29 Jul 2019 | 1 min Read
सुमन सारस्वत
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इधर आसमान में मानसूनी बादलों ने झड़ी लगा रखी है उधर लड़कियों ने खेल के मैदान में स्वर्ण पदकों की।
वैसे तो सालभर में देश-विदेश में खेल प्रतियोगिताएं चलती रहती हैं मगर इस समय मॉनसून में देश की बेटियों ने विदेशी धरती पर एक-एक करके कई गोल्ड मेडल जीत कर देश का गौरव बढ़ाया है।
भारत के खेल जगत में रविवार, 28 जुलाई का दिन महिला खिलाड़ियों के नाम से सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।
सुपर मॉम एमसी मैरीकॉम ने एक विजयी पंच जड़ा और सोने का मेडल भारत के नाम कर लिया। तीन बच्चों की मां 36 वर्षीय मैरीकॉम 51 किग्रा के वर्ग में इंडोनेशिया के लाबुआन बाजो में प्रेज़िडेंट कप मुक्केबाजी चैंपियनशिप में फिर से चैंपियन बनीं। मैरीकॉम के साथ ही तीन अन्य महिला मुक्केबाजों मोनिका (48 किग्रा), जमुना बोरो (54 किग्रा) और सिमरनजीत कौर (60 किग्रा) ने भी स्वर्ण पदक जीते। राज्यसभा की सदस्य मैरीकॉम का यह दो महीने में दूसरा स्वर्ण पदक है। उन्होंने मई में इंडिया ओपन में भी सोने का तमगा जीता था।
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अब बात करते हैं देश की नई गोल्डन गर्ल ‘ढिंग एक्सप्रेस’ यानी हिमा दास की। असम की एथलीट हिमा दास ने चेक रिपब्लिक में चल रहे क्लाद्नो मेमोरियल एथलेटिक्स मीट में 2 जुलाई से 21 दिनों में 6 स्वर्ण पदक जीत कर जो कारनामा दिखाया है वे अपने आप में इतिहास बन गया है। स्वर्ण पदक जीतने वाली 19 साला इस लड़की का दिल भी सोने जैसा ही है तभी हिमा ने असम में आई बाढ़ की विनाश लीला को देखते हुए अपनी आधी सैलरी असम बाढ़ राहत कोष में दान में दे दी साथ ही देश के कारोबारियों से अनुरोध किया कि वे भी बाढ़ पीड़ितों की मदद करें। इस तरह हिमा ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाई।
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खैर लड़कियों की जीत का कारवां आगे ही बढ़ा है। लड़कियां जिस तरह हर क्षेत्र में आगे बढ़ कर लड़कों को टक्कर दे रही हैं उसी तरह खेल के मैदान में भी वे पीछे नहीं हैं। फिर भला लड़कियां कुश्ती के मैदान में कैसे चित हो सकती हैं। स्पेन में भारतीय लड़कियों ने अपने पेंचों-ख़म दिखाए हैं। स्पेन में आयोजित ग्रैंड पिक्स ऑफ स्पेन रेसलिंग कॉम्पटीशन में 8 जुलाई को दिव्या काकरान 68 किलोग्राम के वर्ग में कुश्ती का स्वर्ण पदक जीता। 21 वर्षीय दिव्या काकरान दिल्ली की रहने वाली हैं। यह स्वर्ण पदक जीत कर दिव्या ने अपने पहलवान पिता सूरज के अधूरे सपने को सुनहरे रंग चढ़ा दिए। दिव्या की मां पहलवानों के लंगोट सिला करती थीं और पिता बेटा करते थे। इस तरह मुश्किल हालातों में पल कर दिव्या ने देश का नाम आगे बढ़ाया है। दिव्या ने अब तक राज्य, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 60 मेडल जीते हैं और वह आठ बार भारत केसरी बनी हैं।
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देश की मिट्टी में कॉमन वेल्थ गेम्स और एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाली स्टार रेसलर विनेश फोगाट ने अपना दबदबा कायम रखते हुए 7 जुलाई को ग्रैंड पिक्स ऑफ स्पेन रेसलिंग कॉम्पटीशन में 53 किलो केटेगरी में स्वर्ण पदक जीत कर रूस को पीछे छोड़ दिया। विनेश की जीत की सिलसिला यहीं नहीं रुका आगे उन्होंने 13 जुलाई को टर्की की राजधानी इस्तांबुल में यासार डोगू रैंकिंग सीरीज कुश्ती टूर्नामेंट में एक और गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया।
यहीं पर दो और भारतीय पहलवानों सीमा बिस्ला ने 50 किग्रा वर्ग और मंजू कुमारी ने 59 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक अपने नाम किए। देश को नाज़ है अपनी लड़कियों पर!
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अपने बल का प्रदर्शन करने में भी लड़कियों को कोई पीछे नहीं छोड़ सकता। पूर्व विश्व चैंपियन मीराबाई चानू ने 9 जुलाई को कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप के पहले दिन महिलाओं के 49 किलो की केटेगरी में 191 किलो का ऊार उठा कर गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया लिया। मीराबाई ने 11 वर्ष की उम्र में ही अपना पहला स्वर्ण पदक जीता था तभी से उन्हें मणिपुर की ‘गोल्डन गर्ल’ कहते हैं।
चानू के अलावा 45 किग्रा वर्ग में झिलि दालाबेहरा ने भी कुल 154 किग्रा भार के साथ गोल्ड मेडल और सीनियर महिला वर्ग के 55 किग्रा वर्ग में सोरोइखाबम देवी ने गोल्ड मेडल भारत के नाम जीता।
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महिलाएं रुक सकती हैं मगर हार नहीं मान सकतीं! जिस उम्र में लोग रुक जाते हैं भावना टोकेकर ने वहां से नई शुरुआत की। दो बच्चों की मां भावना ने 41 की उम्र से वेट लिफ्टिंग की प्रोफेशनल ट्रेनिंग की शुरुआत इंडियन एयरफोर्स की बॉडी बिल्डिंग टीम के साथ शुरू की और 6 सालों की अथक मेहनत के बाद 47 की उम्र में 13-14 जुलाई को रूस में आयोजित ‘ओपन एशियन पॉवरलिफ्टिंग चैंपियनशिप जीत कर एक नहीं पूरे चार गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिए।
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जब बात निशानेबाजी की आती है तो यहां भी महिलाओं का निशाना चूका नहीं। जर्मनी में चल रहे एयर राइफल प्रतियोगिता में 15 जुलाई को भारत की लड़कियों- इलावेनिल वालारिवान, मेहुली घोष और श्रेया अग्रवाल की तिकड़ी ने स्वर्ण पदक पर निशाना लगाया। इलावेनिल वालारिवान ने अकेले एक और स्वर्ण पदक जीता।
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इटली के नेपोली में चल रहे वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में अपने देश की स्टार स्प्रिंटर दुती चंद ने स्वर्ण पदक जीत कर देश का परचम लहराया है। महिलाओं की 100 मी. रेस में स्वर्ण जीतने वाली वे पहली भारतीय महिला बन गयी हैं। 23 वर्षीय दुती ने 11.32 सेकंड में यह रेस जीती। वहीं महिलाओं की 400 मीटर दौड़ में पी सरिताबेन (52.77 सेकेंड), सोनिया बैश्य (53.73 सेकेंड) और आर विथ्या (53.73 सेकेंड) ने जीत का सिलसिला आगे बढ़ाया।
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… और ये सिलसिला यहीं रुकने वाला नहीं है। आगे अभी देश-विदेश में अनेकों खेल-प्रतियोगिताएं होने वाली हैं जिनमें हमारी लड़कियां इसी तरह देश का नाम रोशन करेंगी ही साथ ही वे अपने मां-बाप का नाम भी ऊंचा करेंगी। इसलिए आज सभी को बेटियों पर फख्र होना चाहिए और उन्हें आगे बढ़ने के मौके देने चाहिए।
हमें नाज़ है अपनी बेटियों पर!!!
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