21 Jan 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
Author | 387 Articles
प्रेग्नेंसी के दौरान क्या करना चाहिए या डिलीवरी के बाद क्या खाना चाहिए जैसे चीजों के बारे में लड़कियाँ दादी-नानी, माँ, समाज कहीं न कहीं से सुनती रहती हैं। लेकिन प्रेग्नेंसी प्लान करने के पहले क्या करना चाहिए, इस बारे में बहुत कम लोग ही सोचते होंगे। लोग कितने भी आधुनिक हो गए हों, पर प्रेग्नेंट होने के पहले कौन-कौन-से टेस्ट करवाने चाहिए या किस प्रकार से खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए, इस बारे में सोचते ही नहीं है।
शायद यह बातें आपको अनावश्यक लग रही होंगी, लेकिन आपको नहीं पता कि अगर प्री-प्रेग्नेंसी की तैयारी समय रहते की जाए तो प्रेग्नेंसी के दौरान माँ और बच्चा दोनों स्वस्थ और खुश रहेंगे। किसी भी प्रकार की जटिलता होने की संभावना कम होगी।
इसलिए फैमिली प्लानिंग के पहले डॉक्टर से संपर्क करें और पता लगाएं कि दोनों पार्टनरों को कौन-से टेस्ट करवाने चाहिए और खुद को शारीरिक रूप से तैयार करने के लिए क्या-क्या करने चाहिए। आम तौर पर लोग जन्म देने के बाद बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए तरह-तरह के यत्न करते हैं लेकिन आप प्री-प्रेग्नेंसी केयर प्लानिंग करके शिशु को पहले से स्वस्थ जीवन देने की तैयारी करेंगे। तो चलिए जानते हैं कि माँ बनने के सुखद एहसास को महसूस करने के पहले किन-किन चीजों की तैयारियाँ करनी चाहिए?
सबसे पहले डॉक्टर से अप्वाइंटमेंट लें और दोनों पार्टनर उनसे मिलने जाएं। डॉक्टर आप दोनों की मेडिकल और फैमिली हिस्ट्री के बारे में जानेंगे। उसके बाद वह कुछ ब्लड टेस्ट और नॉर्मल टेस्ट करने की सलाह देंगे। इसके अलावा डॉक्टर दोनों पार्टनर को इन बीमारियों को लेकर जाँच करने की सलाह दे सकते हैं, जैसे-
इसके बाद डॉक्टर आप दोनों के फैमिली हिस्ट्री जानने के बाद कुछ जेनेटिक टेस्ट करने की बात भी कह सकते हैं। इसी संदर्भ में हमारी एक्सपर्ट डॉ. नूपूर गुप्ता,ऑब्सट्रेशियन और गायनेकोलॉजिस्ट विभाग की डायरेक्टर, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम की भी यही सलाह है कि होने वाले माता-पिता के जीन्स अगर किसी बीमारी के कैरियर हैं तो शिशु को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें ब्लड टेस्ट करवा लेनी चाहिए। जेनेटिक टेस्ट के अंतगर्त ये नाम आते हैं-
सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia): यह हीमोग्लोबीन संबंधी रक्त की आनुवांशिक बीमारी है। इसके कारण ऑक्सीजन लेने जाने की क्षमता और ब्लड सर्कुलेशन की मात्रा कम हो जाती है।
थैलेसीमिया रोग (Thalassemia): यह माता-पिता से मिलने वाली आनुवांशिक बीमारी है। इसके कारण हीमोग्लोबीन बनने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होता है। जिसके कारण कम ऑक्सीजन वाले प्रोटीन और रेड ब्लड सेल्स की मात्रा नॉर्मल से कम हो जाती है।
ब्लड ग्रुप (Blood Group): अगर अपने ब्लड ग्रुप के बारे में पता न हो तो दोनों पार्टनर को इसका पता कर लेना चाहिए ताकि कंसीव करने के दौरान किसी समस्या का सामना न करना पड़े।
पैप स्मीयर टेस्ट (Pap smear test): यह टेस्ट सर्वाइकल कैंसर की जाँच करने के लिए की जाती है। गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) में कैंसर के शुरुआती लक्षणों के बारे में पता लगाने के लिए यह टेस्ट किया जाता है।
डेंटल चेकअप (Dental Check up): आश्चर्य में न पड़े। अगर आपको किसी प्रकार की दाँत संबंधी समस्या है तो उसको पहले ही ठीक कर लें। क्योंकि प्रेग्नेंसी के बाद दाँत संबंधी कोई समस्या होने पर न आप पेनकिलर या एंटीबायोटिक मेडिसन का सेवन कर सकती हैं और न ही किसी प्रकार का ऑपरेशन। दोनों ही हालातों में गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुँचने की संभावना रहती है।
एंटीबॉडी टेस्ट (Antibody Test): अगर किसी महिला ने खसरा या रूबेला के लिए वैक्सीन पहले कभी लगवाया था तो इसके बारे में पता चल जाता है। इस टेस्ट के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि फिर से बूस्टर डोज देने की जरूरत है कि नहीं।
यूरीन टेस्ट (UTI Test): यूटीआई या मूत्रमार्ग में संक्रमण और किडनी संबंधी कोई बीमारी है कि नहीं इसका पता लगाने के लिए यूरिन टेस्ट करने की सलाह डॉक्टर देता है।
प्रीकनसेप्शन स्क्रीनिंग टेस्ट (Preconception screening test): दोनों पार्टनर में से किसी के भी फैमिली हिस्ट्री में अगर सिस्टिक फाइब्रोसिस हो तो ये टेस्ट करने की बात डॉक्टर कहते हैं।
सीमन एनालिसिस (Semen Analysis): पति के वीर्य की क्वालिटी के बारे में पता लगाने के लिए इस एनालिसिस की जरूरत पड़ती है।
इसके अलावा अगर डॉक्टर आपके शारीरिक अवस्था को समझते हुए कुछ वैक्सीन लेने की सलाह दे तो आपको कुछ टीका भी लगवाना पड़ सकता है।
वैक्सीनेशन:
हमारी एक्सपर्ट डॉ. नूपूर गुप्ता,ऑब्सट्रेशियन और गायनेकोलॉजिस्ट विभाग की डायरेक्टर, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम का कहना है कि प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले वैक्सीन लेना माँ और शिशु दोनों के लिए अच्छा होता है, जिनमें से कुछ के नाम यहाँ दिया जा रहा है-
हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A): यह लिवर संबंधी बीमारी है। शिशु को जन्मजात कोई विकार न हो इसके लिए टीका लेने की सलाह दी जाती है। इस टीका को लेने के 28 दिन बाद ही कंसीव करें।
टीडैप वैक्सीन (Tdap vaccine): टीडैप (टिटनस, डिप्थीरिया और एसेलुलर पर्टुसिस) बूस्टर वैक्सीन होता है। इसको हर दस साल में लेना चाहिए। अगर माँ ने पिछले दस में नहीं लिया है तो इसको लेना जरूरी होता है। हूपिंग कफ से माँ और शिशु दोनों को बचाने के लिए टीडैप वैक्सीन देने की सलाह डॉक्टर देते हैं।
कोविड वैक्सीन (Covid vaccine): कोरोनाकाल में माँ बनने से पहले कोविड वैक्सीन लेना भी लाजमी हो गया है। कोविड वैक्सीन लेने से न सिर्फ माँ को सुरक्षा मिलती है बल्कि आने वाले बच्चे को भी सुरक्षित करना जरूरी हो जाता है।
इनके अलावा होने वाली माँ को अपने जीवनशैली में कुछ बदलाव लाने की जरूरत होती है, जिससे फैमिली प्लानिंग करने के बाद शिशु को माँ स्वस्थ रूप में बिना किसी जटिलता के जन्म दे सके-
कैफीन की मात्रा में कमी- दोनों पार्टनर को विशेष रूप से होने वाली माँ को चाय या कॉफी का सेवन कम करना चाहिए। दिन में कम से कम दो कप चाय या कॉफी लेने की सलाह दी जाती है।
धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें- अगर आप अपने जीवन में स्वस्थ शिशु को जन्म देना चाहते हैं तो दोनों को सिगरेट और शराब से दूरी बरतनी होगी।
फोलिक एसिड का सेवन- डॉक्टर के सलाह के अनुसार फोलिक एसिड का सेवन शुरू कर देना चाहिए। प्री-प्रेग्नेंसी से शुरू कर देने से चाइल्ड बर्थ-डिफेक्ट के खतरे को कम किया जा सकता है। हरी सब्जियों को डायट में शामिल करना शुरू कर देना चाहिए।
खान-पान का रखें ध्यान- प्री-प्रेग्नेंसी से माँ को अपने डायट में साग-सब्जी, अनाज, प्रोटीन और फल सब चीजों को शामिल करने की जरूरत है ताकि जेस्टेशनल डायबिटीज होने के खतरे को कम किया जा सके।
वजन कम करें- अगर आपका वजन सामान्य वजन से ज्यादा है तो अपने वजन को कम करने की कोशिश करें ताकि प्रेग्नेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर और जेस्टेशनल डायबिटीज होने से खुद को बचा सके।
दवाओं के बारे में डॉक्टर को बताएं- अगर होने वाली माँ किसी विशेष प्रकार का विटामिन या किसी एलर्जी आदि के लिए दवा या किसी बीमारी के लिए दवा लेती है तो इसके बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं।
अब तक के चर्चा से और हमारी एक्सपर्ट डॉ. नूपूर गुप्ता की सलाह से आप समझ ही चुके होंगे कि स्वस्थ शिशु को जन्म देने के लिए माँ और पिता दोनों को अपने जीवन में कुछ बदलाव और एहतियात बरतने की जरूरत है जिससे कि हँसता-खिलता बच्चा आपकी गोद में खेलें।
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