नवजात शिशु के वजन को लेकर चिंता न करें

नवजात शिशु के वजन को लेकर चिंता न करें

16 May 2019 | 1 min Read

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शिशुओं में उचित वजन बढ़ने का महत्व

नवजात शिशु की देखभाल में कई सवाल और चिंताएं मन में उठती हैं। ऐसी कई चिंताओं में से एक है- बच्चे के वजन बढ़ने के बारे में। विकास के शुरुआती महीनों के दौरान एक बच्चे का स्वास्थ्य उसके वजन, ऊंचाई और सिर परिधि द्वारा निर्धारित किया जाता है। चूंकि बच्चे का वजन वृद्धि और विकास के मानकों में से एक है, इसलिए इसे जांच में रखना महत्वपूर्ण है।

बच्चे के वजन के बारे में तथ्य

जबकि अधिकांश माता-पिता जन्म के ठीक बाद बच्चे के वजन में वृद्धि की उम्मीद करना शुरू कर देते हैं।  जबकि तथ्य यह है कि प्रसव के 5 दिन बाद बच्चे का वजन नहीं बढ़ता है। इसके बजाय इस अवधि के दौरान शिशु जन्म के वजन का लगभग 5-10% की कमी आती है क्योंकि उसके शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ समाप्त हो जाते हैं। यह प्रक्रिया धीमी और स्थिर होती है। शिशु के वजन पर एक सप्ताह के बाद निगरानी रखने की जरूरत होती है। प्रसव के दो सप्ताह बाद बच्चे का वजन जन्म के समय उसके वजन के बराबर होता है क्योंकि शुरुआती दिनों में उसका वजन कम हो जाता है।

 

स्रोत: (bestweighingmachines)

यदि हम महीने तक बच्चे के वजन को ट्रैक करते हैं, तो एक औसत स्तनपान वाले बच्चे का वजन 3-4 महीने की उम्र तक उसके जन्म के वजन का दोगुना हो जाता है। एक वर्ष की उम्र तक बच्चे का वजन जन्म के वजन से लगभग 3 गुना अधिक हो जाता है।

महीने के आधार पर स्तनपान करने वाले बच्चे का औसत वजन निम्नलिखित होना चाहिए:-

 

  • 0-4 महीने के बच्चे का वजन प्रति सप्ताह 155-241 ग्राम अपेक्षित है।
  • 4-6 महीने के बच्चे का वजन प्रति सप्ताह 92-126 ग्राम अपेक्षित है।
  • 6-12 महीने के बच्चे का वजन प्रति सप्ताह 50-80 ग्राम अपेक्षित है।

इस प्रकार, हम देखते हैं कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, बच्चे के वजन बढ़ने की दर धीमी हो जाती है।

गर्भधारण के समय से ही बच्चे के वजन की सही निगरानी की जाती है और मां को भी सलाह दी जाती है कि यदि उचित आहार ले और यदि आवश्यक हो तो पूरक आहार भी ले। इससे यह सुनिश्चित होता है कि शिशु का वजन अधिकतम बढ़े। तीसरी तिमाही के दौरान शिशु का वजन गर्भावस्था के पहले कुछ महीनों की तुलना में अधिकतम होता है क्योंकि अब भ्रूण पूरी तरह से विकसित हो चुका है।

स्तनपान बनाम फ़ॉर्मूला फ़ीड

मांओं के मन में सबसे पहले जो सवाल आता है वह बच्चे के वजन बढ़ाने के बारे में होता है।विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि जीवन के पहले वर्ष के दौरान स्तनपान कराने वाले बच्चे पहले तीन से चार महीनों के दौरान अधिक तेजी से बढ़ते हैं और फिर पहले वर्ष के बाकी हिस्सों में वजन अधिक धीरे-धीरे बढ़ता है। आम तौर पर, स्तनपान करने वाले बच्चे का 1 वर्ष की आयु में फार्मूला-फ़ेड शिशुओं की तुलना में कम वजन बढ़ता है। लेकिन एक बार जब वे 2 साल के हो जाते हैं, तो यह अंतर समाप्त हो जाता है। स्तनपान करने वाले और फार्मूला-आधारित शिशुओं का वजन लगभग एक बराबर हो जाता है। देखा जाए तो स्तनपान मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होता है, जिसके लिए दूध पिलाने का कोई निश्चित फार्मूला नहीं होता है।

शिशुओं को दूध पिलाने का पैटर्न

आदर्श रूप से जब बच्चे भूख लगी हो तब उसे दूध पिलाएं जिससे बच्चा जरूरत से ज्यादा नहीं पीएगा (ओवरफ़ीड) और न ही जरूरत से कम (अंडरफ़ीड) पीएगा। उन संकेतों की पहचान करना महत्वपूर्ण है जो आपके बच्चे में भूख लगने पर दिखते हैं। ये हैं- बच्चे का रोते हुए अत्यधिक अंगूठा चूसते रहना, मां के अलावा किसी अन्य के द्वारा संभाले जाने पर चिड़चिड़ा हो जाना आदि। शुरुआती दिनों के दौरान कोई स्पष्ट संकेत नहीं हो दिखते हैं उस समय माँ को ही अपनी समझ के अनुसार खिलाना पड़ता है।

हालांकि, जल्द ही एक रूटीन सेट किया जा सकता है।

बच्चे को अन्य खाद्य पदार्थों से परिचित कराने के लिए कम-से-कम 6 महीने तक इंतजार करना चाहिए। अपने बच्चे के वजन की उचित रूप से निगरानी करें। हालांकि, याद रखें कि कोई भी दो बच्चे समान नहीं होते हैं और वजन बढ़ने का अनुपात शिशुओं में भिन्न-भिन्न होता है।

सूचना: लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य व्यावसायिक चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लें।

 

यह भी पढ़ें: शिशु का वजन हर महिने कितना बढता है

 

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