20 Jul 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
गर्भपात महिला के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से दुखदाई होता है। कभी महिला को स्वत: गर्भपात हो जाता है, तो कभी कुछ मेडिकल कंडीशन के चलते गर्भपात करवाना पड़ता है। इस दौर में महिला को कैसे खुद का ख्याल रखना चाहिए और किन बातों पर ध्यान देना जरूरी है, यह सब हम इस लेख में बता रहे हैं। साथ ही गर्भपात के कितने दिन बाद पीरियड आता है और गर्भपात के बाद घरेलू उपचार से जुड़ी जानकारी भी यहां साझा की गई है।
चलिए, तो लेख में आगे बढ़ते हुए सबसे पहले गर्भपात के लक्षण पर एक नजर डालते हैं। उसके बाद अन्य बातों पर चर्चा करेंगे।
मिसकैरेज के बाद महिला में ढेरों शारीरिक और मानसिक लक्षण नजर आते हैं। इनमें से कौन-से लक्षण गर्भपात के बाद सामान्य हैं, यह समझना जरूरी है। चलिए, आगे जानते हैं गर्भपात के बाद सामान्य लक्षण, जिनका अनुभव महिला को हो सकता है।
गर्भपात से पूरी तरह ठीक होने में कितना समय लगता है, इसका जवाब बहुत सी बातों पर निर्भर करता है। जैसे कि महिला का गर्भपात किस महीने में हुआ, गर्भपात कैसे हुआ (मेडिकल, सर्जिकल या प्राकृतिक), गर्भधारण करने में कितनी दिक्कतें आईं थीं, गर्भपात के कारण, आदि। माना जाता है कि महिला की गर्भवस्था जितनी लंबी होती है, गर्भपात के दर्द से पूरी तरह बाहर निकलने में उतना ही ज्यादा वक्त लगता है।
सामान्य तौर पर बात करें, तो शरीर को गर्भपात से उबरने में दो हफ्ते का समय लग सकता है। अगर गर्भावस्था काफी लंबी थी, तो यह वक्त एक महीने तक खींच सकता है। मानसिक व भावनात्मक रूप से गर्भपात से उबरने में एक से दो महीने का समय लग सकता है।
गर्भपात के बाद महिला को भावनात्मक रूप से अजीब-सा महसूस होता है। कभी उन्हें दुख व शोक का एहसास होता है। कभी चिंता और तनाव होने लगता है, तो कभी वो गर्भपात के लिए खुद को जिम्मेदार समझने लगती है। इस अपराधबोध के भाव के चलते दिमाग में बहुत-सी बातों का घूमना, रोना और उदासी का महिला सामना कर सकती है।
इन भावनाओं के चलते गर्भपात के बाद डिप्रेशन, आत्मसम्मान की कमी, बुरे सपने आना, रात को चौंकना व डर कर उठ जाना, खाना अधिक खाने लगना व कम खाने लगना, आदि दिक्कतें भी होती हैं।
गर्भपात के बाद ब्लीडिंग एक-दो दिन से लेकर दो हफ्ते तक हो सकती है। अगर गर्भपात पहले या दूसरे महीने में हुआ हो, तो योनि से रक्तस्राव कम होता है। इसके बाद अगर गर्भपात हो तो 9 से 14 दिनों तक रक्तस्राव हो सकता है। अगर सर्जरी के माध्यम से एबॉर्शन कराया गया है, तो बाद में हल्का रक्तस्राव ही होता है।
दवाओं का सेवन करके एबॉर्शन कराया गया है, तो 5-10 दिन तक रक्तस्राव होता है। कुछ मामलों में गर्भपात के बाद महिलाओं को 45 दिनों तक योनि से रक्तस्राव हो सकता है। रिसर्च पेपर बताते हैं कि ऐसा कुछ दुर्लभ मामलों में ही होता है।
गर्भपात के बाद गर्भाशय की सफाई करवाना बहुत जरूरी है। इससे अंदर बच्चे की कोशिकाओं और रक्त को पूरी तरह से साफ हो जाता है। अगर यह सफाई न कराई जाए, तो इंफेक्शन और अन्य बीमारियां होने का खतरा रहता है। गर्भपात के बाद गर्भाशय की सफाई करवाने की प्रक्रिया को डाइलेशन एंड क्यूरेटेज (D & C – Dilation and Curettage) कहा जाता है।
गर्भाशय की सफाई करने के लिए गर्भाशय ग्रीवा (cervix) में एक चम्मच की तरह दिखने वाला औजार डाला जाता है। इस औजार की मदद से डॉक्टर गर्भपात के बाद गर्भाशय ग्रीव में मौजूद बच्चे से संबंधित कोशिकाओं को बाहर निकालते हैं। साथ ही गर्भाशय ग्रीवा में इंफेक्शन की जांच भी करते हैं। आग जानते हैं कि गर्भपात के कितने दिन बाद पीरियड आता है।
गर्भपात के कितने दिन बाद पीरियड आता है, इसका जवाब हर महिला के लिए अलग हो सकता है। मेडलाइन प्लस के अनुसार, मेडिकल अबॉर्शन (दवाओं से किए गए गर्भपात) के बाद 4 से 8 हफ्ते के बीच में पीरियड्स आ सकते हैं। अगर मिसकैरेज (खुद से होने वाला गर्भपात) हुआ है, तो भी पीरियड्स आने में करीब 8 हफ्ते तक का समय लग सकता है।
सर्जरी से अबॉर्शन करवाया है, तो 6 हफ्ते में पीरियड्स आ सकते हैं। मतलब गर्भपात के बाद कम-से-कम चार हफ्ते और अधिक-से-अधिक आठ हफ्ते में पीरियड्स हो सकते हैं।
तो रिसर्च पेपर के आधार पर बताएं कि गर्भपात के कितने दिन बाद पीरियड आता है, तो इस सवाल का जवाब चार से आठ हफ्ते है। अगर 8 हफ्ते के बाद भी पीरियड्स न आएं, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। अब आगे हम बताएंगे कि गर्भपात के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए।
एबॉर्शन व मिसकैरेज के बाद महिला व उनके पार्टनर के मन में ख्याल आ सकता है कि गर्भपात के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए। जैसे ही महिला पार्टनर अपने आप को पूरी तरह से सेक्स लाइफ शुरू करने के लिए तैयार समझे, तब से गर्भपात के बाद संबंध बनाए जा सकते हैं।
कम-से-कम एक हफ्ते तक गर्भपात के बाद शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। दरअसल, इस दौरान महिला की योनि से रक्तस्राव होता है, इसलिए संबंध बनाने से बचना ही समझदारी है।
भले ही गर्भपात के एक हफ्ते बाद संबंध बनाए जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए दोनों पार्टनर का सहज महसूस करना जरूरी है। अगर महिला पार्टनर का मन न हो, तो कुछ और समय तक रुकें। साथ ही संबंध बनाते समय हमेशा कॉन्ट्रासेप्टिव यानी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करें, इससे आगे गर्भधारण करने और यौन संचारित बीमारियों से बचने में मदद मिलती है।
ध्यान रखें कि गर्भपात के तुरंत बाद गर्भधारण नहीं करना चाहिए। महिला के शरीर को रिकवर होने के लिए समय की आवश्यकता होती है। ऐसा न करने पर होने वाली गर्भावस्था में भी जटिलताएं हो सकती हैं।
भले ही गर्भपात के बाद शारीरिक संबंध एक हफ्ते बाद से ही बनाए जा सकते हैं, लेकिन आप गर्भधारण करने में बिल्कुल भी जल्दबाजी न करें। इससे शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है और शरीर की कमजोरी के कारण दोबारा गर्भपात का खतरा हो सकता है।
वैज्ञानिकों द्वारा हुए अध्ययन में कहा गया है कि अगर कम समय वाली गर्भावस्था समाप्त हुई है, तो गर्भपात के दो से तीन महीने में गर्भधारण कर सकते हैं। अगर लंबी प्रेगनेंसी में गर्भपात हुआ है, तो गर्भधारण करने के लिए एक साल का इंतजार जरूर करना चाहिए।
गर्भपात के बाद कमजोरी बहुत होती है। महिला के योनि से होने वाला रक्तस्राव और शरीर में अंदरुनी रूप से चल रहे बदलाव के चलते यह कमजोरी होती है। इस कमजोरी को दूर करने के लिए पंजरी का सेवन महिलाएं कर सकती हैं। पंजीरी से कमजोरी व थकान दोनों कम होती है।
इसके अलावा, महिला को पूरी नींद लेनी चाहिए और भरपूर पानी व संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए। इस समय भारी काम करने से पूरी तरह बचें। संभव हो तो एक-दो हफ्ते तक बेड रेस्ट करें।
गर्भपात के बाद खुद की देखभाल करना सबसे ज्यादा जरूरी है। महिला गर्भपात के बाद कैसे खुद का ख्याल रख सकती है, यह हम आगे बिंदुओं के माध्यम से बता रहे हैं।
मिसकैरेज व एबॉर्शन के बाद क्या खाएं, यह सवाल बहुत अहम है। महिला अपने खानपान का ध्यान रखकर गर्भपात से होने वाली कमजोरी से उबर सकती है।
आयरन – गर्भपात के बाद महिला का बहुत खून बह जाता है, इसलिए नए ब्लड सेल्स के लिए शरीर को आयरन की जरूरत होती है। इससे एनीमिया यानी खून की कमी से बचाव हो सकता है। आयरन के लिए महिला मटर, बीन्स, ओटमील, किशमिश, खुबानी, पालक आदि का सेवन करें।
विटामिन सी – आयरन को अवशोषित करने के लिए विटामिन-सी की आवश्यकता होती है, इसलिए संतरे, कीवी, टमाटर, ब्रोकली, ग्रेपफ्रूट, आदि का सेवन करें।
मैग्नीशियम – गर्भपात के बाद शरीर में मैग्नीशियम की सही मात्रा हो, तो मानसिक स्वास्थ्य सही रहता है। साथ ही महिला अवसाद से बच सकती है। इसके लिए केला, बादाम, काजू, साबुत अनाज, दूध, आदि को डाइट में शामिल करें। इसके साथ ही डार्क चॉकलेट का सेवन भी कर सकते हैं। ये सब गर्भपात के बाद घरेलू उपचार की तरह काम करते हैं।
गर्भपात होते ही महिला को जांच करवानी चाहिए। सबसे पहले गर्भपात के बाद गर्भाशय की सफाई के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। उसके बाद अगर इंफेक्शन होने के लक्षण दिखने लगे तो, जैसे कि बुखार होना और योनि से बदबू आना या फिर बहुत ज्यादा कमजोरी व लगातार भारी स्राव होना, आदि।
गर्भपात के बाद सेहत से लेकर मूड को सामान्य होने में कुछ वक्त लगता है। भले ही सर्जिकल गर्भपात करवाया गया हो या स्वत: गर्भपात हुआ हो, यह समय महिला के लिए मुश्किल होता है। इस समय पुरुष पार्टनर की जिम्मेदारी होती है कि वो महिला की सेहत का ख्याल रखते हुए खानपान पर ध्यान दे और उन्हें समय-समय पर क्लिनिक चेकअप के लिए लेकर जाए। गर्भपात के कितने दिन बाद पीरियड आता है, इसे भी ट्रैक करें।
हां, गर्भपात के बाद स्तनों में दर्द व सूजन होना सामान्य है। यह गर्भपात के लक्षण में शामिल है।
गर्भपात के बाद पेट व कमर में दर्द होने पर गर्म पानी सेंक ले सकती हैं। साथ ही डॉक्टर की सलाह पर कुछ दवाओं का सेवन किया जा सकता है। गर्भपात के बाद घरेलू उपचार कहलाने वाला गर्म अजवाइन पानी भी पी सकती हैं।
हां, अगर स्वस्थ खानपान और खराब जीवनशैली रही, तो महिलाओं को गर्भपात के बाद मोटापा हो सकता है। वहीं, सही देखभाल और पौष्टिक आहार न मिलने से महिलाएं गर्भपात के बाद कमजोर भी हो सकती हैं।
चित्र स्रोत – Pexels
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