गर्भपात क्या है?

गर्भपात क्या है?

17 Apr 2019 | 1 min Read

Vinita Pangeni

Author | 549 Articles

गर्भपात क्या है? (Miscarriage in Hindi)

20वें हफ्ते से पहले किसी भी कारण से गर्भ को नुकसान पहुंचना गर्भपात कहलाता है। जब 20वें सप्ताह के बाद गर्भावस्था को नुकसान पहुंचता है, तो उसे स्टिलबर्थ कहा जाता है। गर्भपात स्वाभाविक रूप से होने वाली घटना है। यह मेडिकली या सर्जिकली होने वाले अबोर्शन से एकदम अलग होता है। 

गर्भपात को गर्भावस्था की एक जटिल अवस्था कहा जा सकता है। यह एक बार या बार-बार हो सकता है। गर्भपात जो गर्भावस्था के 22वें सप्ताह पूरे होने से पहले लगातार तीन या अधिक बार होता है, उसे बार-बार होने वाला गर्भपात यानी स्पॉन्टेनियस मिसकैरेज कहा जाता है।

आंकड़ों के मुताबिक गर्भावस्था के पांच में से एक मामले में गर्भपात होता है। आंकड़ों से संबंधी गर्भपात तस्वीरें खतरनाक हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि गर्भपात के बाद महिला दोबारा माँ नहीं बन सकती है।

गर्भपात के प्रकार | Types of Miscarriage in Hindi

थ्रेटेंड मिस्कैरेज – Threatened Miscarriage in Hindi

जब शरीर संकेत देता है कि मिसकैरेज (miscarriage in hindi) हो सकता है, तो उसे ‘थ्रेटेंड गर्भपात’ कहा जाता है।  योनि से थोड़ा रक्तस्राव या पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। समय पर ध्यान देने से डॉक्टर गर्भ को बचाने में कुछ मदद कर सकते हैं। इसलिए इसे थ्रेटेंड मिस्कैरेज कहा जाता है।

इनएविटेबल मिसकैरेज – Inevitable Miscarriage in Hindi

आमतौर पर योनि से बहुत अधिक रक्तस्राव होता है और पेट के निचले हिस्से में तेज ऐंठन होती है। गर्भपात के दौरान गर्भाशय ग्रीवा खुल जाता है और विकासशील भ्रूण रक्तस्राव के दौरान बाहर आ जाता है।

पूर्ण गर्भपात – Complete Abortion in Hindi

जब गर्भाधान के सभी ऊतक शरीर से निकल जाते हैं, तो उसे पूर्ण गर्भपात कहा जाता है। योनि से रक्तस्राव कई दिनों तक जारी रह सकता है। ऐंठन दर्द, जैसे प्रसव पीड़ा या तेज मासिक दर्द होना आम है।

अधूरा गर्भपात – Incomplete Abortion in Hindi

कभी-कभी कुछ गर्भ संबंधी कुछ ऊतक गर्भाशय में रह जाते हैं। योनि से रक्तस्राव और पेट के निचले हिस्से में ऐंठन जारी रहता है, क्योंकि गर्भाशय खुद को खाली करने की कोशिश करता रहता है। इसे ‘अपूर्ण गर्भपात’ के रूप में जाना जाता है।

मिस्ड एबॉर्शन – Missed Miscarriage in Hindi

जब भ्रूण गर्भ में ही दम तोड़ देता है, लेकिन गर्भाशय में ही रहता है, तब उसे ‘मिस्ड गर्भपात’ के रूप में जाना जाता है। ऐसा होने पर ब्राउन डिस्चार्ज हो सकता है। साथ ही गर्भावस्था के कुछ लक्षण, जैसे मतली और थकान, फीके पड़ सकते हैं।  स्कैन के जरिए ही पता चल पाता है कि गर्भ में बच्चा मृत है। 

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गर्भपात होने के कारण – Causes of Miscarriage in Hindi

  • आनुवंशिक विकार और  शिशु में क्रोमोसोमल दोष गर्भपात के प्रमुख कारण हैं
  • दूसरी तिमाही में गर्भपात के कारणों में कई गर्भाशय ग्रीवा पतला होना और गर्भावस्था में बहुत जल्दी खुलना है। इस स्थिति को अक्षम गर्भाशय ग्रीवा कहा जाता है, जिससे दूसरी तिमाही में गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
  • फूला हुआ डिंब एक ऐसी स्थिति है जिसमें निषेचन होता है लेकिन बच्चे का विकास नहीं होता है। इसके कारण भी मिसकैरेज (miscarriage in hindi) हो सकता है।
  • मलेरिया के कारण गर्भपात हो सकता है
  • ल्यूपस भी गर्भपात की वजह बनता है
  • महिला के शरीर में होने वाला हार्मोनल असंतुलन
  • इम्यून सिस्टम संबंधी दिक्कतें  या ब्लड क्लॉटिंग की समस्या
  • थायरॉयड या मधुमेह जैसी समस्याएं
  • गर्भ या गर्भाशय में किसी तरह की समस्या
  • बहुत ज्यादा धूम्रपान के कारण
गर्भपात क्या है
गर्भपात के खतरे से निराश महिला का प्रतिकात्मक चित्र / स्रोत – पिक्सेल्स

गर्भपात के लक्षण (Garbhpat Ke Lakshan) – Miscarriage Symptoms in Hindi

गर्भपात के लक्षण (Garbhpat ke Lakshan) में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द 
  • पेट में दर्द जो हल्का हो लेकिन चुभन और ऐंठन के साथ
  • ऊतक या थक्कों का योनि से निकलना है
  • कई महिलाएं पहले महीने में गर्भपात के लक्षण के तौर पर कुछ महसूस नहीं करतीं
  • पहले महीने में गर्भपात के लक्षण में योनि से हल्का खून बह सकता है।
  • पेट में ऐंठन के साथ या बिना ऐंठन के योनि से खून बहना
  • तीसरे महीने में गर्भपात के लक्षण के रूप में तेज पेट दर्द  हो सकता है
  • गर्भावस्था के लक्षण जैसे मॉर्निंग सिकनेस और ब्रेस्ट टेंडरनेस का अनुभव न होना
  • तीसरे महीने में गर्भपात के लक्षण में योनि से तरल पदार्थ का स्त्राव भी शामिल है

गर्भपात के लक्षण (Miscarriage Symptoms in Hindi) समझने के बाद आगे इसका खतरा क्यों बढ़ता है, यह समझिए।

किन स्थितियों में गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है – In What Conditions Danger of Miscarriage Is High In Hindi

  • 35 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र में गर्भधारण करने से गर्भपात का खतरा अधिक होता है।
  • प्रेग्नेंसी में ज्यादा भागदौड़ करना या  यात्रा करना पहली तिमाही में गर्भपात का कारण बनता है। 
  • गिरना या चोट यानी एक्सीडेंट भी पहली तिमाही में गर्भपात का कारण बनता है। इसलिए गर्भावस्था में कार ड्राइव करने से बचें।
  • तीसरी तिमाही में भी यात्रा या भागदौड़ से मिसकैरेज (miscarriage in hindi) हो सकता है।
  • गर्भावस्था के समय पेट पर चोट लगना या दबाव पड़ना भी गर्भपात का कारण बनता है।
  • बार-बार योनि में संक्रमण होने से भी गर्भपात हो सकता है। इसे सेप्टिक गर्भपात कहते हैं। 
  • बैक्टीरियल वेजिनोसिस, एचआईवी, डेंगू, मलेरिया, साइटोमेगालोवायरस (सीएमवी), और ब्रुसेलोसिस गर्भपात के उच्च जोखिम कारक हैं।
  • गर्भपात के जीवनशैली कारणों में सिगरेट धूम्रपान, तंबाकू, शराब, भारी कैफीन का सेवन, मोटापा, मानसिक तनाव, चोटें आदि शामिल हैं।

कई बार गर्भपात होने का कारण और इससे गर्भधारण की संभावना पर कितना असर पड़ता है – Effect of Multiple Miscarriages In Hindi

महिला का बार-बार गर्भपात को रिकरंट मिसकैरेज कहा जाता है। बार-बार गर्भपात का कारण क्रोमोजोम में असामान्यता के कारण होता है। इसके अलावा, अधिक उम्र में गर्भधारण करना या गर्भाश्य संबंधी दिक्कतों के कारण भी बार-बार गर्भपात हो सकता है। शुक्राणु डीएनए दोष भी प्रारंभिक गर्भावस्था में आवर्तक (बार-बार) गर्भपात होने के कारणों में से एक है।

एक गर्भपात के बाद दोबारा से गर्भपात का खतरा 20 प्रतिशत रहता है। अगर दो बार गर्भपात हो जाए, तो यह 28 प्रतिशत हो जाता है। लगातार या तीन बार से अधिक गर्भपात होने के बाद दोबारा गर्भपात का जोखिम 43 प्रतिशत रहता है।

गर्भपात के बाद लक्षण – Symptoms After Miscarriage in Hindi

गर्भपात के बाद निचले पेट और पेल्विक एरिया में कुछ दिनों तक दर्द रहेगा। इन्हें गर्भपात के बाद लक्षण दिखना कहते हैं। गर्भपात के बाद, प्रेग्नेंसी के लक्षण तुरंत या एक दिन में खत्म हो जाते हैं। कुछ महिलाएं अगर प्रेग्नेंसी के लक्षण जैसे जी-मिचलाना से गर्भपात के बाद भी जूझ रही हैं, तो हो ये अधूरे गर्भपात का लक्षण हो सकता है। आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 

गर्भपात के बाद गर्भधारण – Planning Baby After Miscarriage in Hindi

एक बार जब आप गर्भपात के बाद दोबारा गर्भावस्था के लिए भावनात्मक और शारीरिक रूप से तैयार महसूस करें, तो अपने चिकित्सक से परामर्श लेकर दोबारा कंसीव कर सकती हैं। हां, सामान्य तौर पर गर्भपात के बाद कम से कम दो हफ्ते से लेकर दो महीने तक का इंतजार करना चाहिए। 

यह वक्त गर्भपात के कारण के चलते लंबा हो सकता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी इंफेक्शन के कारण गर्भपात हुआ हो, तो जबचतक वो पूरी तरह से ठीक न हो जाए, तछतक गर्भधारण नहीं करना चाहिए। 

अक्सर महिलाएं पूछती हैं कि गर्भपात के कितने दिन बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट करना चाहिए। जैसे ही आपको दोबारा प्रेग्नेंसी के लक्षण दिखने लगें, तो आप प्रेग्नेंसी टेस्ट कर सकती हैं। बस बेबी कंसीव करने से पहले कुछ वक्त का इंतजार जरूर करें।

यह भी पढ़े: गर्भपात के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए

गर्भपात के बाद सावधानियां – Precautions After Miscarriage In Hindi

गर्भपात के बाद महिला का शरीर कमजोर हो जाता है और गर्भस्थ शिशु को खोने का दुख अलग। ऐसे में कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी है। इसलिए आगे हम गर्भपात के बाद क्या करना चाहिए और क्या नहीं, वो बता रहे हैं।

यह भी पढ़े: गर्भपात के कितने दिन बाद पीरियड आता है

गर्भपात के बाद क्या करें और क्या न करें? – Do’s & Dont’s After Miscarriage In Hindi

  • गर्भपात के बाद लक्षण पूरी तरह दिखने बंद होने पर शरीर को सामान्य करने के लिए खान-पान पर खास ध्यान दें। 
  • किसी भी हालत में कच्चा मांस, अधपके अंडे न खाएं।
  • विशेषज्ञ की सलाह व देखरेख में गर्भपात के बाद हल्के व्यायाम करना शुरू करें।
  • गर्भपात के बाद बुखार या कोई इंफेक्शन हो जाए, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
  • धूम्रपान, नशा और कैफीन के सेवन से बचें।
  • गर्भपात के बाद संबंध बनाते समय ध्यान रखें, क्योंकि बिना डॉक्टर की सलाह के दोबारा गर्भधारण करने से गर्भपात का खतरा रहेगा। इसलिए पहले गर्भपात के कारण को समझने और उस दिक्कत को दूर करने के बाद ही दोबारा गर्भ धारण करें। 

गर्भपात के बाद उपचार – Miscarriage Treatment In Hindi

अगर गर्भावस्था के बाद गर्भपात प्राकृतिक रूप से हुआ है, तो अधिकतर मामलों में भ्रूण खुद ही योनि मार्ग से निकल जाता है। अगर अधूरा गर्भपात होता है, तो डॉक्टर डायलेशन एंड क्यूरेटेज प्रक्रिया की मदद से भ्रूण के उत्तक को बाहर निकाला जाता है।

इसके अलावा, महिला के दर्द को कम करने के लिए कुछ दवाएं दी जा सकती हैं। अगर गर्भपात संक्रमण की वजह से हुआ है, तो उस इंफेक्शन से संबंधी दवाई लेने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं।

गर्भपात के बाद घरेलू उपचार – Home Remedies After Miscarriage In Hindi

गर्भपात के बाद घरेलू उपचार की जरूरत नहीं पड़ती। हां, खुद की देखभाल के लिए महिला रोजाना दो से तीन गिलास गुनगुना पानी पी सकती है। इस समय पेट में हो रहे दर्द को कम करने के लिए अजवाइन के बीज पानी में उबालकर पीना भी फायदेमंद माना जाता है। अजवाइन के बीज में दर्द कम करने वाले प्रभाव पाए जाते हैं।

गर्भपात क्या है और पेट में बच्चा कैसे खराब हो जाता है, यह आप इस लेख के माध्यम से समझ ही गए होंगे। हम समझते हैं कि गर्भपात काफी दुख की घड़ी होती है, लेकिन जो बीत गया उसके शोक में डूबने से स्थिति और खराब हो सकती है। 

आने वाले वक्त के बारे में सोचिए और खुद को स्वस्थ रखिए। ऐसा करके आप आने वाले समय में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने की संभावना को बढ़ा सकती है। 

अक्सर पूछे जाने वाले –  FAQ

गर्भपात हुआ है या नहीं कैसे पता करें?

गर्भपात हुआ है या नहीं, यह गर्भपात के लक्षण पर गौर करके समझा जा सकता है। गर्भपात होने के बाद योनि से ब्राउन डिसचार्ज होने लगता है, निचले पेट में लगातार दर्द हो सकता है, पेशाब करते समय खून दिख सकता है, कुछ कोशिकाएं या थक्के योनि से निकल सकती हैं।

कैसे पता करें कि गर्भपात पूरा हुआ या अधूरा और अधूरे गर्भपात के लक्षण क्या हैं?

गर्भपात पूरा हुआ है या नहीं, यह जांच के बाद डॉक्टर ही बता सकते हैं। अधूरे गर्भपात के लक्षण क्या हैं, सोच रहे हैं, तो इसमें निचले पेट में दर्द, ऐंठन और योनि से रक्तस्राव जैसे गर्भपात के लक्षण ही नजर आते हैं।

गर्भपात के बाद कितने दिन तक ब्लड आता है?

गर्भपात के बाद कितने दिनों तक ब्लड आता रहेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मिसकैरेज कितने महीने बाद हुआ है। जितने ज्यादा महीने होंगे, उतना ज्यादा ब्लड और उतने ज्यादा दिनों तक आएगा। कुछ महिलाओं को एक हफ्ते तक हल्का ब्लड आता है, तो कुछ को दो हफ्ते तक। लगातार ज्यादा खून आता रहे, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

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