17 Apr 2019 | 1 min Read
Vinita Pangeni
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20वें हफ्ते से पहले किसी भी कारण से गर्भ को नुकसान पहुंचना गर्भपात कहलाता है। जब 20वें सप्ताह के बाद गर्भावस्था को नुकसान पहुंचता है, तो उसे स्टिलबर्थ कहा जाता है। गर्भपात स्वाभाविक रूप से होने वाली घटना है। यह मेडिकली या सर्जिकली होने वाले अबोर्शन से एकदम अलग होता है।
गर्भपात को गर्भावस्था की एक जटिल अवस्था कहा जा सकता है। यह एक बार या बार-बार हो सकता है। गर्भपात जो गर्भावस्था के 22वें सप्ताह पूरे होने से पहले लगातार तीन या अधिक बार होता है, उसे बार-बार होने वाला गर्भपात यानी स्पॉन्टेनियस मिसकैरेज कहा जाता है।
आंकड़ों के मुताबिक गर्भावस्था के पांच में से एक मामले में गर्भपात होता है। आंकड़ों से संबंधी गर्भपात तस्वीरें खतरनाक हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि गर्भपात के बाद महिला दोबारा माँ नहीं बन सकती है।
जब शरीर संकेत देता है कि मिसकैरेज (miscarriage in hindi) हो सकता है, तो उसे ‘थ्रेटेंड गर्भपात’ कहा जाता है। योनि से थोड़ा रक्तस्राव या पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। समय पर ध्यान देने से डॉक्टर गर्भ को बचाने में कुछ मदद कर सकते हैं। इसलिए इसे थ्रेटेंड मिस्कैरेज कहा जाता है।
आमतौर पर योनि से बहुत अधिक रक्तस्राव होता है और पेट के निचले हिस्से में तेज ऐंठन होती है। गर्भपात के दौरान गर्भाशय ग्रीवा खुल जाता है और विकासशील भ्रूण रक्तस्राव के दौरान बाहर आ जाता है।
जब गर्भाधान के सभी ऊतक शरीर से निकल जाते हैं, तो उसे पूर्ण गर्भपात कहा जाता है। योनि से रक्तस्राव कई दिनों तक जारी रह सकता है। ऐंठन दर्द, जैसे प्रसव पीड़ा या तेज मासिक दर्द होना आम है।
कभी-कभी कुछ गर्भ संबंधी कुछ ऊतक गर्भाशय में रह जाते हैं। योनि से रक्तस्राव और पेट के निचले हिस्से में ऐंठन जारी रहता है, क्योंकि गर्भाशय खुद को खाली करने की कोशिश करता रहता है। इसे ‘अपूर्ण गर्भपात’ के रूप में जाना जाता है।
जब भ्रूण गर्भ में ही दम तोड़ देता है, लेकिन गर्भाशय में ही रहता है, तब उसे ‘मिस्ड गर्भपात’ के रूप में जाना जाता है। ऐसा होने पर ब्राउन डिस्चार्ज हो सकता है। साथ ही गर्भावस्था के कुछ लक्षण, जैसे मतली और थकान, फीके पड़ सकते हैं। स्कैन के जरिए ही पता चल पाता है कि गर्भ में बच्चा मृत है।
गर्भपात के लक्षण (Garbhpat ke Lakshan) में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:
गर्भपात के लक्षण (Miscarriage Symptoms in Hindi) समझने के बाद आगे इसका खतरा क्यों बढ़ता है, यह समझिए।
महिला का बार-बार गर्भपात को रिकरंट मिसकैरेज कहा जाता है। बार-बार गर्भपात का कारण क्रोमोजोम में असामान्यता के कारण होता है। इसके अलावा, अधिक उम्र में गर्भधारण करना या गर्भाश्य संबंधी दिक्कतों के कारण भी बार-बार गर्भपात हो सकता है। शुक्राणु डीएनए दोष भी प्रारंभिक गर्भावस्था में आवर्तक (बार-बार) गर्भपात होने के कारणों में से एक है।
एक गर्भपात के बाद दोबारा से गर्भपात का खतरा 20 प्रतिशत रहता है। अगर दो बार गर्भपात हो जाए, तो यह 28 प्रतिशत हो जाता है। लगातार या तीन बार से अधिक गर्भपात होने के बाद दोबारा गर्भपात का जोखिम 43 प्रतिशत रहता है।
गर्भपात के बाद निचले पेट और पेल्विक एरिया में कुछ दिनों तक दर्द रहेगा। इन्हें गर्भपात के बाद लक्षण दिखना कहते हैं। गर्भपात के बाद, प्रेग्नेंसी के लक्षण तुरंत या एक दिन में खत्म हो जाते हैं। कुछ महिलाएं अगर प्रेग्नेंसी के लक्षण जैसे जी-मिचलाना से गर्भपात के बाद भी जूझ रही हैं, तो हो ये अधूरे गर्भपात का लक्षण हो सकता है। आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
एक बार जब आप गर्भपात के बाद दोबारा गर्भावस्था के लिए भावनात्मक और शारीरिक रूप से तैयार महसूस करें, तो अपने चिकित्सक से परामर्श लेकर दोबारा कंसीव कर सकती हैं। हां, सामान्य तौर पर गर्भपात के बाद कम से कम दो हफ्ते से लेकर दो महीने तक का इंतजार करना चाहिए।
यह वक्त गर्भपात के कारण के चलते लंबा हो सकता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी इंफेक्शन के कारण गर्भपात हुआ हो, तो जबचतक वो पूरी तरह से ठीक न हो जाए, तछतक गर्भधारण नहीं करना चाहिए।
अक्सर महिलाएं पूछती हैं कि गर्भपात के कितने दिन बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट करना चाहिए। जैसे ही आपको दोबारा प्रेग्नेंसी के लक्षण दिखने लगें, तो आप प्रेग्नेंसी टेस्ट कर सकती हैं। बस बेबी कंसीव करने से पहले कुछ वक्त का इंतजार जरूर करें।
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गर्भपात के बाद महिला का शरीर कमजोर हो जाता है और गर्भस्थ शिशु को खोने का दुख अलग। ऐसे में कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी है। इसलिए आगे हम गर्भपात के बाद क्या करना चाहिए और क्या नहीं, वो बता रहे हैं।
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अगर गर्भावस्था के बाद गर्भपात प्राकृतिक रूप से हुआ है, तो अधिकतर मामलों में भ्रूण खुद ही योनि मार्ग से निकल जाता है। अगर अधूरा गर्भपात होता है, तो डॉक्टर डायलेशन एंड क्यूरेटेज प्रक्रिया की मदद से भ्रूण के उत्तक को बाहर निकाला जाता है।
इसके अलावा, महिला के दर्द को कम करने के लिए कुछ दवाएं दी जा सकती हैं। अगर गर्भपात संक्रमण की वजह से हुआ है, तो उस इंफेक्शन से संबंधी दवाई लेने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं।
गर्भपात के बाद घरेलू उपचार की जरूरत नहीं पड़ती। हां, खुद की देखभाल के लिए महिला रोजाना दो से तीन गिलास गुनगुना पानी पी सकती है। इस समय पेट में हो रहे दर्द को कम करने के लिए अजवाइन के बीज पानी में उबालकर पीना भी फायदेमंद माना जाता है। अजवाइन के बीज में दर्द कम करने वाले प्रभाव पाए जाते हैं।
गर्भपात क्या है और पेट में बच्चा कैसे खराब हो जाता है, यह आप इस लेख के माध्यम से समझ ही गए होंगे। हम समझते हैं कि गर्भपात काफी दुख की घड़ी होती है, लेकिन जो बीत गया उसके शोक में डूबने से स्थिति और खराब हो सकती है।
आने वाले वक्त के बारे में सोचिए और खुद को स्वस्थ रखिए। ऐसा करके आप आने वाले समय में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने की संभावना को बढ़ा सकती है।
गर्भपात हुआ है या नहीं, यह गर्भपात के लक्षण पर गौर करके समझा जा सकता है। गर्भपात होने के बाद योनि से ब्राउन डिसचार्ज होने लगता है, निचले पेट में लगातार दर्द हो सकता है, पेशाब करते समय खून दिख सकता है, कुछ कोशिकाएं या थक्के योनि से निकल सकती हैं।
गर्भपात पूरा हुआ है या नहीं, यह जांच के बाद डॉक्टर ही बता सकते हैं। अधूरे गर्भपात के लक्षण क्या हैं, सोच रहे हैं, तो इसमें निचले पेट में दर्द, ऐंठन और योनि से रक्तस्राव जैसे गर्भपात के लक्षण ही नजर आते हैं।
गर्भपात के बाद कितने दिनों तक ब्लड आता रहेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मिसकैरेज कितने महीने बाद हुआ है। जितने ज्यादा महीने होंगे, उतना ज्यादा ब्लड और उतने ज्यादा दिनों तक आएगा। कुछ महिलाओं को एक हफ्ते तक हल्का ब्लड आता है, तो कुछ को दो हफ्ते तक। लगातार ज्यादा खून आता रहे, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
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