2 Aug 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
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इसमें कोई दो-राय नहीं कि माँ का दूध शिशु के लिए अमृत होता है। मगर कई ऐसी परिस्थितियां भी हैं, जिनमें माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत नहीं, बल्कि बीमारी स्थानांतरित करने का जरिया बन जाता है। इसी वजह से हर माँ को यह समझना चाहिए कि ऐसी कौन-सी बीमारियां हैं, जिनके कारण माँ के दूध से शिशु को संक्रामक रोग हो सकता है। चलिए, लेख में आगे बढ़ते हुए यह जानते हैं।
लैक्टेशन और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट, डॉक्टर पूजा मराठे ने बताया कि माँ छोटी-मोटी बीमारियों में शिशु को स्तनपान करा सकती हैं। हां, कुछ ऐसी बीमारियां भी हैं, जिनमें थोड़ा लंबे समय तक या उसका इलाज न होने तक स्तनपान को रोकना पड़ सकता है। क्या हैं वो आगे जानते हैं –
टीबी से संक्रमित महिला अपने बच्चे को तभी स्तनपान करा सकती है, जब वह इसकी दवाई ले रही हों और वो संक्रामक न हों। अगर माँ टीबी की दवाई नहीं ले रही है, तो स्तनपान से नवजात को भी टीबी होने का खतरा रहता है। इसी वजह से अनुपचारित टीबी में सतर्क रहना जरूरी है।
देहरादून न्यू रोड में प्रेक्टिस कर रहीं एमडी, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ. लतिका जोशी बताती हैं कि सामान्य मामलों में लगभग दो हफ्ते तक एंटीबायोटिक्स लेने के बाद माँ अपने शिशु को स्तनपान करा सकती है।
यह ऐसा रोग है, जिसके वायरस की मौजूदगी माँ के दूध में होती है। लेकिन नवजात को हेपेटाइटिस बी का और हेपेटाइटिस बी इम्यून ग्लोब्युलिन (एचबीआईजी) का टीका लगाकर स्तनपान के जरिए इसके फैलने के खतरे से बचा जा सकता है।
ये दोनों इंजेक्शन शिशु को उसके पैदा होने के तुरंत बाद देने होते हैं। असल में ये टीके सभी बच्चों को देने की सिफारिश की जाती है।
डॉक्टर लतिका बताती हैं कि अगर निदान में पता चला है कि शिशु को गैलेक्टोसिमिया है, तो भी उसे स्तनपान नहीं कराना चाहिए। यह एक तरह का जेनेटिक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर गैलेक्टोज नामक शुगर के प्रोसेस को प्रभावित करता है। इसके कारण दूध पच नहीं पाता है। गैलेक्टोज सभी डेयरी प्रोडक्ट में होता है, इसलिए इस विकार से जूझ रहे शिशु को स्तनपान नहीं कराने की सलाह दी जाती है।
कैंसर से पीड़ित माँ, जो कीमोथेरेपी दवाएं ले रही हैं, वो भी अपने बच्चे को स्तनपान नहीं करा सकती हैं। कैंसर की कीमोथेरेपी दवाएं कोशिका विभाजन यानी सेल्स डिवीजन और तेजी से बढ़ने वाली कोशिकाओं में बाधा डालती हैं। यह स्तन के दूध के माध्यम से पारित होकर बच्चे के विकास को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं। लेकिन, कैंसर स्तनपान के लिए कॉन्ट्राडिक्शन नहीं माना जाता है। इसकी दवाएं बच्चे के लिए हानिकारक होती है।
डॉक्टर पूजा मराठे के अनुसार, “बीमार होने पर माँ की दूध की आपूर्ति कम हो सकती है, लेकिन ठीक होने के बाद मिल्क सप्लाई सामान्य हो जाती है। जब आप बीमार हों, तो दूध की आपूर्ति बढ़ाने के तरीकों का अभ्यास करना जारी रखें जैसे कि स्तनपान और मिल्क पंप करना, जितना हो सके उतना अच्छा खाना खाना और हाइड्रेटेड रहना चाहिए।”
“यदि आपको सर्दी या फ्लू, बुखार, दस्त और उल्टी, या मास्टिटिस है, तो सामान्य रूप से स्तनपान कराएं। आपका शिशु आपके स्तन के दूध के माध्यम से बीमार नहीं होगा। वास्तव में, इसमें बीमारी के जोखिम को कम करने वाली एंटीबॉडी होती हैं।”
अब आप समझ ही गए होंगे कि किन बीमारियों में बच्चों को स्तनपान नहीं कराना चाहिए। कुछ लोगों में गलतफहमी है कि कोरोना होने पर भी माँ का दूध शिशु को नहीं पिलाया जा सकता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने यह स्पष्ट किया है कि कोविड होने पर भी माँ बच्चे को दूध पिला सकती है। बशर्ते, मास्क पहनने और अन्य सावधानियां बरती जाए, जैसे कि दूध पिलाने के पहले हाथों को केमिकल फ्री हैंडवाश से साफ कर ले़।
इसके अलावा, दूध पिलाने के पहले अपने ब्रेस्ट को बैम्बू वाटर वाइप्स से साफ कर लें। डिलीवरी के बाद भी आपकी स्किन सेंसिटिव ही रहती हैं, इसलिए यह वाइप्स बच्चे से लेकर बड़े सबके लिए सेफ होता है। अन्य वारयल संक्रमण होने पर भी सावधानी बरतते हुए ही शिशु को दूध पिलाएं।
चित्र स्रोत – Pexels
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