डबल मार्कर टेस्ट क्या है ?

डबल मार्कर टेस्ट क्या है ?

10 Aug 2022 | 1 min Read

Vinita Pangeni

Author | 549 Articles

गर्भावस्था का सफर बड़ा ही खास होता है। इसकी पहली तिमाही तक पहुंचते-पहुंचते महिला गर्भस्थ शिशु के बाल, फेस कट, मुस्कान, आदि के बारे में सोचना शुरू कर देती है। भले ही यह सारी बातें शिशु के जन्म तक रहस्य ही बना रहता है, लेकिन गर्भस्थ शिशु की ग्रोथ और उसे किन बीमारियों का जोखिम हो सकता है, इनकी जानकारी कुछ टेस्ट से मिल सकती है। ऐसा ही एक परिक्षण है डबल मार्कर टेस्ट। आज बेबीचक्रा आपको डबल मार्कर टेस्ट से जुड़ी सारी बातों की जानकारी देगा।

चलिए, सबसे पहले जानते हैं कि डबल मार्कर टेस्ट क्या होता है (Double marker test kya hota hai) और क्यों किया जाता है।

डबल मार्कर टेस्ट क्या है? | What is Double Marker Test during Pregnancy in Hindi?

गर्भावस्था की पहली तिमाही में किए जाने वाले रक्त परीक्षण को डबल मार्कर टेस्ट (Double marker test in Hindi) कहा जाता है। यह टेस्ट मैटरनल सीरम स्क्रीनिंग (Maternal serum screening) और फर्स्ट ट्राइमेस्टर स्क्रीनिंग भी कहलाता है। इसमें कुछ क्रोमोसोमल असामान्यताओं (Chromosomal abnormalities) के मार्करों का विश्लेषण किया जाता है। मतलब डबल मार्कर टेस्ट में क्रोमोसोम संबंधी बीमारियों का पता लगाया जाता है। 

डबल मार्कर टेस्ट क्यों किया जाता है? | Why Double Marker Test is necessary in Hindi?

शिशु में क्रोमोसोम दोष का जोखिम पता लगाने के लिए डबल मार्कर टेस्ट (Double marker test in Hindi) किया जाता है। डबल मार्कर टेस्ट से 90% महिलाओं में डाउन सिंड्रोम के जोखिम की पहचान करने में मदद मिलती है। साथ ही 94% पटाऊ सिंड्रोम (Patau syndrome), एडवर्ड सिंड्रोम (Edward syndrome), ट्रिपलोइड (Triploidy) और टर्नर सिंड्रोम (Turner syndrome), आदि का पता लगता है। 

ध्यान दें कि डबल मार्कर टेस्ट के परिणाम केवल यह बताते हैं कि गर्भस्थ शिशु में ट्राइसॉमी का खतरा ज्यादा है या नहीं। यह निश्चित रूप से यह निर्धारित नहीं करता कि गर्भस्थ शिशु में कोई असामान्यता है या नहीं।

डबल मार्कर टेस्ट
डबल मार्कर टेस्ट प्रेगनेंसी के 10 से 14वें हफ्ते के बीच में किया जाता है

डबल मार्कर टेस्ट कौन-से महीने में किया जाता है? | In which month Double marker test is done in Hindi?

डबल मार्कर टेस्ट (double marker test in hindi) को प्रेगनेंसी के 10 से 14वें हफ्ते के बीच में किया जाता है। मतलब महिला को दूसरे महीने के बाद डबल मार्कर टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है, लेकिन यह टेस्ट गर्भावस्था की पहली तिमाही के अंदर-अंदर किया जाता है।

क्या हर महिला को डबल मार्कर टेस्ट करवाना होता है? | Does every woman have to do Double Marker test in Hindi

हर महिला को डबल मार्कर टेस्ट (double marker test in hindi) करवाना अनिवार्य है या नहीं, यह डॉक्टर बताएंगे। हां, यदि गर्भवती महिला 35 वर्ष से अधिक उम्र की है या महिला में क्रोमोसोमल असामान्यता होने का जोखिम है, तो यह टेस्ट करना जरूरी है। इसके अलावा, इन परिस्थितियों में डबल मार्कर टेस्ट किया जा सकता है। 

  • पिछली किसी भी गर्भावस्था में गुणसूत्र दोष के साथ शिशु का पैदा होना
  • परिवार में लगातार इस तरह के दोष का चला आना
  • आनुवंशिक समस्याओं का पारिवारिक इतिहास
  • इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) से गर्भधारण करना
  • टाइप-1 डायबिटीज होना

कैसे होता है डबल मार्कर टेस्ट – How is Double Marker Test Done in Hindi?

डबल मार्कर टेस्ट (double marker test in hindi) एक साधारण रक्त परीक्षण है। डॉक्टर इस परीक्षण के लिए लैब टेस्ट लिखेंगे। यह एक नॉन-फास्टिंग परीक्षण है मतलब इसके लिए भूखे पेट रहने की जरूरत नहीं पड़ती है। हां, अगर डॉक्टर ने ऐसा करने के लिए कहा है, तो आपको करना चाहिए। अन्यथा सामान्य मामलों में इस टेस्ट से पहले किसी तरह का परहेज करने के लिए नहीं कहा जाता है।

डबल मार्कर टेस्ट में गर्भवती महिला के खून में मौजूद ह्यूमन क्रियोनिक गोनडोट्रोफिन हार्मोन (hCG) को जांचा जाता है। इसके अलावा, ग्लाइकोप्रोटीन और प्रेगनेंसी एसोसिएटेड प्लाज्मा प्रोटीन की जांच की जाती है।

डबल मार्कर टेस्ट के परिणाम? – Double Marker Test Results in Hindi

डबल मार्कर टेस्ट के परिणाम समझना मुश्किल नहीं है। इसका परिणाम लो, मॉडरेट और हाई रिस्क हो सकता है। 

हाई रिस्क – अगर डबल मार्कर टेस्ट का परिणाम पॉजिटिव यानी खतरे वाला तब होता है जब फ्री बीटा एचसीजी की मात्रा सामान्य सीमा से अधिक और प्रोटीन की मात्रा सामान्य से कम होती है। इसका मतलब है कि गर्भवती महिला में डाउन सिंड्रोम का उच्च जोखिम हो सकता है।

मॉडरेट रिस्क – अगर डबल मार्कर टेस्ट का परिणाम नॉर्मल रेंज में आता है, तो डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। 

लो रिस्क – डबल मार्कर टेस्ट नेगेटिव आता है, तो इसे नॉर्मल रिजल्ट माना जाता है। इसमें प्रोटीन का स्तर अधिक और हार्मोन का स्तर कम होता है। इसका मतलब है कि आपके बच्चे में गुणसूत्र संबंधी असामान्यताएं होने की आशंका कम है।

ट्रिपल मार्कर टेस्ट का परिणाम अनुपात (ratio) में आता है। अब अनुपात के हिसाब से ट्रिपल मार्कर टेस्ट के रिजल्ट को समझते हैं।

पॉजिटिव मार्कर टेस्ट – 1:10 -1:250

नेगेटिव मार्कर टेस्ट – 1:1000

इसे आसान शब्दों में इस तरह से समझते हैं कि अगर 1:10 रिजल्ट आया है, तो 10 गर्भधारण करने के बाद महिला के एक शिशु में क्रोमोसोम संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं। अगर ट्रिपल मार्कर टेस्ट का रिजल्ट 1:1000 है, तो करीब 1000 गर्भधारण करने के बाद महिला के एक शिशु में क्रोमोसोम की दिक्कत हो सकती है।

पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों ही रिजल्ट में डाउन सिंड्रोम के खतरे की पूर्ण पुष्टि करने के लिए एमनियोसेंटेसिस टेस्ट, कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (CVS) और एम्नियोटिव फ्ल्यूड की कोशिकाओं की जांच करना आवश्यक है।

NT स्कैन और डबल मार्कर परीक्षण के बीच का अंतर क्या होता है – H2

एनटी स्कैन एक तरह का अल्ट्रासाउंट है और डबल मार्कर परीक्षण ब्लड टेस्ट है। क्रोमोसोमल असामान्यता से जुड़े सटीक परिणाम पाने के लिए एनटी स्कैन (अल्ट्रासाउंड) और डबल मार्कर टेस्ट (ब्लड टेस्ट) दोनों को एक साथ करने की सलाह दी जाती है। दोनों परीक्षणों से एकत्रित जानकारी से ही क्रोमोसोमल असामान्यताओं के निम्न, मध्यम या उच्च जोखिम का परिणाम मिलता है।

डबल मार्कर टेस्ट के बिना एनटी स्कैन क्रोमोसोमल असामान्यताओं का पता लगाने में कम प्रभावी पाया गया है। एनटी स्कैन की मदद से डॉक्टर गर्भस्थ शिशु की रियल टाइम इमेज को ध्वनि तरंगों (Sound wave) की मदद से देखते हैं। यह स्कैन भी लगभग डबल मार्कर टेस्ट के समय पर ही  किया जाता है।

डबल मार्कर टेस्ट की क्या कॉस्ट है? – Double Marker Test Cost in Hindi

डबल मार्कर टेस्ट की लागत हर शहर और अस्पताल में अलग-अलग हो सकती है। औसतन 3 हजार से लेकर 12-13 हजार तक का खर्च इस टेस्ट में आ सकता है। आप अपने इंश्योरेंस को भी देखें कि वो डबल मार्कर टेस्ट को कवर करता है या नहीं व कितना प्रतिशत तक कवर करता है।

सारांश – Conclusion

प्रेगनेंसी में डबल मार्कर टेस्ट कराना है या नहीं, इसकी सलाह डॉक्टर ही देते हैं। फिर भी आप डबल मार्कर टेस्ट से जुड़ी जानकारी लेकर इस टेस्ट के प्रति जागरूक हो सकते हैं। आप इस आर्टिकल की मदद से डॉक्टर से डबल मार्कर टेस्ट प्रेगनेंसी से संबंधित जरूरी सवाल भी कर सकती हैं। उसके बाद इस टेस्ट को करवाने या ना करवाने के आपके अंतिम फैसले को लेने में भी आपको मदद मिलेगी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल – FAQ’s

NT स्कैन और डबल मार्कर परीक्षण के बीच का अंतर

एनटी स्कैन अल्ट्रासाउंड जैसा होता है, जिसे साउंड वेव की मदद से किया जाता है और डबल मार्कर परीक्षण एकदम ब्लड टेस्ट जैसा होता है।

ट्रिपल टेस्ट का मतलब क्या होता है?

ट्रिपल टेस्ट भी गर्भावस्था में किया जाने वाला एक ब्लड टेस्ट है, जिसमें तीन चीजों की जांच होती है – अल्फा-फेटोप्रोटीन (AFP),ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (hCG) और एस्ट्रिऑल।

डबल मार्कर टेस्ट की नॉर्मल रेंज क्या है? 

डबल मार्कर टेस्ट की नॉर्मल रेंज का पता इस दौरान होने वाले हार्मोन और प्रोटीन की नॉर्मल रेंज पर निर्भर करती है। इस टेस्ट में फ्री बीटा hCG की मात्रा पहली तिमाही (10वें हफ्ते से 12वें हफ्ते के बीच) में 44,186 – 201,165 mIU/mL और गर्भावस्था से जुड़े प्लाज्मा प्रोटीन (PAPP-A) की रेंज 0.5 MoM होनी चाहिए। 

नेगेटिव डबल मार्कर टेस्ट का रेशो समझना चाह रहे हैं, तो यह 1:1000 होता है। इसका मतलब है कि गर्भस्थ शिशु को क्रोमोसोमल असमान्यताओं का जोखिम कम है। गर्भवती महिला के 1000 गर्भस्थ शिशु के बाद किसी एक शिशु में इसका खतरा हो सकता है।

क्या 14 सप्ताह के बाद डबल मार्कर टेस्ट किया जा सकता है?

हां, पहली तिमाही के अंत और दूसरी तिमाही के शुरुआत यानी 14वें सप्ताह में भी डबल मार्कर टेस्ट किया जा सकता है।

चित्र स्रोत – pexels

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