27 Aug 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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आपने ख्याल किया होगा कि बच्चे जब तक किशोरावस्था तक नहीं पहुँचते, हर मौसम में, हर माह में किसी न किसी बीमारी के चपेत में आ जाते हैं। इनमें सबसे कॉमन है, पेट दर्द की बीमारी। आए दिन बच्चे पेट दर्द से बेचैन नजर आते हैं। माँ बच्चों के पेट दर्द की समस्या से लड़ने के लिए क्या करें, क्या नहीं यह समझ नहीं पाती हैं। इसके लिए बच्चों को हमेशा दवा देने की जगह पर पेट दर्द का घरेलू उपाय ट्राई कर सकती हैं।
बच्चों को पेट दर्द से तड़पता भला कौन माँ देखना चाहती हैं! इसलिए वह चाहती हैं कि कुछ ऐसा किया जाय कि जिससे मिनटों मे बच्चों को आराम मिल जाए। हमारे घर में रसोईघर ऐसी जगह है, जहाँ हर परेशानी का हल चुटकियों में मिल जाता है। तो फिर देर किस बात कि सबसे पहले बच्चों के पेट दर्द होने का कारण जान लेते हैं, उसके बाद पेट दर्द का घरेलू उपाय भी जानेंगे।
बच्चों में पेट दर्द की समस्या सबसे आम समस्या है। ज्यादा मामलों में पेट दर्द को लेकर ज्यादा स्ट्रेस लेने की जरूरत नहीं होती है, लेकिन उनमें से कुछ ऐसे भी पेट दर्द से संबंधित समस्याएं भी हैं, जिसको लेकर चिंता करने और डॉक्टर से तुरन्त संपर्क करने की जरूरत होती है, वह हैं-
एसिडिटी या गैस का दर्द या बदहजमी की समस्या सभी उम्र के बच्चों में आम है। इस समस्या का मूल कारण अनहेल्दी डायट है। मसालेदार भोजन, बीन्स, साइट्रस और कैफीन (चॉकलेट सहित) गैस का कारण बन सकते हैं।
छोटे बच्चों को लेकर कब्ज की समस्या होना शायद ही लोगों को पता हो। यदि आपका बच्चा नाभि के आसपास या पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत करता है, तो उससे पूछें कि शौच करने में उसे कोई समस्या तो नहीं हो रही है।
पिज्जा और पॉपकॉर्न से लेकर हैलोवीन कैंडी तक, किसी भी चीज का बहुत अधिक सेवन पेट दर्द का कारण बन सकता है। बच्चे अक्सर जल्दी खाते हैं और उन्हें तब तक एहसास नहीं होता जब तक कि वे इसे पूरा नहीं कर लेते। इसके अलावा, बहुत जल्दी खाने से भी पेट दर्द की समस्या हो सकती है।
लैक्टोज एक प्रकार की चीनी है जो दूध और दुग्ध उत्पादों में पाई जाती है। लैक्टोज को ठीक से पचाने के लिए, शरीर लैक्टेज नामक एंजाइम का उत्पादन करता है। जिन लोगों में यह एंजाइम नहीं होता है, उनमें लैक्टोज इंटोलरेंस नामक स्थिति होती है। जब वे दूध उत्पादों का सेवन करते हैं, तो उन्हें पेट में ऐंठन, गैस, दस्त या कब्ज जैसे लक्षण हो सकते हैं।
दूध एलर्जी दूध में एक प्रोटीन की प्रतिक्रिया है जो पेट में ऐंठन का कारण बन सकती है।
जब बच्चे तनावग्रस्त या चिंतित महसूस करते हैं, तो उन्हें पेट में दर्द होता है।
जीवाणु या वायरल संक्रमण पेट को प्रभावित कर सकते हैं और स्कूल में या सामान्य क्षेत्रों में छात्रों के बीच फैल सकते हैं। पेट दर्द अक्सर पहला लक्षण होता है, आमतौर पर उल्टी और दस्त से 24 घंटों के भीतर इसके लक्षण दिखने लगते हैं।
यदि आपका बच्चा पेट के निचले दाहिने हिस्से में गंभीर, लगातार दर्द की शिकायत करता है और यहां तक कि हल्का सा हिलना-डुलना भी दर्दनाक है, तो एपेंडिसाइटिस हो सकता है। एपेंडिसाइटिस बड़े बच्चों और किशोरों में अधिक आम है; यह 5 साल से कम उम्र के बच्चों में असामान्य है।
अगर हींग के पेस्ट को ऐसे नहीं लगाना चाहते हैं तो टमी रिलीफ रोल ऑन का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह हींग, सौंफ, अदरक, पेपरमिंट और नारियल तेल से बना हैं। इसको शिशु के नाभी के चारों को रोल ऑन लगाने से जल्दी आराम मिलता है। 2-3 घंटे के अंतराल में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं जब कि लक्षणों से पूरी तरह से आराम न मिल जाएं।
दही का सेवन कराएं: अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है तो दही प्रोबायोटिक का सेवन करा सकते हैं। इससे पेट की ऐंठन से जल्दी आराम मिल जाता जै।
पेट की कोकोनट ऑयल से मालिश करें: यह पेट दर्द का घरेलू उपाय भी दादी-नानी जमाने से काम आता है। हाथ में दो-चार बूंद ऑर्गैनिक कोकोनट ऑयल और थोड़ा पानी लेकर शिशु के पेट के बीच सर्कुलर मोशन से हल्के हाथों से मसाज करें।
आखिर में बस एक बात माता-पिता को ध्यान में रखना ही चाहिए कि बच्चे के हाथों को हमेशा कीटाणुमुक्त रखना चाहिए। बाहर से घर आने पर सबसे पहले हाथों को नेचुरल फोमिंग हैंड वाश से साफ करवाएं। इससे कीटाणु मुँह तक नहीं जाएंगे और पेट दर्द की नौबत नहीं आएगी। अगर सामयिक तौर पर पेट दर्द का घरेलू उपाय काम न आए तो तुरन्त डॉक्टर से संपर्क करें।
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