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आपको भी जानने चाहिए गर्भवती महिलाओं के कानूनी अधिकार

आपको भी जानने चाहिए गर्भवती महिलाओं के कानूनी अधिकार

7 Nov 2019 | 1 min Read

भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को समानता का अधिकार मिला हुआ है। परंतु देश में महिलाओं की स्थिति अच्छी न होने के कारण उसकी सुरक्षा और विकास के लिए कई विशेष कानूनी अधिकार मिले हुए हैं। इसी के मद्देनजर महिलाओं को मातृत्व और प्रसूति सहायता से संबंधित कई अधिकार दिए गए हैं। आज हम गर्भवती महिलाओं के कानूनी हक और उनको मिलने वाली सुविधाओं का जिक्र करेंगे।

महिलाओं के गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद कई कानूनी अधिकार  मिले हुए हैं। अधिकतर महिलाओं को इन नियम-कानून, सुविधाओं की जानकारी न होने के कारण वे इसका लाभ नहीं उठा पाती हैं। सरकार ने शहरी और ग्रामीण गर्भवती महिलाओं को कई सुविधाएं भी दी हैं। हर गर्भवती महिला को इनके बारे में मालूमात कर लेनी चाहिए।

भारतीय कानून के अनुसार गर्भवती महिलाओं के कुछ  अधिकार निम्न हैंः

 

 

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  • कामकाजी महिलाओं को वेतन सहित 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश
  • प्रसव के बाद 6 माह का मातृत्व अवकाश (सभी जगह लागू नहीं)
  • गर्भपात संबंधी अधिकार
  • मुफ्त सरकारी इलाज
  • मुफ्त टीकाकरण जच्चा और बच्चा दोनों
  • मुफ्त एंबुलेंस की सुविधा
  • रेल सफर में नीचे की बर्थ
  • सरकारी मातृत्व योजनाएं
  • जननी सुरक्षा योजना

इनमें से कई योजनाएं शहरी और कामकाजी महिलाओं के लिए हैं तो कुछ योजनाएं ग्रामीण महिलाओं के हितों को ध्यान में रख कर बनाई गई हैं। आइए इन पर एक नजर डालते हैं-

 

1. मैटरनिटी मैटर्निटी बेनीफिट एक्ट के तहत अब नियम-शर्तें पूरी करने पर कामकाजी महिलाओं को 26 सप्ताह की पेड मैटर्निटी लीव मिलेगी। इस दौरान महिला को पूरी सैलरी और तय भत्ते दिए जाते रहेंगे। अगर गर्भवती महिला बीमार हो तो उसे इसी बीच एक महीने का अवकाश दिया जा सकता है। महिला को इस दौरान नौकरी से निकाला नहीं जाएगा। नियम-शर्तों के अनुसार वह स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की भी हकदार है।

2. भारत सरकार की मातृत्व वंदना योजना के तहत गर्भवती महिला को कुल 6000 रुपये तक का आर्थिक लाभ मिलेगा ताकि वह अपने बच्चे की परवरिश अच्छे से कर सके।

3. राज्यों और ग्रामीण इलाकों में गर्भवती महिलाओं को चिकित्‍सा सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। जिसमें गर्भवती और शिशु के लिए जरूरी दवाएं और टीकाकरण शामिल है।

4. गर्भपात के लिए महिला की सहमति जरूरी है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महिला का अपने शरीर पर संपूर्ण अधिकार है। महिला को इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। अगर महिला को गर्भपात जैसी समस्या का सामना करना पड़ता हैं तो महिला को छह सप्ताह की छुट्टी देने का प्रावधान है।

5. केंद्र सरकार ने एक नई योजना ‘सुमन’ योजना के तहत हर गर्भवती महिला को सुरक्षित मातृत्व की गांरटी दी जाएगी। इतना ही नहीं इसके तहत गर्भवती महिला चार बार मुफ्त इलाज करा सकेगी।

6. प्रसव के पहले और बाद में मुफ्त एंबुलेंस भी उपलब्ध है। टोल फ्री नंबर 102 और 108 पर कॉल कर अस्पताल जाने के लिए मुफ्त एंबुलेंस मंगाई जा सकती है।

 

 

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7. गर्भवती महिलाओं के लिए अलग से कॉलम है। उन्हें रिजर्वेशन में लोअर कोटे में सीट की सुविधा दी जाएगी। लोअर बर्थ की सुविधा लेने के लिए डॉक्टर का सर्टिफिकेट भी लगाना होगा।

8. केंद्र सरकार की मातृत्व लाभ योजना के तहत गर्भवती और शिशु को दूध पिलाने वाली महिलाओं को सरकार आर्थिक मदद देती है. इसे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) कहा जाता है।

9. जननी सुरक्षा योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत एक सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य गरीब गर्भवती महिलाओं के संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देना है. केंद्र सरकार इसके लिए गर्भवती महिलाओं को आर्थिक मदद देती है।

10. महाराष्ट्र सरकार के परिवहन विभाग ने सरकारी बसों में गर्भवती महिला यात्रियों के लिए सीटें आरक्षित रखी हैं।

देश भर में केंद्र सरकार और राज्य सरकार तथा जिला स्तर पर गर्भवती महिलाओं की सुविधा, सुरक्षा, चिकित्सा और आर्थिक स्तर पर बल देने के लिए कई योजनाएं चला रखी हैं। आप भी अपने क्षेत्र में इन योजनाओं का पता लगा कर अपने कानूनी अधिकारों का लाभ उथा सकती हैं।

 

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