9 May 2019 | 1 min Read
सुमन सारस्वत
Author | 60 Articles
मां बनना एक औरत के जीवन का सबसे ख़ास मौका होता है। बच्चे के जन्म के साथ ही एक बेफिक्र-सी लड़की कब एक जिम्मेदार औरत में तब्दील हो जाती है पता ही नहीं चलता! ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ। जब मैं मां बनी और एक बेटी को जन्म दिया तो सच में लगा कि मेरी दुनिया बदल चुकी है। गोद में बेटी को देखती तो जैसे लगता कि मेरी गोद में कोई जीती-जागती गुड़िया आ गई हो। जितनी खुशी मां बनने की हुई उतना ही ज्यादा एहसास ज़िम्मेदारियों का भी था। दिन-महीने गुजरते जा रहे थे बेटी थोड़ी बड़ी होती जा रही थी। हर महीने उसमें नया बदलाव देखने को मिलता। जब वह पैदा हुई थी तो उसका वज़न साढ़े तीन किलो था और हर महीने उसका वज़न भी बढ़ रहा था। गोल-मटोल बेबी को देखकर लोग उसे प्यार भी बहुत करते थे। मेरी पड़ोसिनें मुझसे सीक्रेट पूछने आतीं थीं कि मैं अपने बेबी को डाइट में क्या देती हूं।
मैं शुरू से ही जॉब करती आ रही हूं। इसलिए मेरी कोशिश रहती थी कि मैं अपने हाथों से अपने बेबी की ज्यादा से ज्यादा केयर कर सकूं। चूंकि मैं एक पत्रकार हूं इसलिए अपने काम की हर जानकारी हासिल करना मुझे आता है। …तो मैं उन दिनों बेबी केयर से संबंधित लेख पढ़ती रहती थी। अपनी मम्मी-सास से भी सलाह लेती थी। मम्मी ने मुझे सख्त हिदायत दी थी कि एक साल का होने तक बेबी को दोनों टाइम मसाज जरूर करना। इस तरह मैंने नई जानकारियों और अपने बड़ों के अनुभवों के आधार पर अपनी बेटी की परवरिश की। बेटी जब छह महीने की होने लगी तब मैं उसकी डाइट और डेली रुटीन में और ध्यान देने लगी। बच्चा जब छह महीने का होने लगता है तो उसकी हड्डियां मजबूत होने लगती हैं ऐसे में बच्चे की डाइट में कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन की मात्रा थोड़ी-थोड़ी बढ़ानी चाहिए। मैं बेटी को धीरे-धीरे बिठाने लगी थी। जब मैं उसके साथ खेलती तो वह किलकारियां मार कर खूब खुश होती। उसके पापा जब उसे पेट के बल लिटा देते तो वह तुरंत पलट जाती और हमारे चेहरे को छूने की कोशिश करती। बेटी को उसके पापा की गोद में बिठाती और मैं उसे खाना खिलाती। इससे माता-पिता और बच्चों के बीच बॉन्डिंग बढ़ती है।
अपने अनुभवों के आधार पर मैं आपको कुछ टिप्स बताती हूं जो आपके लिए भी कारगर हो सकते हैं।
संतुलित आहार लें
दूसरों की भी सलाह लें
बच्चे को मसाज दें
मेरी मम्मी ने मुझे ताकीद की थी कि एक साल की होने तक बेटी को दोनों टाइम मसाज करना। जॉब करने के बावजूद मैं बेटी को दोनों टाइम मसाज करती थी। सुबह 6 बजे बेटी को तेल से अच्छी तरह मसाज करके फीडिंग कराके सुला देती थी। रात में उसे बेबी ऑइल से मसाज करती। मसाज के बाद बेबी गहरी नींद में सो जाता है। जो बेबी के हेल्थ के लिए फायदेमंद रहता है और पैरेंट के लिए भी ताकि वे अपनी पर्सनल लाइफ एन्जॉय कर सकें।
बच्चा जब उठने की कोशिश करे
बच्चे को गोद में बिठा कर खाना खिलाएं
बच्चे को बिठाना सिखाएं
तो इस तरह धीरे-धीरे बेबी को बैठना और खिलाना सिखाया जा सकता है और आप अपने बेबी को अपने हाथों से बड़ा करने का आत्मीय सुख पा सकती हैं।
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