27 Sep 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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प्रेगनेंसी में ब्रेस्ट में बदलाव तो आप पहले दिन से अनुभव कर रही होंगी। इसका कारण हॉर्मोन में बदलाव होता है। जैसे-जैसे हार्मोन का लेवल बढ़ता है, वैसे-वैसे ब्लड फ्लो और फ्लूइड रिटेंशन प्रेगनेंसी के दौरान ब्रेस्ट पेन और स्पर्श के प्रति संवेदनशील होने का कारण बनता है। यहाँ तक कि ब्रेस्ट में संवेदनशीलता प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षणों में एक हो सकता है।
स्तनों की तरह ही, स्तन दर्द कई प्रकार से आता है। यह एक या दोनों स्तनों में हो सकता है। आप इसे हर जगह, किसी विशिष्ट स्थान पर, या बाहर की ओर अपनी कांख में महसूस कर सकते हैं। यहाँ तक दर्द स्थिर भी हो सकता है या कम-ज्यादा होते भी रह सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान ब्रेस्ट पेन यानि शुरुआती दौरों में थोड़ा कम दर्द देता है। लेकिन सेक्स के दौरान और व्यायाम के समय बहुत ही संवेदनशील अवस्था में होता है।
कई महिलाओं के लिए, इन शुरुआती हफ्तों में निप्पल विशेष रूप से संवेदनशील हो जाता है। वे स्पर्श के लिए इतने कोमल हो जाते हैं कि शॉवर के बाद पोंछने या ब्रा लगाने में दर्द होता है। जैसे-जैसे पहली तिमाही आगे बढ़ती है, आप कोमलता के बजाय भारीपन महसूस होने लगता है। कुछ महिलाओं को पहली तिमाही के दौरान निप्पल और एरोला में झुनझुनी का अनुभव भी होता है।
कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान ब्रेस्ट पेन में ऐसा महसूस होता है, जैसे चाकू से एक स्तन के एक विशिष्ट क्षेत्र में छुरा घोंपा जा रहा है। ऐसा होना आम होता है।
प्रेगनेंसी के दौरान ब्रेस्ट पेन गर्भावस्था का पहला लक्षण होता है, जो गर्भाधान के एक से दो सप्ताह बाद शुरू होता है। तकनीकी रूप से कहे तो, गर्भावस्था के तीन और चार सप्ताह के दौरान दर्द महसूस होने लगता है। यह दर्द पहली तिमाही में चरम पर होता है क्योंकि शरीर में हार्मोन के कारण बहुत सारे बदलाव होते हैं। इन हार्मोनों का एक महत्वपूर्ण काम होता है, भ्रूण के विकास में मदद करना।
बच्चे की भूख को मिटाने के लिए हॉर्मोन ब्रेस्ट को ब्रेस्टफीडिंग के लिए तैयार करती है। स्तन के क्षेत्र में रक्त प्रवाह बढ़ता है और स्तन का आकार भी बढ़ने लगता है। त्वचा में खिंचाव के कारण दरार भी बढ़ने लगता है – लेकिन यह वृद्धि दर्दनाक भी हो सकती है, यहाँ तक कि त्वचा में जलन और खुजली भी हो सकती है।
यहां कुछ उपयोगी सुझाव दिए गए हैं जिनको फॉलो करके आप इनमें से कुछ परिवर्तनों करके ब्रेस्ट पेन को मैंनेज कर सकते हैं।
ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए- अच्छा सपोर्टिव ब्रा खरीद सकते हैं, इससे स्तन के बढ़ने पर उसको सपोर्ट मिल सकता है। यदि आपके स्तन का आकार बहुत बढ़ जाता है, तो आप रात में कॉटन स्पोर्ट्स ब्रा पहनकर सो सकती हैं। इसके अलावा सही सलाह के लिए आप एक्सपर्ट का सहारा भी ले सकती हैं।
संवेदनशील और कोमल स्तन: प्रेगनेंसी के दौरान हार्मोन स्तनों को स्तनपान के लिए तैयार कर रहे होते हैं। दूध नलिकाएं या मिल्क डक्ट बढ़ रही होती हैं क्योंकि वे गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में दूध से भर जाती हैं। यह सब स्तनों को अधिक संवेदनशील बना देती है, खासकर निप्पल्स को। इससे प्रेगनेंसी के दौरान ब्रेस्ट पेन महसूस हो सकता है।
कोलोस्ट्रम: कोलोस्ट्रम, या प्री-मिल्क, एक मीठा और पानी जैसा तरल पदार्थ है जिसे नवजात शिशु के लिए पचाना आसान होता है। दूसरी तिमाही के दौरान, स्तनों में कोलोस्ट्रम बनना शुरू हो जाता है। कोलोस्ट्रम पहले गाढ़ा और पीला दिखाई देता है, और जैसे-जैसे बच्चे का जन्म निकट आता है, यह पीला और लगभग रंगहीन हो जाता है।
इस दौरान ब्रेस्ट में दबाव पड़ने पर या मसाज करने पर डिस्चार्ज हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। बस एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसको वाटर वाटर वाइप्स से धीरे-धीरे साफ कर देना चाहिए। वाटर बाइप्स के जगह पर गंदा हाथ या किसी गंदे का कपड़े का इस्तेमाल करने पर इंफेक्शन होने का खतरा रहता है।
बस एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रेगनेंसी के दौरान स्व-स्तन परीक्षण करना जरूरी होता है। दुर्भाग्य से, गर्भावस्था के दौरान, स्तनों में होने वाले सभी परिवर्तनों के कारण इसे पूरा करना अधिक कठिन हो जाता है। इस दौरान स्तन आकार में बढ़े हुए होते हैं, कोमल होते हैं, और कभी-कभी ढेलेदार भी हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान हर 4-5 सप्ताह में अपने स्तनों की जांच करना प्रेगनेंट महिला के लिए जरूरी होता है।
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