चाहिए, जैसेः
गर्भावस्था में पालतू जानवर रखना सुरक्षित बनाने के लिए इस लेख में दी गई जानकारी का ध्यान रख सकती हैं। साथ ही, अगर घर में पहले से ही कोई पालतू पशू है, तो उसकी देखभाल के साथ ही, गर्भवती महिला के स्वास्थ्य की देखरेख कैसे करें, इस बारे में अपने डॉक्टर की उचित सलाह जरूर लें।
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