15 Apr 2019 | 1 min Read
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प्रसव की तारीख के करीब आते ही सभी माताओं को एक सामान्य भय होता है, प्रसव और प्रसव के दौरान गंभीर दर्द का डर। दर्द की तीव्रता महिला से महिला में भिन्न होती है। कुछ को बहुत कम दर्द का सामना करना पड़ सकता है, जबकि अन्य को गंभीर ऐंठन का अनुभव हो सकता है। आधुनिक चिकित्सा और तकनीक के आने से, माताओं के लिए श्रम पीड़ा से राहत (painless delivery side effects in hindi) पाना संभव हो गया है, साथ ही यह सी सेक्शन से राहत प्रदान करता है। लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। दर्द रहित प्रसव की इस तकनीक को एपिड्यूरल एनेस्थीसिया के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं कि पेनलेस डिलीवरी के साइड इफेक्ट (painless delivery side effects in hindi) क्या हो सकते हैं?
एपिड्यूरल एनेस्थीसिया सामान्य प्रसव की प्रक्रिया के दौरान प्रसव पीड़ा को कम करने में मदद करता है। कम दर्द की तकनीक कई महिलाओं द्वारा अपनाई गई एक लोकप्रिय तकनीक है , जो न केवल लागत प्रभावी है, बल्कि प्रसव के दौरान अनुभव किए गए असहनीय दर्द से भी आवश्यक राहत प्रदान करती है।
एपिड्यूरल एनैस्थिसिया के दौरान, पीठ के निचले हिस्से में एक इंजेक्शन लगाया जाता है, जिसके माध्यम से एक ट्यूब जैसी सुई पास की जाती है। इस ट्यूब के माध्यम से दर्द निवारक दवाएँ दी जाती हैं, जिससे नसों में दर्द और दर्द का अहसास ख़त्म होता है। ये दवाएं शिशु के लिए बहुत सुरक्षित हैं। इस प्रक्रिया के साथ, माँ बिना किसी ऐंठन या कोलिकी दर्द के संकुचन महसूस कर सकती है। एनेस्थेसियोलॉजिस्ट और नर्स यह सुनिश्चित करते हैं कि प्रसूति के साथ आगे बढ़ने से पहले एपीड्यूरल इंजेक्शन बिना किसी जटिलता के मां द्वारा प्राप्त किया गया है। केवल स्थापित श्रम में ही एक एपिड्यूरल का प्रयोग होना चाहिए।
डिलीवरी के दौरान दर्द को कम करने के लिए जनरल एनिस्थिसिया या एपिड्यूरल का इस्तेमाल किया जाता है जिससे प्रसव पीड़ा का अहसास महिला को नहीं होता है या कम होता है। इसके इस्तेमाल के फायदे और नुकसान दोनों होते हैं। इसलिए यह कहना मुश्किल है कि दर्द रहित डिलीवरी करना अच्छा है या बुरा। क्योंकि एपिड्यूरल से महिला को दर्द नहीं होने देता लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं जो बाद में दिखाई देते हैं जैसे –
आजकल दर्द रहित डिलीवरी के लिए कुछ एनेस्थीसिया की जगह कुछ प्राकृतिक विकल्प अपनाए जा रहे हैं चलिए उनके बारे में जानते हैं ?
इंजेक्शन और दवाओं के अलावा भी प्रसव पीड़ा को कम करने के लिए कई अन्य तरीके भी अपनाए जा सकते हैं। प्राकृतिक दर्द निवारक तरीके दर्द को कम या हल्का रखते हैं, इनसे दर्द पूरी तरह नहीं जा सकता है। ये प्राकृतिक तरीके केवल नॉर्मल डिलीवरी में काम करते हैं, सी-सेक्शन में दवाओं का प्रयोग जरूरी हो जाता है –
जब लेबर पेन शुरू होता है तो आपको गहरी सांस लेने के लिए कहा जाता है ऐसा इसलिए क्योंकि इससे आपको और आपके शिशु को ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में मिलती है। विशेष तरह से सांस लेने की यह प्रक्रिया आपको प्रत्येक कांट्रेक्शन के साथ उठने वाले दर्द को भी कम करती है।
प्रसव के दौरान मालिश करके भी पीड़ा कम की जा सकती है। लेबर शुरू होने पर कमर की मालिश की जाए तो कांट्रेक्शन के दर्द और बच्चे के जन्म के तनाव को कम किया जा सकता है। हल्के हाथों से कमर के निचले हिस्से और कंधों की मालिश इस अवस्था में करवानी चाहिए।
लेबर शुरू होने पर जो महिलाएं घूमती-फिरती हैं उन्हें कम दर्द निवारक दवाएं खानी पड़ती हैं। लेबर पेन के दौरान एक ही स्थिति में लेटे रहना, दर्द को और अधिक बढ़ा देता है। महिलाओं को प्रसव के दौरान हेल्थ केयर वर्कर या नर्स की मदद से चलने-फिरने का अभ्यास करना चाहिए।
प्रसव के समय पेडू की दर्दभरी और कसी हुई मांसपेशियों को गर्माहट देकर दर्द से आराम पाया जा सकता है। गर्भवती को अधिक से अधिक आराम पहुंचाने के लिए आप पेडू जांघ और कमर की सिकाई कर सकते हैं, यह दर्द कम करने का सबसे आसान और आजमाया हुआ तरीका है।
तो आपने जाना कि दर्द के बिना प्रसव कराने के के क्या फायदे हो सकते हैं और इसके बाकि प्राकृतिक विकल्प क्या हो सकते हैं? उम्मीद करते हैं आपको जानकारी पसंद आई होगी। असल में दर्द रहित प्रसव का निर्णय पूरी तरह माताओं के हाथ में होना चाहिए क्योंकि इस प्रक्रिया का फायदा सिर्फ माताओं को मिलता है कुछ अपने प्रसव को आसान बनाना चाहती है तो कुछ इसके लिए खुद को पूरी तरह सक्षम मानती है। आपके अगर कुछ तय नहीं कर पा रहीं हैं तो आपको अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए वो आपको इस प्रक्रिया के बारे में ठीक जानकारी दे सकते हैं।
नोट- इस बारें में अपने डॅाक्टर से सलाह अवश्य लें।
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