27 Sep 2021 | 1 min Read
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रीना इन दिनों काफी परेशान सी थी। रीना की 4 साल की बेटी गौरी कहीं भी अकेले जाने में डरती। ऐसा नहीं था कि रीना उसे कहीं बाहर भेजती। बल्कि गौरी एक कमरे से दूसरे कमरे में भी जाने से डरती थी। घर पर कोई आता तो बात करने में हिचकिचाती थी। रीना के अलावा ऐसे बहुत से पैरेंटस अपने बच्चों के इस डर से परेशान रहते है।
आखिर बच्चों के इस डर की वजह क्या है? इसका मानसिक रुप से क्या असर होता है।
जब बच्चे स्वंय को अकेला महसूस करते है। वर्किंग पैरेंट हो या फिर नॅान वर्किंग बच्चों के लिए माता-पिता का साथ बहुत जरुरी होता है। जन्म के बाद सबसे पहले बच्चा अपनी माॅं को पहचाना शुरु करता है। धीरे-धीरे घर के अन्य सदस्यों को लेकिन बच्चों में यह डर भावना कब से पनपने लगती है ?
बच्चों के अंदर इस तरह के डर के कारण
एक पैरेंटस होने के नाते सबके ऊपर जिम्मेदारी होती है। अक्सर इन्हीं जिम्मेदारियों की वजह से हम पैरेंटस अपने बच्चों को नजर अंदाज कर देते है। इसका नतीजा होता है बच्चे में आत्मविश्वास की कमी। जिसके चलते बच्चे डरने लगते है। यही डरना बच्चों के लिए मानसिक परेशानी बन जाता है।
कैसे जाने की बच्चा मानसिक तौर से परेशान है
इसके अलावा ऐसे बहुत से लक्षण होते है, जिनसे यह पता चलता है कि बच्चा मानसिक रुप से परेशान है। लेकिन एक पैरेंटस ही बच्चों के इस डर को दूर कर सकते है। आप अपने बच्चे को समय दे। बच्चों की डाइट का पूरा ध्यान रखे। किसी के भी सामने बच्चों के ऊपर चिल्लाए नहीं। अपने बच्चों से यह मत कहे कि देखों वह कितना अच्छा है और तुम कैसे हो।
अगर बच्चा बहुत ज्यादा डरता है तो बच्चे को अकेला नहीं रहने दो। अपने बच्चे पर पूरी तरह से भरोसा दिलाए कि तुम सबसे परफेक्ट हो। स्कूल में अगर बच्चा किसी बात से परेशान है तो टीचर से बात करे। आप चाहे तो इसमें चाइल्ड साइकोलिजिस्ट की भी सलाह ले सकते है।
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