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क्यों बच्चे के बॉडी के स्किन टोन में असमानता होती है?

क्यों बच्चे के बॉडी के स्किन टोन में असमानता होती है?

19 Dec 2022 | 1 min Read

Mousumi Dutta

Author | 387 Articles

शिशु का जन्म लेना माँ-पिता के लिए खुशी की बात होती है, लेकिन खुशी के साथ थोड़ी-बहुत चिंता भी शामिल होती है। जैसे कि गुलाब के साथ काँटा होना लाजमी होता है। शिशु के जन्म लेते ही त्वचा और शरीर संबंधी बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शिशु का स्किन टोन असमान होना इन सब में ही शामिल होता है। मगर इसको लेकर चिंता की बात तो है मगर  बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेने वाली बात नहीं होती है। ऐसे ही बहुत सारे कारक हैं जो उसकी स्किन के टेक्सचर, स्किन टोन को निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार होते है। 

शिशु के स्किन टोन में असामनता के पीछे फिजियोलॉजिकल या पैथोलॉजिकल कारण होते हैं। आपको शिशु के स्किन टोन को निश्चित रूप से  निर्धारित करने के लिए कि आपके बच्चे की त्वचा गोरी है या सांवली है, आपको शिशु के लगभग छह महीने का होने तक प्रतीक्षा करने की जरूरत है। असमान स्किन टोन के पीछे शिशु  एक और विशिष्ट समस्या है जो शिशु के  एक्टिव रहने यानि दौड़, उम्र, शरीर के तापमान, और यहां तक ​​कि बच्चे के उधम मचाने या शांत होने सहित कारकों के परिणामस्वरूप हो सकती है, जो त्वचा की टोन को प्रभावित कर सकती है।

शिशु की स्किन टोन में असमानता के पीछे का कारण/चित्र स्रोत: फ्रीपिक

शिशु की स्किन टोन में असमानता के पीछे का कारण। Causes of Uneven Skin Tone in Babies

जैसा कि हमने पहले की बताया कि शिशु की स्किन टोन में असमानता को लेकर छह महीने तक चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि शारीरिक सक्रियता , उम्र और शरीर के तापमान के आधार पर स्किन टोन भी निर्भर करता है। बच्चों में, असमान स्किन टोन के लिए सबसे आम कारणों में नियोनेटल जॉन्डिस या नवजात शिशु में पीलिया होता है। यह बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला एक सामान्य या असामान्य संकेत हो सकता है।

नवजात शिशुओं में पीलिया दो तरह के होते हैं। 

फिजियोलॉजिकल जॉन्डिस: इस प्रकार के जॉन्डिस में जिस बिलीरूबिन का संचयन होता है, और जब रेड ब्लड सेल्स बर्स्ट होता है तो पीले रंग का द्रव्य निकलने लगता है। आमतौर पर, शिशु के कुछ सप्ताह होने तक त्वचा एकसमान, गुलाबी ही रहती है। यह घटना नवजात शिशुओं में आम है क्योंकि बच्चे की रेड ब्लड सेल्स टूटकर नए में परिवर्तित हो जाती है। उस समय लिवर इसे निकाल नहीं पाता है, इसलिए पीलिया हो जाता है। जब बच्चा 2 सप्ताह का हो जाता है, तो लिवर पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है और बिलीरुबिन को संभाल सकता है, इसलिए पीलिया अपने आप ठीक हो जाता है।

पैथोलॉजिकल पीलिया: जॉन्डिस के इस प्रकार में पीलिया गंभीर रूप में अपने संकेत देने लगती है। पैथोलॉजिकल पीलिया के लक्षणों में सुस्ती, भूख न लगना आदि लक्षण शामिल होता है। बिलीरुबिन की वजह से स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले न्यूरोटॉक्सिसिटी की जटिलताओं से बचने के लिए पैथोलॉजिकल पीलिया का तुरंत इलाज किया जाना चाहिए। यह जानने के लिए कि आपके बच्चे को फिजियोलॉजिकल है या पैथोलॉजिकल पीलिया है, आपको जांच के लिए आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए और उसके बाद टेस्ट आदि करवाने की जरूरत पड़ सकती है। इसके अलावा, शिशुओं में पीलिया भी स्तन के दूध के कारण भी होता है, लेकिन इसको लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि 6 सप्ताह से 3 महीने की उम्र के बाद यह धीरे-धीरे ठीक होने लगता है।

असमान स्किन टोन के पीछे और भी कारण होते हैं-

– त्वचा पर ज्यादा तिल होना

– त्वचा का लाल होना अक्सर स्किन संबंधी बीमारियों, रूबेला, स्कार्लेट फीवर, हाथ, पैर और मुंह की बीमारी, चिकनपॉक्स आदि होने के कारण हो सकता है।

-सेबोरहाइक डर्मेटाइटिस के कारण मिल्क एक्ने दो साल तक के शिशुओं में होता है।

-कुछ बच्चों को डिटर्जेंट, धूल, कुत्ते या बिल्ली के बालों से एलर्जी होने के कारण स्किन टोन में असमानता देखी जाती है।

शिशु की स्किन के टोन में असमानता के कारण को संभालने के उपाय। Prevention Tips to Manage Neonatal Jaundice and 

-गर्भावस्था के दौरान मानसिक स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती का अच्छी तरह से ध्यान रखना।

-बच्चे के सोने के कमरे में पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए ताकि बच्चे की त्वचा स्वस्थ रहे, और स्किन टोन में असमानताएं आसानी से देखी जा सकें।

– बेबी स्किन प्रोडक्ट्स को खरीदते समय एहतियात बरतनी चाहिए, केमिकल-फ्री और नेचुरल चीजों से बनी होनी चाहिए, जैसे कि बेबी मॉइश्चराइजिंग लोशन, बेबी वाश आदि।

-बच्चों को सुबह-सुबह सूरज के संपर्क में लाने से, सूरज की किरणें कोमल होंगी पर कठोर नहीं होंगी, विटामिन डी को संश्लेषित करने में मदद करेंगी और बच्चे की त्वचा को मजबूत बनाने में मदद करेंगी। पर धूप में ले जाने से पहले सनस्क्रीन लगाना न भूलें।

-शिशु को कोमल, सूती और ढीले-ढाले कपड़े पहनाएं।

अब तक के चर्चा से आप समझ ही गए होंगे कि शिशु की स्किन टोन में असमानता के पीछे क्या कारण है और कैसे इसको संभाला जा सकता है।

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