20 Sep 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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छोटे बच्चों का लार टपकना (Baby drooling) बहुत ही आम बात है। शिशु हो और उसका लार न टपके ऐसा हो ही नहीं सकता। लार वह है जो मुँह से अनायास ही निकल जाता है। शिशुओं के मामले में ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि उनके मुँह के आसपास की मांसपेशियाँ तब भी पूरी तरह से विकसित नहीं होती है। हाँ, कुछ मामलों में यानि थोड़े बड़े बच्चों का लार टपकना स्नायविक विकारों (Neurological disorders )या अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के कारण होता है।
अगर बच्चों का लार टपकना इस प्रक्रिया को सही तरह से परिभाषित करने की कोशिश करेंगे तो यह कहना सही होगा जब मुँह से अनैच्छिक रूप से अतिरिक्त लार निकल जाता है तो उसको लार टपकना कहते हैं। अगर चिकित्सकीय रूप से इसको परिभाषित करना चाहे तो इसको टायलिज्म (Ptyalism) या सियालोरिया कहा जाता है। दो साल तक के छोटे शिशुओं के लिए यह बहुत ही आम प्रक्रिया होती है। लेकिन थोड़े बड़े बच्चों या वयस्कों के लिए लार गिरने की प्रक्रिया न्युरोलॉजिकल कंडिशन्स जैसे कि सेरेब्रल पाल्सी और पार्किंसंस रोग का कारण भी हो सकता है।
विकास के चरणों के दौरान बच्चों का लार टपकना बहुत ही सामान्य प्रक्रिया होती है। यह 3 से 6 महीने की उम्र में ज्यादा देखा जाता है। यहाँ तक कि जब बच्चों को दाँत आने का समय होता है तब लार का ज्यादा गिरना नए दांत आने का संकेत होता है। इससे कोमल मसूड़ों में जो हल्का दर्द या कसमसाहट जैसा महसूस होता है, उससे थोड़ा आराम मिलता है।
शायद आपको पता नहीं कि बच्चों का लार टपकना कई महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने में मदद करता है-
बच्चों का लार टपकना को रोकने के लिए कोई घरेलू उपाय नहीं है। लेकिन कुछ ट्रिक्स इस प्रक्रिया को कम करने में मदद कर सकते है-
टीथिंग टॉय– टीथिंग टॉय की सहायता से बच्चे में लार गिरने की प्रक्रिया को कुछ हद तक मैनेज किया जा सकता है। लेकिन इसको ज्यादा समय के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह बच्चों के लिए आदत बन सकता है।
ड्रूल बिब (Drool Bib)– अत्यधिक मात्रा में शिशु का लार टपकने से टीथिंग रैश होने की समस्या हो जाती है। इससे बचने के लिए ड्रूल बिब का इस्तेमाल किया जाता हैं। ड्रूल बिब लार को सोख लेते हैं, जिससे बच्चों के कपड़े सूखे रहते हैं और लार त्वचा के सीधे संपर्क में नहीं आ पाती है।
बेबी वाइप्स– बेबी वाइप्स की मदद से बहती हुई लार को पोंछते रहना चाहिए। लेकिन प्रयोग किए हुए वाइप्स दोबारा इस्तेमाल में नहीं लाना चाहिए, ऐसा करने से टीथिंग रैश की समस्या को कुछ हद तक रोका जा सकता है। इसके सिवा एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि बेबी वाइप्स हमेशा नेचुरल चीजों से बना होना चाहिए ताकि बच्चों के संवेदनशील त्वचा को किसी प्रकार का नुकसान न पहुँचें।
नारियल तेल– अगर ज्यादा लार गिरने के कारण शिशु के मुँह में रैश की समस्या हो गई है तो उसके जलन की बेचैनी को कम करने के लिए ऑर्गेनिक कोकोनट ऑयल का इस्तेमाल करना चाहिए।
इसके अलावा बच्चों के हाथों को हमेशा जर्म फ्री रखना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार का इंफेक्शन होना का खतरा कम हो सके। इसके लिए माँ को हमेशा नेचुरल और केमिकल फ्री हैंडवाश का इस्तेमाल करना चाहिए। इसलिए अब से अपनी नन्ही-सी जान के लिए कुछ भी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने के पहले #LablePadhoMoms।
अब तक के चर्चा से आप यह समझ ही चुके होंगे कि छोटे बच्चों का लार टपकना बहुत ही आम समस्या होती है। बच्चों के लार गिरने की समस्या को बढ़ने से रोकने के लिए कुछ टिप्स को अपनाना जरूरी होता है ताकि टीथिंग रैश को होने से रोका जा सके।
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