17 Feb 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
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प्रसव के बाद अक्सर घर-परिवार के लोग नए बच्चे की देखभाल में व्यस्त हो जाते हैं। इसके चलते कई बार वे डिलीवरी के बाद मां की देखभाल करने में पूरी तरह से अपना ध्यान नहीं दे पाते। ऐसे में डिलीवरी के बाद नई मां की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी घरवालों के कंधों पर नहीं रखी जा सकती है। इसके लिए नई मां को खुद ही अपना ख्याल रखने का प्रयास करना चाहिए, ताकि वह अपने मातृत्व की हेल्दी शुरुआत कर सके। यहां हम डिलीवरी के बाद खुद की देखभाल करने के टिप्स बता रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, डिलीवरी के बाद खुद की देखभाल में लापरवाही बरतने से न सिर्फ नवजात शिशु के स्वास्थ्य को जोखिम हो सकता है, बल्कि नई मां के जीवन के लिए भी घातक हो सकता है। इससे जुड़े कुछ बिंदुओं को नीचे बताया हैः
ऐसे में प्रसव के बाद का समय जच्चे-बच्चे के लिए गंभीर माना जा सकता है। यही खास वजह है कि हम इस लेख में डिलीवरी के बाद खुद की देखभाल करने के टिप्स बता रहे हैं।
डिलीवरी के बाद नई मां खुद की देखभाल कैसे करें, इसके लिए नई मां स्वंय ही खुद की देखभाल कर सकती है और स्वास्थ्य व स्थिति के अनुसार दाई मां, नर्स व परिवार के सदस्यों की भी मदद ले सकती हैं।
डिलीवरी यानी प्रसव के बाद एक नई मां को अगले 24 घंटों तक भरपूर आराम करना चाहिए। साथ ही, उसे अगले 6 से 8 सप्ताह तक भी शारीरिक रूप से आराम करना चाहिए। ताकि, इस दौरान नई मां का शरीर प्रसव के दौरान हुए दर्द व योनि के टांके को भर सके। इसके अलावा उचित आराम से नवजात शिशु को स्तनपान कराने में भी आसानी होगी।
जब तक नई मां प्रसव के बाद खोए हुए शारीरिक शक्ति को पूरी तरह से रिकवर नहीं कर लेती है, तब तक नवजात शिशु की देखभाल में उसे परिवार के सदस्यों की मदद लेनी चाहिए। अगर साथ में परिवार से सदस्य नहीं रहते हैं, तो ऐसी स्थिति में दाई या नैनी की भी मदद ली जा सकती है। ये शिशु के डायपर बदलने से उसे सुलाने में भी मदद करेंगे।
प्रसव के बाद नई मां को कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। साथ ही 2-3 घंटे उन्हें दिन के समय में भी सोना चाहिए। वहीं, जन्म के बाद नवजात शिशु कम से कम 16-18 घंटे सोता है, ऐसे में नई मां को भी बेबी के साथ सोने व जागने की आदत बना लेनी चाहिए। ऐसा करने पर नई मां की नींद भी पूरी हो सकती है और शिशु के जागने पर वह उसका भरपूर ध्यान भी रख सकती है।
अगर पहली बार नई मां बनीं हैं, तो न्यू बेबी को स्तनपान कराने के लिए दादी-नानी व घर के अन्य जानकार सदस्यों की इसमें मदद लें। साथ ही शिशु के स्तनपान के लिए कब-कब रोता है या उसे भूख कब लगती है, इसका समय भी नोट करें। ऐसा करने से नई मां को शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराने में अधिक आसानी हो सकती है।
प्रसव के बाद नई मां को अपनी डाइट में पौष्टिक व संतुलित आहार शामिल करना चाहिए। शरीर की रिकवरी करने में मदद मिलेगी। संतुलित आहार के तौर पर नई मां अपनी डाइट में साबुत अनाज, फलियां, प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को शामिल कर सकती हैं। साथ ही उचित मात्रा में तरल पेय भी पीती रहें।
शिशु के जन्म के बाद नई मां को अपना वजन घटाना चाहिए। हालांकि, उन्हें इस बारे में तुंरत चिंता नहीं करनी चाहिए। सबसे पहले स्वास्थ्य की रिकवरी करनी चाहिए और उसके बाद संतुलित आहार व लाइट एक्सरसाइज के जरिए गर्भावस्था के दौरान बढ़े हुए वजन को कम करना चाहिए।
आमतौर पर, प्रसव के 6 सप्ताह तक नई मां का गर्भावस्था के दौरान बढ़ा आधा शारीरिक वजन अपने आप ही कम हो जाता है। बाकी का वजन धीरे-धीरे अगले कुछ महीनों में घटता रहता है। इसके अलावा, नियमित रूप से स्तनपान कराने से प्रतिदिन लगभग 500 कैलोरी की खपत होती है, जो कुछ हद तक वजन कम करने में मदद कर सकता है।
नॉर्मल डिलीवरी में मां के योनि में एक चीरा लगाया जाता है, ताकि शिशु का सिर आसानी से बाहर आ सके। जिस पर प्रसव के बाद टांके लगा दिए जाते हैं। ऐसे में नई मां को नॉर्मल डिलीवरी के बाद टांकों की देखभाल व इसकी रिकवरी पर ध्यान देना चाहिए।
डिलीवरी के बाद मां की देखभाल करते समय कुछ गलतियों को करने से भी बचना चाहिए, जैसेः
डिलीवरी के बाद अपना ख्याल कैसे रखें? इस बारे में नई मां के साथ ही उसके पति व घर के अन्य सदस्यों को भी चिंता करनी चाहिए। ध्यान रखें कि गर्भवती होने से लेकर प्रसव के बाद तक का समय एक महिला के लिए कई उतार-चढ़ाव से भरा होता है। वह कई तरह के शारीरिक व मानसिक बदलाव से गुजरती हैं। ऐसे में गर्भावस्था से लेकर डिलीवरी के बाद मां की देखभाल करने में उनकी मदद करें।
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