28 Oct 2021 | 1 min Read
Medically reviewed by
Author | Articles
गर्भावस्था में पहली तिमाही में काफी सजग और सतर्क रहना पड़ता है। लेकिन तीसरी तिमाही में विशेष ध्यान रखना होता है क्योंकि अब कभी भी प्रसव पीड़ा हो सकती है। शिशु के आगमन को लेकर जितना उत्साह रहता है उतना मन में डर और घबराहट भी होती है। कि क्या होगा, सब ठीक होगा या नहीं। इसलिए गर्भावस्था की तीसरी तिमाही की तीन महत्वपूर्ण बातें अवश्य ध्यान रखें।
मानसिक रूप से मजबूत होना- गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में अक्सर घबराहट होने लगती है। इसलिए इस दौरान मेंटली स्ट्रांग रहे कि आपको कैसे नवजात शिशु को संभालना है। इसके लिए पहले से ही तैयारी करें कि आपने मैटरनिटी बैग में क्या रखा है या नहीं। अपने लिए नर्सिंग ब्रा, मैटरनिटी गाउन यह सब खरीदें। क्योंकि यह सब भी उतना आवश्यक है जितना अन्य चीजें। अगर आप सारी चीजों का इंतजाम पहले करके रखेंगी तो इतनी मुश्किल नहीं होगी। शिशु को संभालने के लिए आप अपने पति और अन्य घरवालों की भी मदद लें।
मेडिटेशन- गर्भावस्था में मानसिक तनाव होना सामान्य है। इसलिए मेडिटेशन को अपने रुटीन में शामिल करें। रोजाना कुछ मिनट के लिए वॉक, ध्यान लगाना, एक्सरसाइज करना। यह सारी चीजें तनाव को कम करती है। रोज सुबह उठने के बाद मेडिटेशन करें, इससे आपका स्ट्रेस काफी कम होगा। मन में किसी तरह की चिंता नहीं रखें, क्योंकि प्रेगनेंसी में तनाव का सीधा असर गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है।
फाइनेंस प्लानिंग- गर्भावस्था में फाइनेंस प्लान करना जरूरी होता है। इसलिए अपना बजट और सेविंग बच्चे की जरुरत के हिसाब से ही करे। क्योंकि शिशु के जन्म के बाद आपको काफी चीजों का ध्यान रखना होता है। जैसे कि शिशु का टीकाकरण, भविष्य की बचत योजनाएं, दवाइयां अन्य जरूरत के लिए आपको बजट ठीक करना होगा। शिशु के जन्म के बाद जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती है। ऐसे में नए माता-पिता के लिए सभी चीजों को बैलेंस करना मुश्किल हो सकता है।
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान अवश्य रखें। मातृत्व के इस सफर को अच्छी तरह से रोमांचक बनाएं।
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.