25 Feb 2019 | 1 min Read
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खतना लड़कों के लिए ज़रूरी होता है या नहीं , इससे पहले आइये जानते हैं खतना क्या है और ये क्यों किया जाता है। एक अमरीकी स्वास्थ्य संस्थान के मुताबिक नवजात लड़के शिशुओं के लिए खतना की महत्वता उससे जुड़े खतरों से कही ज़्यादा है। अगर एक नज़र हम खतना की परिभाषा पर डाले तो इसका अर्थ है ;पुरूषों का खतना उनके शिश्न की अग्र-त्वचा(खाल) को पूरी तरह या आंशिक रूप से हटा देने की प्रक्रिया है। खतना की प्रकिया काफी पुरानी है और कुछ जाती विशेष में प्रचलित भी है।
१. स्वास्थय सम्बन्धी कारण : कुछ शारीरिक बीमारियों के इलाज़ के लिए केवल खतना ही एक अंतिम उपचार हो सकता है।
२. धर्म और जाति सम्बंधित कारण : खतना ज़्यादातर कुछ धर्म जैसे इस्लाम और यहूदी में बच्चे के जन्म के समय किया जाता है। अफ्रीकन समाज में भी ये चल काफी सामन्य है।
खतना करने से पहली बाकि सभी नॉन सर्जिकल उपचार को करके देख लेना चाहिए। जिन परिस्थितयों में बाकि अन्य उपचार काम नहीं रहे हो तब खतना उपयोगी साबित हो सकता है। नीचे लिखी गयी परिस्थितियों में खतना किया जाना ज़रूरी होता है :
फिमोसिस या फाइमोसिस एक ऐसी स्तिथि होती है जिसमे लिंग की त्वचा के ऊपरी सिरे स्किन जिसे फोरस्किन कहते है ,अत्यधिक सख्त हो जाती है और लिंग के आगे वाले हिस्से से पीछे नहीं हट पाती। परिणाम स्वरुप इरेक्शन (उत्तेजना ) के समय आकस्मिक दर्द का उठना , मूत्र त्याग में परेशानी होना जैसे लक्ष्ण सामने आते हैं।
उपचार : जब बीमारी का स्तर काफी कम हो, तब स्टेरॉइड्स का इस्तमाल किया जाता है। ये त्वचा के मुलायम होने में काफी मदद करता है। बहुत कम परिस्थितयों जहाँ पांच वर्ष की उम्र से पहली ही त्वचा आहत हो और शिश्न की ऊपरी त्वचा तक ना आ पाती हो तब खतना का होना ज़रूरी है।
पेनिस हेड में इन्फेक्शन (बैलेनाइटिस) किसी संक्रमण या अन्य कारण से लिंग के सिर पर आई सूजन को कहते हैं। बैलेंटिस असुखद और कभी-कभी पीड़ादायक हो सकता है। लेकिन यह आमतौर पर गंभीर नहीं होता है। इसे सामयिक दवा (लोशन या क्रीम) से दूर किया जा सकता है।
जब लिंग की ऊपरी त्वचा स्वतः अपनी जगह वापस नहीं लौट पाती तब शिश्न के ऊपरी हिस्से में सूजन आने लगती है। जिसका जल्द से जल्द उपचार होना बहुत ज़रूरी है जिससे शिश्न में रक्त का बहाव न रुक जाए।
उपचार : साधाहरण कोई लोशन या क्रीम से इसका इलाज़ किया जा सकता है , मगर जब स्थिति गंभीर हो और बीमारी पुरानी हो तब खतना का होना ज़रूरी होता है।
खतना ,अस्पताल में ही करवाना चाहिए। इलाज़ की पूरी प्रक्रिया मरीज़ को पहले ही बता देनी चाहिए जिससे वह मानसिक दवाब और एंग्जायटी को संभाल सके। ज़्यादातर ,मरीज़ को एक दिन के अंदर ही अस्पताल से छुट्टी दे जाती है। सर्जरी के पहले कुछ भी खाना या पीना मना किया जाता है। पूरी तरह मरीज़ के ठीक होने में लगभग ६ महीने का समय लगता है। फिर मरीज़ चाहे छोटा लड़का हो या कोई पुरुष।
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