1 Aug 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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बच्चों के चाँद से मुखड़े पर एक दाग भी असहनीय हो जाता है, लेकिन जब उनके प्यारे से चेहरे पर लाल-लाल रैशेज या चकत्ते नजर आने लगते हैं तो माँ का क्या, सबका दिल बैठ जाता है। असल में दाँत निकलते समय बच्चों के लार से इंफेक्शन के कारण जो चर्म रोग होता है, उसको टीथिंग रैश (Teething rash) या ड्रूल रैश कहते हैं।
वैसे तो शिशु के मुँह से लार टपकना आम बात होती है, लेकिन जब 6 महीने के बाद लार हद से ज्यादा बहने लगे तो यह दाँत निकलने का संकेत हो सकता है। शिशु की संवेदनशील त्वचा जब लार के संपर्क में ज्यादा रहने लगती है तो ड्रूल रैश (Drool rash) या टीथिंग रैश की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
आम तौर पर बच्चों में 6 से 24 महीने के बीच मसूड़ों से दाँत निकलने की प्रक्रिया चलती रहती है। इसके कारण बच्चों के मुँह से लार बहुत ज्यादा टपकने लगती है। बच्चों के लार से इंफेक्शन होने के कारण बच्चों के स्किन पर एलर्जी के रूप में लाल-लाल दाने या रैशेज निकलने लगते हैं, जो मुँह, गले या छाती में फैल जाते हैं। सेंसिटिव स्किन पर इन रैशेज के कारण जो जलन और बेचैनी होती है, उससे बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं।
जैसा कि आप जानते ही हैं कि शिशु की स्किन बहुत सेंसिटिव होती है। लार हद से ज्यादा टपकने के कारण या दाँत निकलते समय मुँह से लार ज्यादा निकलने की वजह से रैशेज या दाने चेहरे और गर्दन पर ज्यादा नजर आने लगते हैं। वैसे ये रैशेज समय के साथ एक-दो हफ्तों में ठीक भी हो जाते हैं।
इसके अलावा पैसिफायर का इस्तेमाल करने पर या नए दाँत निकलने के कारण चीजों को चबाने की वजह से भी मुँह, गला, छाती या किसी भी जगह पर रैशेज नजर आ सकते हैं। ये दाने लाल-लाल चकत्तों के रूप में, सूखे और फटे-फटे नजर आ सकते हैं। इन रैशेज के कारण जलन और बेचैनी के कारण बच्चे चिड़चिड़े भी हो सकते हैं।
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शिशुओं का लार टपकना तो आम होता है लेकिन नए दाँत निकलने के समय चीजों को काटने या चबाने के समय और पैसिफायर का इस्तेमाल करते समय सैलिवरी ग्लैंड्स या लार ग्रंथियाँ ज्यादा एक्टिव हो जाती हैं। लार में जो डाइजेस्टिव एंजाइम होता है, वह बच्चों के लार से इंफेक्शन का कारण बन जाता है। इसके अलावा-
मुँह में ज्यादा देर तक खाना रखना- अक्सर बच्चों की आदत होती है मुँह में दूध या खाना जमा करके रखना। इसके कारण मुँह से लार बहने लगता है, जिसके कारण ड्रूल रैशेज (Drool rash) नाम का चर्म रोग हो जाता है। इससे बचने के लिए खाना को मुँह में जमा करके रखने न दें और नेचुरल बैम्बू वाटर वाइप्स से मुँह के लार को साफ करते रहें। बैम्बू वाटर वाइप्स एलोवेरा, आलमंड ऑयल, विटामिन ई से बने होते हैं और ये स्किन रैशेज से राहत दिलाने में पूरी तरह से कारगर होते हैं।
पैसिफायर चूसने के कारण- पैसिफायर चूसने के कारण मुँह में लार एक ही जगह पर जमा हो जाता है और वहाँ पर बच्चों के लार से इंफेक्शन हो जाता है। इसलिए पैसिफायर का इस्तेमाल कम से कम करें और बैम्बू वाटर वाइप्स से मुँह को पोंछते रहें। इससे त्वचा के रोग से होने वाली बेचैनी से भी राहत मिल सकती है।
नए दाँत आना- मुँह से लार टपकने का एक मूल कारण नया दाँत आना भी होता है। इसके कारण भी मुँह में बार-बार हाथ देते हैं, चीजों को चबाने और काटने की कोशिश करते हैं, जिसके कारण लार मुँह, छाती और गले में जमा होने लगता है। इसलिए टीथिंग रैश (Teething rash) से बचने के लिए इन जगहों को हमेशा साफ करते रहें।
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डॉक्टर से कब मिलें
टीथिंग समस्या नहीं है बल्कि लार टपकने के कारण बच्चों के लार से इंफेक्शन से जो टीथिंग रैश होता है, वह बच्चों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। इसलिए जब चर्म रोग त्वचा में फैलने लगे या लक्षण का प्रभाव भी बढ़ जाए तो डॉक्टर से तुरन्त संपर्क करें।
नोट: ऊपर जो भी जानकारी हमने आपसे शेयर की है, वह न ही डॉक्टर की राय है और न ही प्रतिस्थापन है। कोई भी उपाय को करने के पहले डॉक्टर से जरूर परामर्श कर लें।
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