21 Feb 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
जन्म के बाद नवजात शिशु का हर तरीके से ध्यान रखा जाता है। पेरेंट्स उसके खाने-पीने से लेकर उसके खेलने का भी पूरा ध्यान रखते हैं। इसी के साथ माता-पिता को शिशु को सुलाने का सही तरीका भी ध्यान में रखना चाहिए। दरअसल, शिशु को सही पोजीशन में न सुलाना उसके लिए घातक साबित हो सकता है। यही वजह है कि इस लेख में हम आपको नवजात शिशु को सुलाने के लिए बेस्ट पोजीशन के साथ ही शिशु को किस पोजीशन में नहीं सुलाना चाहिए, इसके बारे में भी बता रहे हैं।
छोटे बच्चे का सही पोजीशन में सुलाना कई मायनों में जरूरी माना गया है, जिसे हम बिंदुओं के जरिए समझा रहे हैंः
छोटे बच्चे को कैसे सोना चाहिए? इसके लिए हम यहां पर नवजात शिशु को सुलाने के लिए बेस्ट पोजीशन बता रहे हैं। स्क्रॉल करें और पढ़ें शिशु के सोने की सुरक्षित अवस्था के बारे में।
किसी भी स्वस्थ नवजात शिशु को उनकी पीठ के बल पर सुलाना सबसे सुरक्षित माना जा सकता है। पीठ के बल सोने वाले शिशु का वायु मार्ग खुला रह सकता है। इससे बच्चे को सांस लेने में आसानी हो सकती है। यही वजह है कि शिशु को पीठ के बल सुलाने से उनमें सडन इंफेंट डेथ का जोखिम 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
इस बात की पुष्टि अमेरिक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड ह्यूमन डवलपमेंट के जरिए भी की गई है। इसके अनुसार, पीठ के बल सोना नवजात शिशु को सुलाने के लिए बेस्ट पोजीशन हो सकती है। हालांकि, अगर शिशु को लंबे समय तक पीठ के बल में सुलाया जाए, तो इससे शिशु के सिर का एक हिस्सा चपटा हो सकता है, जिसे प्लैगियोसेफली (Plagiocephaly) भी कहा जाता है।
अब हम शिशु के सोने की असुरक्षित अवस्थाएं भी बता रहे हैंः
बच्चे पेट के बल क्यों सोते हैं, अगर आपके मन में भी यह सवाल है, तो बता दें कि पेट के बल सोना काफी आरामदायक हो सकता है। हालांकि, पेट के बल शिशु के सोने की असुरक्षित अवस्था हो सकती है, क्योंकि पेट के बल सोने से सांस में रूकावट हो सकती है, इससे बच्चे का दम भी घुट सकता है।
यही कारण हो सकता है कि पेट के बल बच्चे के सोने पर उसमें सडन इंफेंट डेथ का जोखिम आठ गुना तक बढ़ सकता है।
नोट- कुछ स्वास्थ्य स्थितियों जैसे – अगर बच्चे में अपर एयरवे मालफॉर्मेशन यानी शिशु को ऊपरी श्वसन तंत्र संबंधी कोई समस्या है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर बच्चे को पेट के बल सोने की सलाह दे सकते हैं। पर ध्यान रखें ऐसा सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
एक तरफ करवट करके सोना या साइड स्लीपिंग सोने की आदत भी शिशु में अचानक मृत्यु का खतरा बढ़ा सकता है। इस तरह की स्लीपिंग पोजीशन में बच्चे अक्सर अस्थिर हो सकते हैं। इस वजह से वे अक्सर सोते समय पेट के बल सो सकते हैं। जिस वजह से इसे बच्चे के लिए सोने की असुरक्षित अवस्था मानी जा सकती है।
समय से पहले जन्मे बच्चे यानी प्रीटर्म शिशु को सुलाने की सही पोजीशन भी पीठ के बल सोना हो सकता है, क्योंकि इस तरह की स्लिपिंग पोजीशन प्रीटर्म शिशुओं में भी सडन इंफेंट डेथ सिंड्रोम का खतरा कम कर सकती है।
सिर्फ पेट या साइड स्लीपिंग पोजीशन ही नहीं, बल्कि स्लीपिंग प्रैक्टिस से जुड़ी कुछ अन्य स्थितियां भी है, जो शिशु में सडन थेड सिंड्रोम का जोखिम बढ़ा सकती है, जैसेः
शिशु को सुलाने का सही तरीका या शिशुओं के लिए सही स्लीपिंग पोजीशन के प्रति हर पेरेंट्स का सजग होना जरूरी है। अगर नवजात शिशु के सोने की पोजीशन में लापरवाही की जाए, तो यह उसके जीवन के लिए घातक साबित हो सकती है। इसलिए, अपने बच्चों की सोने की पोजीशन का ध्यान रखें और उन्हें पूरी तरह से सुरक्षित रखें।
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