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नवजात शिशु के लिए विटामिन डी क्यों महत्वपूर्ण है?

नवजात शिशु के लिए विटामिन डी क्यों महत्वपूर्ण है?

8 Nov 2021 | 1 min Read

Ankita Mishra

Author | 409 Articles

नवजात शिशु के संपूर्ण व अच्छे विकास के लिए विटामिन्स और मिनरल्स की भी आवश्यकता होती है। इसलिए, शिशु के विकास में हर विटामिन की अपनी अलग भूमिका होती है। ऐसी उपयोगी विटामिन में एक नाम शामिल है बच्चे के लिए विटामिन डी 3 की खुराक। यही खास वजह भी है कि बेबीचक्रा के इस ब्लॉग में हम आपको बच्चे के लिए विटामिन डी 3 की खुराक व विटामिन डी की कमी के लक्षणों (Vitamin D Ki Kami Ke Lakshan) के बारे में बताने वाले हैं। 

साथ ही, इस लेख में आप बच्चों में विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग का नाम भी पढ़ेंगे। तो स्क्रॉल करें और पढ़ें बच्चे के लिए विटामिन डी 3 की खुराक से संबंधी अहम जानकारी।

नवजात शिशु के लिए विटामिन डी क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is Vitamin D Important for a Newborn in Hindi?)

सबसे पहले तो यह समझें कि विटामिन डी क्या है। मुख्य तौर पर हमारे शरीर में विटामिन डी के दो प्रकार पाए जाते हैं, जिनमें शामिल है — विटामिन डी 2 और विटामिन डी 3। जिनके बीच का अंतर नीचे इस तरह बताया गया हैः

  • विटामिन डी 2 – विटामिन डी2 विभिन्न प्रकार के शाकाहारी, मांसाहारी व अन्य खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। यह वसा में घुलनशील होता है। 
  • विटामिन डी 3 – विटामिन डी3 का स्रोत सूर्य का प्रकाश होता है। सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर हमारे शरीर में विटामिन डी3 का निर्माण होता है। 

दोनों ही तरह के विटामिन डी हड्डियों के साथ ही खून में भी मौजूद होते हैं। वहीं, शिशुओं व छोटे बच्चे के लिए विटामिन डी 3 की खुराक क्यों अहम होती है, यह शरीर के उचित विकास की भागीदारी से जुड़ा है, जैसेः

  • बच्चे के शरीर में विटामिन डी एक पोषक तत्व के रूप में कार्य करता है। 
  • विटामिन डी शरीर को खाद्य पदार्थों से मिलने वाले कैल्शियम को अवशोषित कर सकता है।
  • वहीं, कैल्शियम व विटामिन डी के मिश्रण से शरीर में हड्डियों का निर्माण होता है और उन्हें मजबूती मिलती है। 
  • इसके अलावा, विटामिन डी के आहार हृदय स्वास्थ्य के साथ ही, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता, चोट लगने के बाद हड्डियों के फ्रैक्चर व चोट को जल्दी ठीक करने में भी मददगार माने जा सकते हैं। 
  • शिशुओं के लिए विटामिन डी के आहार मस्तिष्क व दांतों के विकास में उपयोगी माने जाते हैं। 

शिशुओं में विटामिन-डी की कमी क्या है?(What is the Normal Range for Vitamin D in Babies in Hindi?)

अगर किसी कारणवश बच्चे के लिए विटामिन डी 3 की खुराक में कमी हो जाए, तो धीरे-धीरे उसके शरीर में विटामिन डी का स्तर भी कम हो सकता है। अगर यही स्तर घटकर 30 नैनोमोल प्रति लीटर से कम हो जाए, तो इसे ही बच्चों के शरीर में विटामिन डी की कमी के लक्षणों (Vitamin D Ki Kami Ke Lakshan) में शामिल किया जा सकता है। 

मेडिकल टर्म में इसे बच्चों में विटामिन डी डेफिशिएंसी (Vitamin D Deficiency In Kids) भी कहा जाता है। वहीं, बच्चों में विटामिन डी की कमी के लक्षण होने पर उनकी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, हड्डियों का विकास धीमा हो सकता है और दौरे जैसे स्वास्थ्य परेशानियां होने का जोखिम भी बढ़ सकता है।

बच्चों में विटामिन डी की कमी के लक्षण (Symptoms of Vitamin D Deficiency in Children in Hindi)

बच्चों में विटामिन डी की कमी के लक्षण (Vitamin D Ki Kami Ke Lakshan) निम्नलिखित हो सकते हैं, जैसेः

  • बच्चे की हड्डियों में बार-बार फ्रैक्चर होना
  • बच्चे का देर से चलना
  • बार-बार निमोनिया होना
  • कलाई पर सूजन होना
  • कमजोर मांसपेशियां
  • दौरे आना
  • बच्चे का पेट निकलना
  • उम्र के अनुसार शरीर का धीमा विकास होना
  • हड्डियों के घनत्व में कमी
  • बच्चे का सुस्त रहना या जल्दी थक जाना
  • बच्चे में चिड़चिड़ापन
  • घुटनों के नीचे से मुड़े हुए या टेढ़ें पैर
  • बच्चे के पैरों में बिना किसी कारण दर्द होना

बच्चों में विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग का नाम (Disease caused by Deficiency of Vitamin D in Babies in Hindi)

बच्चों में विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग में कई बीमारियों के नाम शामिल हैं। आमतौर पर देखा जाए, तो एक नवजात शिशुि के लिए माँ के गर्भ से ही उसके लिए विटामिन डी की उचित खुराक की पूर्ति होनी चाहिए। इसके बाद जन्म के शुरू के 6 माह तक बच्चे के लिए विटामिन डी 3 की खुराक माँ का स्तनपान होता है। 

ऐसे में अगर गर्भावस्था के दौरान या स्तनपान के दौरान माँ के शरीर में विटामिन डी की कमी होती है, तो इसका सीधा असर माँ के स्वास्थ्य के साथ ही बच्चे के स्वास्थ्य पर भी देखा जा सकता है। इसके कारण बच्चों में विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग निम्नलिखित हो सकते हैंः

  • विटामिन डी की कमी के कारण बच्चों के पैर टेढ़े-मेढ़े हो सकते हैं। 
  • बच्चे की रीढ़ की हड्डी टेढ़ी या मुड़ी हुई हो सकती है।
  • बच्चे के सिर की हड्डियां जगह-जगह से मुलायम हो सकती हैं और उन जगहों पर बच्चे के सिर पर गड्ढा जैसा आकार बन सकता है।
  • शिशुओं की मांसपेशियां सामान्य से अधिक लचीली हो सकती हैं।
  • विटामिन डी की कमी वाले बच्चों को घुटनों के बल चलने में परेशानी हो सकती है।
  • ऐसे बच्चे खड़े होने व चलने में सामान्य से अधिक समय ले सकते हैं।
  • विटामिन डी की कमी वाले वाले बच्चे बार-बार संक्रमण के कारण बीमार हो सकते हैं। 
  • इनके हड्डियों का घनत्व कम हो सकता है और इनमें ऑस्टियोपोरोसिस रोग हो सकता है। यह रोग खासतौर पर कमजोर हड्डियों के लिए जाना जाता है।
  • बच्चे को रिकेट्स हो सकता है। रिकेट्स होने पर बच्चे की हड्डियां लचीली हो जाती हैं।

बच्चों में विटामिन डी की कमी के कारण (Causes of Vitamin D Deficiency in Children in Hindi)

बच्चों में विटामिन डी की कमी के कारण कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः

  • गर्भावस्था के दौरान माँ के शरीर में विटामिन डी की कमी होना।
  • स्तनपान के दौरान माँ के शरीर में विटामिन डी या विटामिन डी के आहार की कमी होना।
  • बच्चे के आहार में विटामिन डी के आहार कम शामिल करना।
  • बच्चे को मालएब्जॉर्प्शन की समस्या होना, इसके होने पर शरीर विटामिन डी के आहार से विटामिन डी का अवशोषण नहीं कर पाता है।
  • बच्चे का सूर्य के प्रकाश में बहुत कम या न जाना।
  • बच्चे को लिवर या किडनी से जुड़ी बीमारी होना।

बच्चों में विटामिन डी की कमी को कैसे दूर करें (How to Treat Vitamin D Deficiency in Children in Hindi)

बच्चों में विटामिन डी की कमी को कैसे दूर करें, मौजूदा समय में इसके कई सफल इलाज की प्रक्रिया व उपाय उपलब्ध हैं। यही वजह है कि अगर किसी बच्चे में विटामिन डी की कमी के लक्षणों (Vitamin D Ki Kami Ke Lakshan) की पहचान होती है, तो बिना चिंतित हुए आसानी से उसका उपचार किया जा सकता है। नीचे हम बच्चों में विटामिन डी की कमी को कैसे दूर करें, इसके कुछ कारगर इलाज व उपाय बता रहे हैं।

सुबह व शाम के समय धूप में जाना

सुबह व शाम के समय बच्चे को कम से कम कुछ मिनट के लिए धूप में ले जाएं। इसका एक सबसे अच्छा तरीका है, बच्चे को आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रोत्साहित करना। दरअसल, जब बच्चा घर के बाहर खेल खेलेगा, तो वह आसानी से सूर्य की रोशनी के संपर्क में आ सकता है और इस तरह विटामिन डी की कमी के लक्षणों (Vitamin D Ki Kami Ke Lakshan) को दूर किया जा सकता है।

डाइट में विटामिन डी के आहार शामिल करना

स्तानपान कराने वाली माँ से लेकर बच्चे की डाइट में भी विटामिन डी के आहार शामिल करें। विटामिन डी के आहार आसानी से बच्चों में विटामिन डी की कमी के लक्षण (Vitamin D Ki Kami Ke Lakshan) दूर कर सकते हैं और विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग का जोखिम भी कम कर सकते हैं। 

निम्नलिखित खाद्यों को विटामिन डी के आहार में शामिल किया जा सकता है, जैसेः

  • मछली 
  • मछली का तेल
  • अंडा
  • मशरूम
  • चीज
  • दूध
  • दही
  • फलों का जूस
  • अनाज 

विटामिन डी सप्लीमेंट्स

अगर बच्चे के लिए विटामिन डी 3 की खुराक खाद्य के जरिए पूरी नहीं हो पा रही है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह के अनुसार बच्चे को विटामिन डी सप्लीमेंट्स दिया जा सकता है। विटामिन डी सप्लीमेंट्स शरीर में विटामिन डी की कमी को पूरा कर सकते हैं और विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग से न सिर्फ बचाव कर सकते हैं, बल्कि उनके इलाज में भी मदद कर सकते हैं। 

उम्र के अनुसार बच्चे के लिए विटामिन डी की खुराक कितनी होनी चाहिए (Dosage of Vitamin D for Children in Hindi)

बच्चे के लिए विटामिन डी की खुराक कितनी होनी चाहिए, यह बच्चे की उम्र के अनुसार निरधारित किया जा सकता है, जो इस प्रकार हैंः

  • 0 से 12 माह के शिशुओं के लिए विटामिन डी की खुराक – 400 IU (10 माइक्रोग्राम (एमसीजी) प्रतिदिन)
  • 1 से 8 वर्ष के बच्चों के लिए विटामिन डी की खुराक – 600 IU (15 माइक्रोग्राम (एमसीजी) प्रतिदिन)
  • 9 वर्ष व उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए विटामिन डी की खुराक – 600 IU (15 माइक्रोग्राम (एमसीजी) प्रतिदिन)

नोटः ध्यान रखें कि प्रतिदिन बच्चों के लिए विटामिन डी की खुराक 600 IU की मात्रा तक की सीमित रखें। इससे अधिक मात्रा में बच्चों को विटामिन डी की खुराक देना उनके लिए हानिकारक हो सकता है। 

बच्चों के लिए विटामिन डी के आहार (Vitamin D Diet for Children in Hindi)

उम्र के अनुसार बच्चों के लिए विटामिन डी के आहार उनकी डाइट में शामिल किए जा सकते हैं। ध्यान रखें कि जब तक बच्चा 6 माह से अधिक उम्र का न हो जाए, तब तक बच्चे के लिए विटामिन डी 3 की खुराक माँ का स्तनपान ही होता है। इसलिए, इस दौरान माँ की डाइट में विटामिन डी के आहार उचित मात्रा में जरूर शामिल करें। 

6 माह से अधिक उम्र के शिशुओं की डाइट में शामिल किए जाने वाले विटामिन डी के आहार

  • फोर्टिफाइड दूध, सोया मिल्क, राइस मिल्क और इंफेन्ट फॉर्मूला मिल्क
  • फोर्टिफाइड ऑरेन्ज जूस
  • फोर्टिफाइड सिरियल
  • चीज

1 वर्ष व उससे अधिक आयु के बच्चों की डाइट में शामिल किए जाने वाले विटामिन डी के आहार

  • सैल्मन व मैकेरल फिश
  • अंडा
  • मशरूम
  • साबुत अनाज
  • गाय का दूध
  • दही
  • फलों का रस

तो आप जान चुके हैं कि बच्चे के लिए विटामिन डी 3 की खुराक क्यों जरूरी है और विटामिन डी की कमी के लक्षणों (Vitamin D Ki Kami Ke Lakshan) की कैसे पहचान की जाए। एक बात और ध्यान रखें कि अगर बच्चे की डाइट में विटामिन डी के आहार की अधिक मात्रा शामिल की जाए, तो इससे उसे गुर्दे में पथरी होने का जोखिम हो सकता है। इसलिए, बच्चों में विटामिन डी की कमी के लक्षण (Vitamin D Ki Kami Ke Lakshan) दिखाई देने पर डॉक्टर से संपर्क करें और उनकी सलाह के अनुसार बच्चे की डाइट में विटामिन डी के आहार व सप्लीमेंट्स शामिल करें। 

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