25 Apr 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
गर्भावस्था का आठवां महीना (8 Month Pregnancy In Hindi) प्रेग्नेंसी के आखिरी चरणों में शामिल होता है। यह गर्भावस्था के 29वें से 32वें सप्ताह के बीच का सफर होता है। वहीं, 8 महीने की गर्भावस्था पूरी होते है, लोग प्रसव का समय करीब आते गिनना शुरू कर देते हैं।
ऐसे में गर्भावस्था का आठवां महीना गर्भवती महिला व गर्भ में पल रहे शिशु के लिए पूरी तरह से सुरक्षित बना रहे, इसके लिए 8 महीने की गर्भावस्था से जुड़ी जानकारी होनी जरूरी है। यही खास वजह है कि बेबीचक्रा के इस लेख में हम 8 मंथ प्रेग्नेंसी इन हिंदी में बता रहे हैं।
प्रेग्नेंसी के आठवें महीने के लक्षण (8 Month Pregnancy Symptoms In Hindi) निम्नलिखित हो सकते हैं। ये लक्षण न सिर्फ गर्भवती महिला से जुड़े हो सकते हैं, बल्कि गर्भ में विकसित हो रहे शिशु के स्वास्थ्य का भी संकेत दे सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
बढ़ते गर्भाशय के आकार की वजह से गर्भवती महिला के फेफड़ों में सिकुड़न आ सकती है, जिस वजह से गर्भावस्था का आठवां महीना सांस से जुड़ी परेशानी का संकेत दे सकता है। इसके कारण गर्भवती को सांस लेने में तकलीफ व उसे सांस फूलने की समस्या हो सकती है। हालांकि, इसका शिशु के स्वास्थ्य पर किसी तरह का प्रभाव नहीं देखा जा सकता है।
बढ़े हुए गर्भाशय के कारण प्रेग्नेंसी के 8 महीने (Pregnancy Ka 8 Va Mahina) में गर्भवती महिलाओं में पीठ दर्द की समस्या भी बढ़ सकती है। इतना ही नहीं, इसके कारण उन्हें उठने, लेटने व बैठने में भी परेशानी हो सकती है।
8 महीने की गर्भावस्था (8 Month Pregnancy In Hindi) का चरण शुरू होते ही अधिकांश महिलाएं स्तनों से पीले या दूधिया रंग के गाढ़े द्रव के रिसाव का अनुभव कर सकती हैं। जिसे ‘कोलोस्ट्रम’ भी कहा जाता है। यह पूरी तरह से सामान्य होता है।
ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन को अभ्यास संकुचन या कृत्रिम संकुचन भी कहा जाता है। आमतौर पर, आठवें महीने की प्रेग्नेंसी (Eight Month Pregnancy in Hindi) में इसके लक्षण होना सामान्य माना जा सकता है। ऐसा होने पर गर्भवती महिला को गर्भाशय की मांसपेशियों में कसाव महसूस हो सकता है, जिससे कई बार उन्हें प्रसव होने का भ्रम भी हो सकता है।
प्रेग्नेंसी के आठवें महीने के लक्षण (8 Month Pregnancy Symptoms In Hindi) में कब्ज की समस्या भी शामिल हो सकती है, जिसकी वजह से गर्भवती महिला को बवासीर की समस्या भी हो सकती है।
प्रेग्नेंसी के आठवें महीने के लक्षण (Eight Month Pregnancy in Hindi) जानने के बाद, अब पढ़ें 8 महीने की प्रेग्नेंसी में होने वाले शारीरिक बदलावों के बारे में, जो निम्नलिखित हैंः
गर्भावस्था का आठवां महीना (8th Month Pregnancy in Hindi) शुरू होते ही पेट का आकार काफी बढ़ा हो गया होगा। इस वजह से गर्भवती महिला के पेट की तरफ लोगों का ध्यान भी तेजी से आकर्षित हो सकता है।
गर्भावस्था का आठवां महीना यानी गर्भावस्था का अधिक बढ़ना। इस वजह से मूत्राशय पर भी अधिक दबाव पड़ सकता है, जिससे गर्भवती महिला को बार-बार पेशाब जाने की इच्छा हो सकती है।
प्रेग्नेंसी के 8 महीने (8th Month Pregnancy in Hindi) नींद से जुड़ी परेशानी भी उत्पन्न कर सकते हैं। दरअसल, एक तरफ जहां बढ़े हुए पेट के कारण लेटने में परेशानी हो सकती है, वहीं दूसरी तरफ बार-बार पेशाब जाने की इच्छा के कारण भी नींद खराब हो सकती है। यही कारण है कि अधिकतर गर्भवती महिलाएं 8 महीने की गर्भावस्था में अनिद्रा के लक्षण भी महसूस कर सकती हैं।
आठवें महीने की प्रेग्नेंसी (8 Mahine Ki Pregnancy) में पेट के निचले हिस्से, जांघों व कमर के ऊपर के हिस्से में स्ट्रेच मार्क्स के कारण बनी हुई लकीरें भी देखी जा सकती हैं।
वेरिकोज वेन्स की समस्या होने पर त्वचा पर नसें सामान्य से उभरी हुई नजर आ सकती हैं। दरअसल, ऐसे गर्भाशय व शरीर के निचले हिस्से पर बढ़ते बार के कारण हो सकता है, जिसे सामान्य माना जा सकता है।
प्रेग्नेंसी का 8 मंथ इन हिंदी (8 Mahine Ki Pregnancy) में पढ़ रहे हैं, तो यह भी समझें कि गर्भावस्था का आठवां महीना आते ही गर्भवती महिला सीने में जलन भी महसूस कर सकती है। इसके लक्षण खासतौर पर रात में सोते समय अधिक हो सकते हैं।
8 महीने की प्रेग्नेंसी के दौरान हाथों व पैरों में सूजन की समस्या भी बढ़ सकती है, जिसे भी सामान्य माना जा सकता है। हालांकि, अगर सूजन के साथ ही तेज दर्द का अनुभव हो, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
गर्भावस्था का 8वां महीना (Pregnancy Ka 8 Month in Hindi) शुरू होते ही कुछ महिलाएं योनि से एम्नियोटिक द्रव का रिसाव भी महसूस कर सकती हैं। इससे तेज दुर्गंध आ सकती है और यह पीला या मटैला रंग का चिपचिपा पदार्थ जैसा दिखाई दे सकता है।
गर्भावस्था का आठवां महीना आते-आते काफी हद तक शारीरिक रूप से शिशु विकास हो गया होता है। उसके कई शारीरिक अंग पूरी तरह से विकसित हो चुके होते हैं। आठवें महीने की प्रेग्नेंसी में शिशु के विकास व आकार के बारे में विस्तार से नीचे बताया गया है।
गर्भावस्था का आठवां महीना (Pregnancy Ka 8 Month in Hindi) कई तरह से उतार-चढ़ाव से भरा हो सकता है। ऐसे में गर्भवती महिला की देखभाल के प्रति अधिक सजग रहने की आवश्यकता हो सकती है। आठवें महीने की प्रेग्नेंसी में गर्भवती महिला की देखभाल के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इससे जुड़ी जानकारी नीचे पढ़ें।
8 महीने की गर्भावस्था में क्या खाएं, वो हम नीचे विस्तार से बता रहे हैंः
8 महीने की प्रेग्नेंसी होने पर अपने आहार में फाइबर की मात्रा जरूर शामिल करें। फाइबर युक्त भोजन खाने से प्रेग्नेंसी में कब्ज, गैस व बवासीर के होने का जोखिम कम किया जा सकता है। इसके लिए आहार दैनिक आहार में ओट्स, मौसमी फल, एवोकाडो व हरी सब्जियां शामिल की जा सकती हैं।
गर्भावस्था की आखिरी तिमाही यानी आठवें महीने की प्रेग्नेंसी में विटामिन व मिनरल युक्त खाद्य पदार्थ डाइट में शामिल करें। इस दौरान माँ व शिशु को आयरन के साथ ही, कैल्शियम की भी अधिक आवश्यकता होती है। इसलिए, दैनिक आहर में आयरन व कैल्शियम का सेवन भी उचित मात्रा में करें। इसके लिए आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, ड्राई फ्रूट्स, बीन्स व डेयरी उत्पाद को शामिल किया जा सकता है।
गर्भावस्था का 8वां महीना (Pregnancy Ka 8 Va Mahina) शारीरिक बदलावों से भरा होता है। इस दौरान गर्भवती महिला अधिक थकान भी महसूस कर सकती हैं। ऐसे में शरीर की ऊर्जा बनाए रखने के लिए कार्बोहाइड्रेट समेत आहार में प्रोटीन और वसा की मात्रा भी जरूर शामिल करें। इनकी पूर्ति के लिए आहार में मछली, सोया, दूध, बीन्स, टोफू, अंडा, शकरकंद, सूखे मेवे व आलू जैसे खाद्य शामिल किए जा सकते हैं।
8 महीने की प्रेग्नेंसी में कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज भी करना जरूरी माना गया है, जिनमें शामिल हैंः
8 महीने की प्रेग्नेंसी के दौरान कैफीन का सेवन कम से कम करना चाहिए। इसके लिए गर्भवती महिला को चाय, कॉफी या तॉकलवेट का सेवन करने से परहेज करना चाहिए।
8 महीने की गर्भावस्था में अनपाश्चराइज्ड मिल्क यानी गैर पॉश्चयरयुक्त दूध का सेवन भी नहीं करना चाहिए। यह गर्भवती महिला में संक्रमण का जोखिम उत्पन्न कर सकते हैं।
आठवें महीने की प्रेग्नेंसी में हमेशा लो मरकरी वाली मछली का ही सेवन करें। अगर मछली में मरकरी की अधिक मात्रा है, तो गर्भपात का कारण बन सकती हैं। इसलिए, 8 महीने की प्रेग्नेंसी में शार्क व किंग मैकरल जैसी समुद्री मछलियां न खाएं।
8 महीने की प्रेग्नेंसी में गर्भवती महिला को कच्चा भोजन भी नहीं करना चाहिए। इस दौरान उसे कच्चा अंडे से लेकर, कच्चा मांस व अंकुरित आनाज बी खाने से परहेज करना चाहिए।
गर्भावस्था का आठवां महीना सुरक्षित व स्वस्थ बनाना चाहती हैं, तो किसी भी तरह के नशीले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। ये माँ व शिशु के स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरे हो सकते हैं।
गर्भावस्था का आठवां महीना स्वस्थ बनाने के लिए गर्भवती महिलाएं कुछ तरह के व्यायाम व योग भी कर सकती हैं। हालांकि, ऐसा डॉक्टर की सलाह व अनुभवी ट्रेनर की देखरेख में ही करना चाहिए। गर्भावस्था के आठवें महीने के दौरान किस तरह के व्यायम किए जा सकते हैं, वो निम्नलिखित हैंः
8 महीने की गर्भावस्था होने पर कुछ तरह के स्कैन व परीक्षण भी कराएं जाते हैं, जिसमें शामिल हैंः
प्रेग्नेंसी का 8वां महीना गर्भवती महिला के लिए कुछ तरह के जोखिम भी उत्पन्न कर सकता है, जो माँ बनने से जुड़ी चिंताओं को बढ़ा सकता है, जैसेः
प्रेग्नेंसी का 8वां महीना गर्भावस्था में बढ़े हुए रक्तचाप का कारण बन सकता है। ऐसे में अगर प्रेग्नेंसी से पहले ही महिला को उच्च रक्तचाप की समस्या है, तो उन्हें गर्भावस्था के दौरान क्रोनिक हाइपरटेंशन (Chronic Hypertension) होने को जखिम बढ़ सकता है।
वहीं, ऐसे महिलाएं जिन्हें गर्भावस्था के दौरान या प्रेग्नेंसी का 8वां महीना लगने पर उच्च रक्तचाप की समस्या होती है, तो ऐसी स्थिति को जेस्टेशनल हाइपरटेंशन (Gestational Hypertension) यानी गर्भकालीन उच्च रक्तचाप कहा जाता है।
प्री-एक्लेमप्सिया (Pre-Eclampsia) भी बढ़े हुए रक्तचाप का ही एक प्रकार होता है। ऐसा होने पर महिला के यूरिन में प्रोटीन की मात्रा सामान्य से अधिक हो सकती है। यह एक इमरजेंसी मेडिकल कंडीशन भी हो सकती है।
प्रेग्नेंसी का 8वां महीना बच्चे की डिलीवरी व उसके स्वास्थ्य से जुड़े कुछ जोखिम भी उत्पन्न कर सकता है, जैसेः
प्रीटर्म लेबर यानी समय पूर्व प्रसव का जोखिम हो सकता है। दरअसल, आठवें महीने की प्रेग्नेंसी में कुछ शिशु गर्भ में सिफेलिक पोजीशन में हो सकते हैं। इस वजह से अगर प्लेसेंटा से जुड़ी कोई परेशानी होती है, तो डॉक्टर तत्काल प्रभाव से डिलीवरी करवाने की सलाह दे सकते हैं।
समय पूर्व डिलीवरी से जन्में शिशु में अविकसित फेफड़े होने की आशंका हो सकती है। ऐसी स्थिति में शिशु के जन्म के बाद डॉक्चर उसे एनआईसीयू यानी नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में रखने का फैसला कर सकते हैं। जहां पर शिशु के स्वास्थ्य व उसके फेफड़ों की देखरेख की जाती है।
गर्भावस्था का आठवां महीना पेरेंट्स बनने की खुशी व उत्साह को काफी बढ़ा सकता है। इस दौरान माँ के स्वास्थ्य के प्रति विशेष रूप से सजग रहना चाहिए। इस दौरान पति की भी कुछ जिम्मेदार हो सकती हैं, जिसे वो कैसे पूरी कर सकते हैं, यह पर हम उसके लिए कुछ टिप्स दे रहे हैं।
हो सकता है कि शिशु के जन्म को लेकर पति के अपनी कुछ योजनाएं हो। ऐसे में अगर आठवें महीने की प्रेग्नेंसी में समय से पहले शिशु का जन्म हो जाए, तो उसका स्वागत करने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार रखें। समय पूर्व प्रसव को लेकर चिंता न करें।
शिशु के जन्म के बाद उसकी देखभाल कैसे करनी है, उसे कितना समय देना और उसके परवरिश में पति का योगदान कितना होगा, इस बारे में विचार करना शुरू कर दें। बेहतर होगा अगर इन सभी जिम्मेदारियों के लिए एक डायरी तैयार करें।
शिशु की देखभाल से लेकर, उसके विकास व पढ़ाई के दौरान किस तरह से आर्थिक जरुरतों को पूरा करेंगे, इसे लेकर भी अपनी योजना बनाएं। इस बारे में अपनी चिंता कम करने के लिए चाइल्ड हेल्थ इंश्योरेंश की योजना भी शुरू कर सकते हैं।
प्रसव का समय करीब आते देखकर गर्भवती महिला के मन में कई तरह के सकारात्मक व नकारात्मक विचार आ सकते हैं। ऐसे में पति को अपनी पत्नी का हौसला बढ़ाना चाहिए। उनसे खुलकर बात करनी चाहिए, ताकि पत्नी अपने मन के विचार जाहिर कर सकें।
चाहे गर्भावस्था का आठवां महीना हो या फिर कोई भी पड़ाव हो, हर स्थिति में पति को घर के कामों में भी भी अपनी जिम्मेदारी की भूमिका निभानी चाहिए। खासकर प्रेग्नेंसी के 8 महीने की बात करें, तो इस दौरान पति अपनी पत्नी के लिए खाना बना सकते हैं, कमरा साफ कर सकते हैं और समय पर दवाओं की खुराक लेने का भी ध्यान रख सकते हैं।
आठवें महीने में गर्भवती महिला को सीने में जलन, कब्ज के कारण बवासीर, पीठ दर्द व सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
गर्भ में 8 महीने का शिशु लगभग 14 इंच तक बड़ा हो सकता है।
अगर गर्भवती महिला का बीएमआई 18.5 से कम है यानी वह अंडरवेट है, तो गर्भावस्था के आठवें महीने में उनका वजन सामान्य से 14 से 18 किलो तक बढ़ सकता है। वहीं, अगर गर्भवती महिला का बीएमआई सामान्य है, तो गर्भावस्था के दौरान महिला का वजन लगभग 11 से 16 किलो तक बढ़ सकता है।
34 सप्ताह का गर्भ 8 महीने का होता है।
8 महीने की गर्भावस्था प्रेग्नेंसी का नाजुक पड़ाव होता है। इस दौरान गर्भवती महिला को देखभाल की अधिक जरूरत होती है। अगर गर्भवती महिला पति व परिवार के साथ रहती है, तो 8 महीने की गर्भावस्था से जुड़ी जिम्मेदारी को परिवार के अन्य पूरा कर सकते हैं। वहीं, अगर गर्भवती महिला अकेले रहती हैं, तो इस दौरान अपनी देखभाल के लिए वे आया या नर्स की भी मदद ले सकती हैं।
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.