16 Feb 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
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नवजात का जन्म घर में खुशियां लेकर आता है। लेकिन जन्म के समय शिशु के दांत हों, तो माता-पिता घबरा जाते हैं। यूं तो शिशुओं के दांत 6 महीने के बाद ही आते हैं, लेकिन कुछ बच्चे दांत के साथ ही पैदा होते हैं। जन्म के समय से मौजूद इन दांतों को नेटल टीथ कहा जाता है। जन्मजात दांत को दखकर कुछ इसे जन्म दोष समझ लेते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। आखिर नीटल टीथ का कारण क्या है और इससे कुछ जोखिम होते हैं या नहीं, इस लेख में जानेंगे।
नेटल टीथ होना सामान्य नहीं है। इस बात की पुष्टि करने के लिए किए गए अध्ययन के मुताबिक, लगभग दो से तीन हजार शिशुओं में से किसी एक शिशु का नेटल टीथ होता है। इसके मामले लड़कों के मुकाबले लड़कियों में अधिक नजर आते हैं।
रिसर्च में कहा गया है कि शिशु को या तो जन्म के समय से ही दांत होते हैं या जन्म के 30 दिन तक नेटल टीथ निकल आते हैं। शिशु के एक या उससे अधिक नेटल टीथ हो सकते हैं। लेकिन ये दांत, दूध के दांतों से एकदम अलग होते हैं। ये नुकीले, छोटे और पीले रंग के होते हैं।
नेटल टीथ का कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। हालांकि, एक्सपर्ट मानते हैं कि कुछ मामलों में जन्म से दांत होने के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं।
आनुवांशिक – शिशु में जन्म के समय दांत होना आनुवांशिक हो सकता है। अगर किसी शिशु के माता या पिता ने नेटल टीथ के साथ जन्म लिया था, तो उनके बच्चे भी दांत के साथ जन्म ले सकते हैं।
फाइफर सिंड्रोम – फाइफर सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार है, जिसके कारण शिशु में नेटल टीथ हो सकते हैं। इस विकार में सिर और चेहरे की आकृति प्रभावित होती है।
एलिस-वैन क्रेवेल्ड सिंड्रोम (Ellis-Van Creveld Syndrome) – यह सिंड्रोम काफी कम लोगों को होने वाला आनुवांशिक विकार है। यह समस्या मुख्य रूप से हड्डियों के विकास को प्रभावित करती है। इस विकार से प्रभावित शिशु के जन्म के समय से दांत हो सकता है।
पियरे रॉबिन सिंड्रोम (Pierre-Robin Syndrome) – पियरे रॉबिन सिंड्रोम एक तरह का जन्म दोष है । इससे प्रभावित शिशुओं का निचला जबड़ा सामान्य से छोटा और जीभ पीछे की ओर रहती है। इस विकार वाले कुछ शिशुओं में जन्म से दांत भी देखा गया है।
हॉलरमैन-स्ट्रेफ सिंड्रोम (Hallermann-Streiff Syndrome) – हॉलरमैन-स्ट्रेफ सिंड्रोम एक तरह का दुर्लभ विकार है। इसमें दांतों का असामान्य रूप से विकास होता है, जिससे शिशु दांत के साथ जन्म ले सकता है। शिशु के उम्र बढ़ने के साथ उसका चेहरे वाला भाग भी प्रभावित हो सकता है।
कटे हुए होंठ और तालु (Cleft Lip And Palate) – कुछ नवजात में कटे होंठ व तालू की समस्या होती है। इस परेशानी के कारण भी बच्चों में जन्म के समय से ही दांत होते हैं।
सोटोस सिंड्रोम (Sotos Syndrome) – सोटोस सिंड्रोम भी आनुवंशिक दुर्लभ विकार है। इसमें शिशु का चेहरा, बड़े होने के बाद बोलचाल प्रभावित होती है और बच्चा मोटा भी हो जाता है। इस विकार के कारण भी सोटोस सिंड्रोम भी होता है।
नेटल टीथ के साथ जन्म लेने पर ज्यादा गंभीर समस्या तो नहीं होती, लेकिन इससे कुछ जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है। इन जोखिमों में ये शामिल हैं:
सामान्यत: शिशुओं के नेटल टीथ का इलाज नहीं किया जाता है, क्योंकि यह किसी तरह की बीमारी नहीं है। हां, इसकी वजह से बच्चे को परेशानी होती है, तो डॉक्टर नेटल टीथ को निकालने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा, नेटल टीथ होने की वजह कोई सिंड्रोम है, तो विशेषज्ञ उसका इलाज शुरू कर सकते हैं।
नेटल टीथ के लिए घरेलू देखभाल के कुछ तरीकों को अपना सकते हैं। ये तरीके कुछ इस प्रकार हैं:
दांत के साथ जन्म लेने वाला शिशु सामान्य बच्चों की तरह ही विकसित होता है। अगर उसे कोई आनुवंशिक विकार न हो, तो उसका शारीरिक और मानसिक विकास भी सामान्य तरीके से ही होता है। हां, अगर शिशु के नेटल टीथ के कारण बच्चे के मुंह में व मां के स्तन में बार-बार चोट लग रही है, तो यह परेशानी का कारण बन सकता है। अन्यथा नेटल टीथ को लेकर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। नेटल टीथ के पीछे के कारण को समझने और उपचार के लिए डॉक्टर की मदद जरूर लें।
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