16 Feb 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
गर्भावस्था का शुरुआती सफर एक नए बदलाव की तरफ ले जाता है। ये बदलाव न सिर्फ गर्भवती के लिए सबसे खास होते हैं, बल्कि उसके परिवार के सदस्यों के लिए भी अहम पड़ाव होता है। गर्भवती के साथ ही सभी सदस्यों के मन में गर्भावस्था में शिशु की हलचल (बेबी मूवमेंट) जानने की लालसा बनी रहती है। गर्भावस्था के दौरान शिशु की हलचल क्या-क्या होती हैं, वह कब और कैसे खुद के शरीर को गर्भ में हिलाता है, इससे जुड़ी खास जानकारी यहां पढ़ेंगे।
गर्भावस्था के दौरान बच्चे का हिलना-डुलना कब से शुरू होता है, इस पर अधिकतर महिलाओं का अनुभव एक-दूसरे से काफी अलग हो सकता है। आमतौर पर प्रेग्नेंट होने के शुरू के कुछ महीनों तक गर्भ में भ्रूण किसी तरह की कोई हलचल नहीं करता है। दरअसल, गर्भावस्था की पहली तिमाही में गर्भाशय में परिवक्व हुए अंडे से शिशु के शरीर व अंगों का निर्माण जारी रहता है।
इसके बाद सामान्यता गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान, खासकर गर्भावस्था के 20वें सप्ताह में अधिकतर महिलाएं अपनी गर्भावस्था के दौरान बच्चे का हिलना-डुलना महसूस कर सकती हैं। इस दौरान गर्भवती महिलाएं पेट में गुदगुदी व ऐंठन का एहसास कर सकती हैं।
गर्भावस्था के 24वें सप्ताह में गर्भ में बच्चा लात (किक) मारना शुरू कर सकता है, जिसमें गर्भावस्था के 28वें सप्ताह तक वृद्धि हो सकती है। बच्चा जब गर्भ में लात मारना शुरू करता है, तो इस दौरान गर्भवती महिलाओं को शिशु के किक को समझने में परेशानी हो सकती है। इसी वजह से वे कभी-कभार इस हलचल को पेट में गैस बनने की समस्या भी समझ सकती हैं।
वहीं, दूसरी बार गर्भवती होने वाली महिलाएं खुद ही गर्भावस्था में शिशु की हलचल (बेबी मूवमेंट), बच्चे के किक मारने के संकेत आदि आसानी से समझ सकती हैं। हालांकि, पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाओं को इसे समझने में थोड़ा समय जरूर लग सकता है।
रिसर्च बताते हैं कि गर्भावस्था के 28वें सप्ताह के बाद 2 से 3 घंटे के अंदर शिशु का लगभग 10 बार हलचल करना सामान्य हो सकता है। अगर 2 से 3 घंटे के अंदर गर्भावस्था में शिशु की हलचल (बेबी मूवमेंट) 10 बार से कम होती है, तो गर्भवती को इस बारे में अपने डॉक्टर को जानकारी देनी चाहिए और गर्भ में शिशु की स्थिति की उचित जांच करानी पड़ सकती है।
एक बात का ध्यान रखें, गर्भावस्था के दौरान शिशु की हलचल हर बार के हलचलों से अलग भी हो सकती है। यानी जहां कई बार शिशु गर्भ में लात मार सकता है, तो वहीं वह कई बार हिचकी ले सकता है या अन्य तरह से गर्भावस्था के दौरान बच्चे का हिलना-डुलना हो सकता है। इसलिए, एक गर्भवती को इस तरह के होने वाले हलचलों की पहचान करनी चाहिए, जिसके बारे में वे एक डायरी भी बना सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान शिशु की हलचल दूसरी तिमाही के बीच से शुरू हो सकती है। इसके बाद उसके हलचलों में वृद्धि के साथ ही बदलाव भी आ सकते हैं, जिनके बारे में नीचे बता रहे हैं।
अगर पेट में शिशु की हलचल कम हो जाती है या वह किसी तरह के हलचल नहीं करता है, तो इसके पीछे कई सामान्य कारण हो सकते हैं। हालांकि, अगर लगातार भ्रूण के मूवमेंट में बदलाव नहीं दिखाई देता है, तो डॉक्टर से इसकी जांच करानी चाहिए।
इस लेख से आपको भ्रूण की नॉर्मल मूवमेंट कितनी होनी चाहिए व गर्भावस्था के दौरान बच्चे का हिलना-डुलना किस तरह से संकेत देते हैं, इसकी उचित जानकारी मिली होगी। ध्यान रखें कि गर्भावस्था में शिशु की हलचल (बेबी मूवमेंट) एक-दूसरे की गर्भावस्था से अलग भी हो सकती है। इसलिए, अगर आप पहली बार गर्भवती होती हैं, तो प्रेग्नेंसी में बेबी मूवमेंट की डायरी बना सकती हैं। इससे दूसरी बार की गर्भावस्था में बच्चे की हलचल को समझने में मदद मिलेगी।
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