24 May 2019 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
तो आप अपनी प्रेग्नेंसी किट पर उन दो गुलाबी रेखाओं को देख चुकी हैं और खुशी में झूम रही हैं। आपको प्रेग्नेंसी की ढेरों बधाई! अब गर्भधारण के बाद आपको आंतरिक रूप से शारीरिक परिवर्तन महसूस होंगे और बाहरी शारीरिक परिवर्तन भी जल्द दिखाने लगेंगे। गर्भावस्था के दौरान शारीरिक परिवर्तन का कारण हार्मोन और आपके अंदर पनप रही नन्ही जान है।
इस वक्त आपके आस-पास हर कोई आपके लिए खुश होगा, लेकिन आपका शरीर प्रत्येक तिमाही कई शारीरिक परिवर्तनों से गुजरेगा, जो आपको एक ही समय में खुशी, दुखी और असुविधाजनक सब बना सकता है। आइए, आगे कुछ अपेक्षित गर्भावस्था के दौरान शारीरिक परिवर्तन (Body Changes during Pregnancy) के बारे में जानें।
गर्भावस्था के दौरान शारीरिक परिवर्तन होना सामान्य है। ऐसा महिलाओं व लड़कियों में हार्मोनल परिवर्तन के कारण होता है। गर्भावस्था के दौरान किन शारीरिक परिवर्तन की अपेक्षा करें, इसका जवाब हम नीचे दे रहे हैं।
गर्भावस्था में दिल तेजी से पंप करता है। विशेष रूप से पहली तिमाही में, क्योंकि बच्चे के विकास के लिए अधिक रक्त की आवश्यकता होती है। परिणामस्वरूप रक्त वाहिकाएं ज्यादा काम करती हैं, जिसके चलते नसें नीली रंग की दिखाई देती है। जैसे-जैसे गर्भावस्था बढ़ती हैं, ये नसें शरीर पर रोड मैप की तरह दिखने लगती हैं। अच्छी बात यह है कि प्रसव के बाद ये धीरे-धीरे गायब हो जाती हैं।
गर्भावस्था के दौरान हार्मोन त्वचा पर असर कर सकते हैं। प्रेग्नेंसी हार्मोन एस्ट्रोजेन शुरुआती महीनों में त्वचा पर चमक लाता है। दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान त्वचा पर मुंहासे और कुछ रंजकता यानी काले धब्बे ला सकता है। एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने से सिर पर और कभी-कभी ऊपरी होंठ और ठोड़ी जैसी जगहों पर बाल आने लगते हैं।
बढ़ते हुए बच्चे को समायोजित करने के लिए पेट की त्वचा सख्त हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप कोलेजन या संयोजी ऊतक टूटने लगते हैं। यह पेट पर रेखाएं यानी स्ट्रेच मार्क्स बनाते हैं, जिनमें खुजली हो सकती है। इसके लिए एक अच्छे मॉइश्चराइजर और तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
प्रेग्नेंसी में शरीर बच्चे के लिए तैयार होता है, इसलिए स्तन में बदलाव (Body changes during Pregnancy) नजर आता है। पहली तिमाही के दौरान स्तन के आस-पास का भाग गहरे रंग का दिखाई देता है। इस बदलाव को एरोला ब्रेस्ट चेंज पिक्चर्स (Areola breast changes in early pregnancy pictures) के माध्यम से समझा जा सकता है।
स्पर्श अधिक कोमल और संवेदनशील महसूस होते हैं। तीसरी तिमाही के अंत तक स्तन से कोलोस्ट्रम नामक सफेद पदार्थ बनने लगता है, जिससे स्तन भारी लगने लगते हैं। यह कोलोस्ट्रम नवजात शिशु के लिए अत्यधिक पौष्टिक होता है।
सेकेंड सेमेस्टर के अंत तक आपका वजन काफी बढ़ जाएगा। जैसे-जैसे बच्चा गर्भाशय में बढ़ता है, वैसे-वैसे वजन बढ़ना शुरू (Weight gain During Pregnancy in Hindi) हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ वजन बनाए रखना जरूरी है। वजन बढ़ रहा है, सोचकर खाने-पीने के मामले में लापरवाही नहीं करनी चाहिए। यह आपके और आपके गर्भस्थ शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
थर्ड सेमेस्टर की शुरुआत में आप अपने पेट से बाहर बेली बटन को नोटिस करेंगी। यह बड़े हुए पेट के कारण होता है और बहुत सामान्य है। एक बार जब बच्चे के जन्म हो जाता, तब आपका बेली बटन वापस अपनी जगह और आकार में आ जाता है।
शरीर गर्भावस्था में बढ़ते बच्चे की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 50% अधिक तरल पदार्थ और रक्त का उत्पादन करता है। इसके परिणामस्वरूप शरीर के कुछ हिस्से में सूजन आ जाती है, जिसे एडिमा भी कहा जाता है। आप अपने हाथों, पैरों और टखनों में इस बदलाव को देखेंगे। उच्च रक्तचाप या हाइपर टेंशन वाली महिलाओं में भी सूजन देखी जाती है।
प्रेग्नेंसी में एस्ट्रोजन हार्मोन के बढ़ने से सफेद स्त्राव भी हो सकता है। रिसर्च पेपर सफेद स्त्राव को सामान्य बताते हैं। वजाइनल डिस्चार्ज प्रेग्नेंसी में आपको इंफेक्शन से बचाने में मदद कर सकता है। प्रसव के दिन नजदीक आते ही यह वजाइनल डिसचार्ज और ज्यादा हो सकता है। अगर स्त्राव से बहुत ज्यादा बदबू आए, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
बार-बार पेशाब आने की समस्या से भी आप गर्भावस्था में जूझ सकती है। वैसे यह प्रेग्नेंसी का आम लक्षण है। आपको रात के समय बार-बार पेशाब जाने की जरूरत महसूस होगी। ऐसा अधिकतर गर्भावस्था के पहले ट्राइमेस्टर में ज्यादा होता है। यह दिक्कत आपके बढ़ते गर्भाशय और पेल्विक वाले हिस्से में रक्त प्रवाह बढ़ने से होती है।
आपको प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में जी मिचलाना, उल्टी होना व चक्कर आने जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। हो सकता है कि पूरी गर्भावस्था में ही जी-मिचलाने और उल्टी की दिक्कत हो। इस परेशानी को कम करने के लिए नींबू पानी और अदरक की चाय को अच्छा माना जाता है।
गर्भधारण करने के बाद से ही शरीर में थकावट बढ़ने लगती है। आपको धीरे-धीरे ज्यादा थकान लगने लगेगी। यह भी प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन के बढ़ने से होता है। इस दौरान शरीर में ब्लड भी तेजी से पंप होता है, ताकि भ्रूण तक पोषक तत्व पहुंच सकें और प्रोजेस्टेरोन स्तन में दूध बनाने का काम तेजी से करते हैं। इनके चलते आपको जल्दी थकान महसूस हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान शारीरिक परिवर्तन में पीठ दर्द भी शामिल है। गर्भाशय में बढ़ते दबाव के चलते नीचली पीठ में तेज दर्द महसूस हो सकता है।
आपको दांत और मसूड़ों में भी बदलाव नजर आ सकता है। आप मसूड़ों से खून आना, उनमें सूजन, दांतों में दर्द का अनुभव कर सकती हैं। ये सब महिला व लड़की में हार्मोनल बदलाव और लार में कमी के कारण होता है।
प्रेग्नेंसी के बाद शरीर में होने वाला एक बदलाव स्पॉटिंग भी है। गर्भधारण करने के10 से 14 दिन के बाद महिला को हल्की स्पॉटिंग नजर आ सकती है। इसे प्रेग्नेंसी में सामान्य माना जाता है। प्रेग्नेंसी के शुरुआती 2 से 3 महीने तक ऐसा हो सकता है। खासकर तब जब आप जुड़वा बच्चों की मां बनने वाली हों।
गर्भावस्था के दौरान शारीरिक परिवर्तन होना आम है। इस दौरान होने वाली एक दिक्कत सांस लेने की भी है। आपको अपनी प्रेग्नेंसी के समय सांस लेने में थोड़ी परेशानी महसूस हो सकती है।
प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का लेवल प्रेग्नेंसी में बढ़ने से कब्ज की परेशानी हो सकती है। आप इस परेशानी को पानी और फाइबर के सेवन से कुछ कम कर सकती हैं। प्रेंग्नेंसी के शुरुआती समय में कब्ज की शिकायत होना आम है।
एसिडिटी और हार्टबर्न होना भी प्रेग्नेंसी के सामान्य बदलावों में से एक है। प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों से ही पाचन तंत्र के कार्यप्रणाली में बदलाव आना शुरू हो जाता है। आपको सिर्फ एसिडिटी या इसके साथ हार्ट बर्न दोनों का एहसास हो सकता है। घबराने की जरूरत नहीं है ये शिकायत 17 से 45 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को होती है।
बालों का झड़ना भी प्रेग्नेंसी में होने वाले बदलावों में से एक हैं। रिसर्च बताते हैं कि प्रेग्नेंसी में बाल सामान्य दिनों से ज्यादा झड़ते हैं। इसको लेकर परेशान न हों, ये प्रेग्नेंसी का आम लक्षण है। ऐसा हार्मोन्स का लेवल बढ़ने और पोषक तत्वों की कमी से होता है।
प्रेग्नेंसी में आपके नाखूनों में बदलाव दिखने लगेगा। यह बदलाव हर महिला में अलग हो सकता है। कुछ गर्भवती महिलाओं को प्रेग्नेंसी में नाखून कड़े लगते हैं, तो कुछ को मुलायम। इनकी बनावट भी सामान्य दिनों के मुकाबले अलग लगने लगती है।
गर्भावस्था में आपको अचानक सिर दर्द का भी एहसास हो सकता है। ऐसा एकदम से हार्मोन्स में होने वाली वृद्धि के कारण महसूस हो सकता है। अधिकतर तेज सिर दर्द की शिकायत गर्भावस्था की शुरुआत में होती है।
गर्भावस्था में सेक्स ड्राइव भी कम हो सकती है। मतलब महिला की शारीरिक संबंध बनाने की रूचि में बदलाव हो सकता है। प्रेग्नेंसी में सेक्स करने का मन कम होना या ज्यादा करना यह महिला के शरीर पर निर्भर करता है और ऐसा होना एकदम सामान्य है।
प्रेग्नेंसी में कुछ अलग खाने की लालसा हो सकती है। कभी-कभी कुछ खाने से घृणा तक आ सकती है। एकदम से कुछ खाने का मन करना और एकदम किसी पसंदीदा चीज को नापसंद करने लगना, यह सब प्रेग्नेंसी में होना आम है।
गर्भावस्था के दौरान शारीरिक परिवर्तन के बावजूद गर्भावस्था की यात्रा एक अनोखी होती है। इस यात्रा को करने वाली हर माँ ढरों असुविधाओं से होकर गुजरती है। ये असुविधाएं कभी-कभी बेचैन कर देती हैं, लेकिन विश्वास करिए प्रेग्नेंसी में खुश रहने के उपाय भी कई हैं। खासकर, नवजात शिशु के पैदा होते ही सारे दर्द और असुविधा कम हो जाती है। बस धैर्य रखते हुए प्रेग्नेंसी की यात्रा का आनंद लें।
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