17 Feb 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
लड़कियों को पीरियड आना एक सामान्य, प्राकृतिक व स्वस्थ क्रिया है। महिलाओं का पीरियड साइकिल उनके गर्भावस्था के स्वास्थ्य से जुड़ा होता है। हालांकि, पहली बार पीरियड्स आने को लेकर हर लड़की के मन में कई तरह के सवाल होते हैं। पहली माहवारी की शुरुआत जहां उनके स्वस्थ व सामान्य विकास को दर्शाती है, वहीं इससे जुड़ी अन्य बातों के बारे में भी उनका जानना जरूरी होता है। यहां हम ऐसे ही सवालों को बता रहे हैं, साथ ही पीरियड से जुड़े मिथकों के बारे में भी बात करेंगे।
पहली बार पीरियड्स होने पर मां से पूछे जाने वाले लड़कियों के 10 सवाल
यहां हम आपको पहली बार पीरियड्स होने पर मां से पूछे जाने वाले लड़कियों के 10 सवालों के बारे में बता रहे हैं। ये सवाल को बेटी को पहली माहवारी की शुरुआत को मानिसिक व भावनात्मक रूप से समझने में मदद करेंगे।
1. पहली बार पीरियड आने पर क्या करें?
अगर बेटी को पहली बार पीरियड आता है, तो उसे इस दौरान पैड, टैम्पोन व मेंस्ट्रुअल कप के सही इस्तेमाल का तरीका बताएं। अगर ऐसा बताने में मां-बेटी एक-दूसरे के साथ सहज महसूस नहीं करती हैं, तो इससे संबंधित बुकलेट व वीडियो के जरिए भी बेटी को इनके इस्तेमाल का सही तरीका व दिनभर में इसे कितनी बार बदलना चाहिए इसके बारे में बता सकती हैं। बेटी को अलग-अलग साइज के सैनेटरी पैड्स के बारे में भी बताएं, ताकि वह अपनी सहजता के अनुसार उनका इस्तेमाल कर सके।
2. एक लड़की के शरीर में पीरियड्स के बाद आते हैं ये बदलाव
पहली बार लड़की पीरियड्स आने के बाद उसके शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। कुछ बदलावों से बेटी के मन में डर भी हो सकता है, इसलिए बेटी को इन बदलाओं के सकारात्मक प्रभाव के बारे में बताएं, जैसे:
3. मासिक धर्म कितने दिन लेट हो सकता है?
पीरियड साइकिल 21 से 35 दिनों के बीच का होता है। यानी दूसरी बार पीरियड 21 दिन से 35 दिनों के बाद आ सकता है। यह लड़की के सामान्य साइकिल पर भी निर्भरता है। वहीं, शुरू-शुरू में पीरियड्स आने का साइकिल रेगुलर नहीं भी हो सकता है। ऐसे में अगर पहली बार पीरियड्स आने के अगले 7-8 महीनों तक हर बार के साइकिल में 7 से 8 दिनों का अंतराल होना सामान्य माना जा सकता है।
4. पीरियड लेट होने पर क्या करे?
अगर बेटी का पीरियड किसी सामान्य वजह से बहुत लेट हो रहा है, तो कुछ घरेलू उपायों से उसे लाया जा सकता है,
5. क्या पीरियड के बाद हाइट बढ़ती है?
लड़कियों की माहवारी शुरू होना उनके यौवनारम्भ की एक प्रक्रिया होती है। इसी वजह से पीरियड्स आने के बाद भी लड़कियों की हाइट बढ़ सकती है। हालांकि, अधिकतर मामलों में लड़कियों का कद माता-पिता के कद पर आधारित होता है।
6. क्या लड़कों को भी पीरियड्स होते हैं?
यह सवाल कई लोगों के मन में उत्सुकता का कारण होती है, लेकिन लड़कों को लड़कियों की तरह पीरियड्स नहीं आते हैं। हां, उनके यौवनारम्भ के शुरुआत में उन्हें पेट में दर्द, मूड स्विंग जैसे अन्य लक्षण जरूर महसूस होते हैं।
7. पीरियड बंद होने के लक्षण क्या हैं?
पीरियड बंद होने के चरण को मेनोपॉज कहा जाता है। यह सामान्य तौर पर महिला के 52 वर्ष के होने पर शुरू हो जाता है। यानी अगर एक बार महिला के मेनोपॉज का चरण शुरू हो जाए, तो उसे फिर से पीरियड्स नहीं आएंगे और न ही इसके बाद वो गर्भवती हो सकती हैं। इस दौरान उनमें उदासी, तनाव, बेचैनी, चिड़चिड़ापन और घबराहट जैसे लक्षण भी देखे जा सकते हैं।
8. पीरियड्स आने पर क्या करना चाहिए?
9. कपड़ों पर पीरियड का दाग लगने पर क्या करें?
10. पीरियड आने पर क्या अचार नहीं छूना चाहिए?
यह बात पूरी तरह से एक मिथक है। दरअसल, पीरियड्स के दौरान आचार छूने से मना करने के पीछे हाइजीन की वजह छिपी हो सकती है। ऐसे में जब भी बाथरूम जाएं या पैड्स बदलें, तो हाथों को अच्छे से साफ करें। ताकि हाथों में किसी तरह के बैक्टीरिया न रहें। अगर हाथ गंदे होंगे तो बैक्टीरिया आचार में पहुंच कर उसे खराब कर सकता है। इसके अलावा, पानी पड़ने से भी आचार में फंपूदी लग जाती है। इसलिए सामान्य दिनों की ही तरह पीरियड्स के दिनों में भी साफ व सूखे हाथों से ही आचार को छुएं।
मेंस्ट्रुएशन या माहवारी लड़कियों के किशोरावस्था का एक खास चरण होता है। इस दौरान वे शारीरिक व मानसिक बदलाव के साथ ही भावनात्मक बदलावों से भी गुजरती हैं। ऐसे में एक मां को उनकी हर संभव मदद करती चाहिए। अपनी बेटी को न सिर्फ पहली बार पीरियड्स से जुड़ी जानकारी दें, बल्कि पीरियड क्या होता है, इससे जुड़े मिथकों को भी समझने में उनकी पूरी मदद करें।
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.