17 Feb 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
गर्भावस्था का अनुभव जितना सुखद होता है, इसका सफर उतने ही उतार-चढ़ाव से भरा होता है। गर्भवती महिला शारीरिक तौर पर कई बदलावों से गुजरती है। इनमें जहां कुछ बदलाव सामान्य होते हैं, तो वहीं कुछ बदलाव चिंता का विषय भी होते हैं। इन्हीं में से एक है गर्भावस्था में कम रक्तचाप। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान लो ब्लड शुगर की समस्या हो जाए, तो इसका गर्भवती व उसके शिशु पर कैसा प्रभाव हो सकता है, इसी की जानकारी आप इस लेख में पढ़ेंगे। साथ ही इसके कारण, लक्षण और उपाय के बारे में भी बात करेंगे।
गर्भावस्था या सामान्य दिनों के दौरान एक महिला के रक्तचाप का सामान्य स्तर 120/80 MMHG माना जाता है। यह रक्तचाप की इकाई होती है। वहीं, अगर गर्भावस्था के दौरान महिला का यह स्तर 90/60 MMHG से कम हो जाए, तो इसे गर्भावस्था के दौरान कम रक्तचाप की समस्या कही जा सकती है।
सामान्य बोल-चाल भाषा में इसे लो बीपी की समस्या व मेडिकल टर्म में इसे लो ब्लड प्रेशर (Low Blood Pressure) व हाइपोटेंशन (Hypotension) भी कहा जाता है।
निम्नलिखित स्थितियों में गर्भवती महिलाओं को हाइपोटेंशन का खतरा सबसे अधिक हो जाता है:
गर्भावस्था के दौरान लो ब्लड प्रेशर होने के कई कारण हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. स्पाइनल हाइपोटेंशन – स्पाइनल हाइपोटेंशन (Spinal Hypotension) तब होता है जब गर्भवती सहारा लेकर बैठती या लेटती है। इस वजह से उसकी नसों और महाधमनी जैसी रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ सकता है, जिससे शरीर के निचले हिस्से खासकर पैरों की नसों में खून का बहाव कम हो सकता है। इससे शरीर में रक्तचाप का स्तर अचानक से कम हो सकता है।
2. बढ़ता गर्भाशय – भ्रूण के बढ़ते आकार की वजह से गर्भाशय का भी विकास होता है, जिससे पेट के निचले हिस्से पर दबाव बनता है। इस वजह से भी इन हिस्सों में खून का प्रवाह प्रभावित हो सकता है, जो गर्भावस्था में निम्न रक्तचाप का कारण बन सकता है।
3. शारीरिक अवस्था में बदलाव – अगर गर्भवती लंबे समय तक एक ही अवस्था में बैठी रहे या लेटी रहे और फिर अचानक से खड़ी हो जाए, तो इस वजह से भी शरीर में रक्तचाप का स्तर घट सकता है। अचानक खड़े होने पर मस्तिष्क और हृदय तक रक्त का सामान्य प्रवाह पहुंचने में कुछ समय लग सकता है, जिस वजह से ऐसा करने पर रक्तचाप घट जाता है।
4. हार्मोनल परिवर्तन – गर्भावस्था के दौरान कम रक्तचाप के पीछे एक कारण है, वह है हार्मोनल परिवर्तन। यह परिवर्तन शरीर में रक्त का प्रवाह प्रभावित कर सकता है।
5. डिहाइड्रेशन होना – गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में बार-बार उल्टी आने की समस्या होती है। इससे शरीर में तरल पदार्थ की मात्रा घट सकती है, जो निम्न रक्तचाप का कारण बन सकता है।
6. खून की कमी होना – अगर गर्भावस्था के दौरान खून की कमी यानि एनिमिया की समस्या होती है, तो यह भी इस दौरान निम्न रक्तचाप का कारण बन सकती है।
7. हाइपोग्लाइसीमिया – यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में रक्त शर्करा का स्तर कम हो जाता है। अगर गर्भवती को हाइपोग्लाइसीमिया (Hyperglycaemia) होता है, तो यह भी गर्भावस्था में निम्न रक्तचाप का कारण बन सकती है।
8. हृदय का खराब स्वास्थ्य – अगर गर्भवती महिला को पहले से ही या गर्भावस्था के दौरान हृदय से संबंधित कोई परेशानी होती है, तो यह भी रक्तचाप का स्तर कम कर सकता है।
गर्भावस्था के दौरान कम ब्लड प्रेशर लेवल के लक्षण निम्नलिखित हैंः
सामान्य तौर पर रक्तचाप के स्तर की जांच करने के लिए स्फाइगनोमैनोमीटर (Sphygmomanometer) का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक तरह का मेडिकल उपकरण है, जिसे ब्लड प्रेशर मशीन भी कहा जाता है। इसी उपकरण के जरिए गर्भवती महिलाओं का रक्तचाप लेवल जांच किया जा सकता है।
क्या गर्भावस्था में कम रक्तचाप की समस्या शिशु को किसी बीमारी का शिकार बना सकती है? जानने के लिए स्क्रॉल करें।
आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान लो बीपी की समस्या मां या बच्चे के लिए किसी तरह से घातक नहीं है। हालांकि, अगर इसकी समस्या गंभीर हो जाए, तो भ्रूण तक पहुंचने वाले रक्त का प्रवाह व ऑक्सीजन का स्तर प्रभावित हो सकता है, जो उसके स्वास्थ्य के लिए जोखिम उत्पन्न कर सकता है।
इसके अलावा, जैसा लेख में बता चुके हैं कि लो बीपी होने पर गर्भवती महिला को चक्कर आ सकते हैं। इस वजह से वह गिर सकती है। ऐसी स्थिति में मां के साथ भ्रूण को भी चोट लगने का जोखिम अधिक हो जाता है।
अगर गर्भावस्था के दौरान किसी महिला के रक्तचाप का स्तर कम होता है, तो वह यहां बताई गई बातों का ध्यान रखकर इसका इलाज कर सकती है, जैसे:
1. तरल पेय – गर्भावस्था के दौरान बार-बार उल्टी आने से डिहाइड्रेशन हो सकता है, जो निम्न रक्तचाप को जन्म दे सकता है। इससे बचने के लिए गर्भवती को भरपूर मात्रा में तरल पेय पीना चाहिए। इसके लिए वह ताजे फलों व सब्जियों के जूस को अपने आहार में शामिल कर सकती है।
2. चुकंदर का रस – एक रिसर्च के अनुसार, चुकंदर का रस न सिर्फ शरीर में खून की कमी को दूर कर सकता है, बल्कि डिहाइड्रेशन की समस्या को भी दूर करके शरीर के रक्तचाप के स्तर को सामान्य कर सकता है।
3. नमक का पानी – बीपी कम होने पर चीनी व नमक के मिश्रण वाला पानी भी पिया जा सकता है। इसमें नमक में पाया जाने वाला सोडियम कारगर होता है, क्योंकि सोडियम की मात्रा शरीर में रक्तचाप का स्तर बढ़ाने में मदद करता है। इसकी पुष्टि इस पेपर से भी होती है।
4. कॉफी – कॉफी पीने से रक्तचाप का स्तर तेजी से बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, ध्यान रखें कि गर्भावस्था के दौरान कॉफी की मात्रा सीमित ही रखें। दिनभर में 1 से 2 कफ कॉफी का ही सेवन करें।
5. मुरब्बा – ऐसा भी माना जाता है कि आंवले या सेब का मुरब्बा खाने से भी लो ब्लड प्रेशर की समस्या को दूर किया जा सकता है।
6. खजूर – गर्भवती महिलाएं सुबह व शाम के समय दूध के साथ 1-1 खजूर खा सकती हैं। इससे भी निम्न रक्तचाप का स्तर बढ़ाया जा सकता है।
7. अदरक – नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (NCBI) की रिसर्च में बताया गया है कि खाना खाने से पहले थोड़ी-थोड़ी मात्रा में एक अदरक के छोटे टुकड़े पर नींबू का रस और सेंधा नमक लगाकर खाने से कम रक्तचाप को बढ़ाया जा सकता है।
8. उचित आराम करें – गर्भावस्था के दौरान शारीरिक रूप से भरपूर आराम करें। उठने-बैठने या खड़े होनें में जल्दबाजी न करें और न ही बहुत देर तक एक ही अवस्था में बैठे या लेटे रहें।
इस लेख में बताए गए उपायों के अलावा, गर्भवती महिला को अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए। अगर गर्भावस्था में कम रक्तचाप की समस्या गंभीर होती दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से मिले और इसका उचित उपचार कराएं। साथ ही, इस दौरान डॉक्टर द्वारा निर्देशित दवाओं के खुराक को भी नियमित रूप से लेती रहें और गर्भावस्था में किसी भी समस्या के लिए घरेलू उपचार करने से पहले डॉक्टर की सलाह को प्राथमिकता जरूर दें।
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.