2 Jun 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
बड़े हों या बच्चे खाना खाते वक्त या खाना खाने के बाद हर किसी ने डकार तो जरूर ली होगी। बड़े और बच्चे काफी आसानी से डकार ले लेते हैं, लेकिन शिशुओं के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं है। इसी वजह से कई बार शिशु को डकार दिलानी पड़ती है। अब यकीनन आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर डकार आती क्यों है और शिशु को डकार दिलाना क्यों जरूरी है। इन सवालों का जवाब आप इस लेख को आगे जानेंगे। चलिए, शुरू करते हैं लेख।
कभी-कभी शिशु दूध पीते समय हवा को निगल लेते हैं। मुंह के माध्यम से पेट में पहुंच चुकी इस हवा को छोड़ने की प्रक्रिया को डकार लेना व डकार दिलाना कहा जाता है। जब बच्चा स्वयं मुंह/ग्रासनली से इस हवा को छोड़ता है, तो वह शिशु का डकार लेना कहलाता है।
ऐसा खुद-ब-खुद लंबे समय तक न होने पर, जब माता-पिता शिशु को डकार दिलाने के तरीके अपनाते हैं, तो इसे डकार दिलाना कहा जाता है। दूध पीते समय बार-बार हवा को निगलना एरोफेगिया (Aerophagia) कहलाता है, जिसके चलते बच्चे को कई तरह परेशानियां हो सकती हैं।
शिशु के द्वारा निगली गई हवा के कारण उसे होने वाली दिक्कत को दूर करने के लिए शिशु को डकार दिलाना जरूरी है। बर्पिंग बेबी (Burping a baby) के महत्व को आगे बिंदुओं के माध्यम से समझिए।
शिशु को डकार कैसे दिलाएं, सोच रहे हैं, तो इस लेख में आगे बढ़ते हुए जानिए कुछ न्यूबॉर्न बर्पिंग पोजीशन (Newborn burping positions)। इन बर्पिंग पोजीशन की पूरी जानकारी आगे विस्तार से दी गई है।
गोद में सीधा बैठाकर
बच्चे को गोद में लेटाकर
शिशु को कंधे व सीने से लगाते हुए
जी हां, डकार लेते समय कई बार बच्चे थोड़ा दूध भी बाहर उगल देते हैं। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। डकार लेते समय दूध उगलना सामान्य बात है। करीब 7 से 12 महीने के होने पर खुद-ब-खुद शिशु का दूध उगलना बंद हो जाता है।
डकार संबंधित सभी जरूरी सवालों के जवाब इस लेख में दिए गए हैं। इस जरूरी प्रक्रिया को शिशुओं के लिए आसान बनाने के लिए पेरेंट्स शिशु को डकार दिलाने के तरीके और पोजीशन की मदद ले सकते हैं। इन डकार दिलाने वाली पोजीशन और तरीकों को ध्यान से इस्तेमाल में लाएं।
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