5 Feb 2019 | 2 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
निसंतान दंपतियों के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ (IVF) किसी चमत्कार से कम नहीं है। आज के समय में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization) या आईवीएफ उपचार एक पॉपुलर ट्रीटमेंट माना जाता है। आम बोलचाल की भाषा में इसे “टेस्ट-ट्यूब बेबी” या “परखनली शिशु” भी कहा जाता है। आईवीएफ (IVF) क्या होता है (ivf kya hota hai) इसकी जानकारी देने से पहले बता दें कि 1978 में इंग्लैंड में पहली बार आईवीएफ उपचार से एक बच्ची ने जन्म लिया था।
उस समय से लेकर आजतक आई वी एफ की जानकारी से ऐसे कई सफल गर्भावस्था देखे गए हैं, जिनसे एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया गया है। आज के समय में देश के लगभग सभी बड़े-छोटे शहरों व निजी और सरकारी अस्पतालों में आईवीएफ उपचार व आई वी एफ की जानकारी मौजूद है। लेख में सबसे पहले बात करेंगे आईवीएफ (ivf kya hai) क्या है। तो बिना देरी करे शुरू करते हैं लेख।
आई वी एफ की जानकारी देने से पहले बताए दें कि आईवीएफ (IVF) एक मेडिकल फर्टिलिटी टेक्निक है। इसका इस्तेमाल माता या पिता बनने की क्षमता नहीं रखने वाले दंपतियों के लिए किया जाता है। इस कृत्रिम तकनीक की मदद से महिला व पुरुषों में बांझपन की समस्या को हल किया जाता है। इस फर्टिलिटी तकनीक में पहले महिला के गर्भाशय से एग को बाहर निकाला जाता है, फिर उसे पुरुष के स्पर्म से फर्टिलाइज किया जाता है।
एक बार फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया सफल होने के बाद फर्टिलाइज एग को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इसी से महिला के गर्भ में शिशु का विकास हो सकता है और वह सामान्य रूप से एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती है। लेख में आगे आईवीएफ प्रक्रिया क्या है, इसके बारे में जानेंगे।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) का उपयोग न सिर्फ प्रजनन क्षमता में मदद करता है, बल्कि माँ या पिता से शिशु में होने वाली आनुवंशिक समस्याओं को रोकने में भी मदद कर सकता है। आईवीएफ (IVF) के दौरान महिला के गर्भ से एग निकालने से लेकर उसके पुरुष के स्पर्म से फर्टिलाइज करने जैसे विभिन्न चरणों (ivf process in hindi) की प्रक्रिया पूरी की जाती है।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन या आईवीएफ (IVF) प्रक्रिया के पूरे चरण डॉक्टर की देखरेख में लैब में किया जाता है। मुख्य तौर पर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के पांच चरण (ivf process in hindi) होते हैं, जिनमें शामिल हैः
आईवीएफ क्या है (ivf kya hai), इस बारे में लेख में आप ऊपर अच्छे से जान ही चुके हैं। इससे इंकार नहीं किया जा सकता है आर्टिफीशियल रूप से गर्भावस्था धारण करने में आईवीएफ (ivf kya hota hai) एक सफल तकनीक है। पर आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स भी हैं। यही वजह है कि इस भाग में हम आईवीएफ (IVF) से जुड़ी जटिलताएं भी बता रहे हैं।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) बांझपन या प्रेग्नेंसी से जुड़ी आनुवंशिक समस्याओं का इलाज है। सीधे शब्दों में इसके फायदे की बात करें, तो आईवीएफ उपचार (ivf kya hota hai) ऐसे कपल्स के लिए वरदान है, जो किसी कारणवश पेरेंट्स नहीं बन सकते हैं।
इसके अलावा, 40 वर्ष से अधिक उम्र में माँ बनने के सपने को साकार करने में भी आईवीएफ ट्रीटमेंट (IVF Treatment In Hindi) सफल माना जाता है। नीचे पढ़ें किन स्थितियों में आईवीएफ उपचार (ivf treatment in hindi) लाभ लिया जा सकता हैः
फैलोपियन ट्यूब में खराबी या रुकावट होने के कारण अंडे को निषेचित करना या भ्रूण का गर्भाशय तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में आईवीएफ उपचार (ivf treatment in hindi) की मदद से निषेचित अंडे को गर्भाशय में स्थापित किया जा सकता है।
अगर किसी महिला में कोई ओव्यूलेशन विकार है, तो उसे गर्भधारण करने में समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में भी आईवीएफ उपचार (ivf treatment in hindi) की मदद से शुक्राणु को अंडे तक पहुंचाया जा सकता है और उसे निषेचित किया जा सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) महिलाओं से जुड़ी एक समस्या है, जिसमें गर्भाशय के ऊतक गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगते हैं। इससे अंडाशय, गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब के कार्य प्रभावित हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में भी आईवीएफ उपचार (ivf treatment in hindi) की मदद से सुरक्षित रूप से माँ बना सकता है।
फाइब्रॉएड गर्भाशय (Uterine fibroids) को गर्भाशय में गांठ भी कहा जाता है, जो महिलाओं में इनफर्टिलिटी यानी बांझपन की समस्या का कारण बन सकता है। ऐसे में आईवीएफ उपचार (ivf treatment in hindi) की मदद ली जा सकती है।
अगर किसी वजह से पुरुष या महिला में से एक ने या दोनों ने ही नसबंदी करवा ली है, तो ऐसी स्थिति में भी आईवीएफ ट्यूबल लाइगेशन रिवर्सल सर्जरी के विकल्प को अपनाया जा सकता है और पेरेंट्स बनने के सपने को साकार किया जा सकता है।
अगर पुरुष में शुक्राणु की कमजोर या लो स्पर्म काउंट है, तो ऐसी स्थिति में उनके शुक्राणु अंडे को निषेचित यानी फर्टिलाइज नहीं कर पाते हैं। ऐसे में ऐसे पुरुष भी आईवीएफ उपचार (ivf treatment in hindi) की मदद ले सकते हैं।
अगर किसी महिला या पुरुष में बिना किसी कारण भी बांझपन की समस्या होती है, तो ऐसी परिस्थिति में भी इनफर्टिलिटी के ट्रीटमेंट के तौर पर आईवीएफ उपचार (ivf treatment in hindi) की मदद ले सकते हैं।
खुद के लिए सबसे अच्छे आईवीएफ (IVF) सेंटर का चुनाव करने के लिए आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। साथ ही, अपने पास के किसी भी आईवीएफ (IVF) सेंटर में जा सकते हैं और उनसे निम्नलिखित सवाल पूछ सकते हैं, ये सवाल आपको सबसे अच्छे आईवीएफ (IVF) सेंटर की खोज करने में मदद कर सकते हैं।
भारत में आईवीएफ उपचार एक महंगा ट्रीटमेंट माना जा सकता है। औसतन इस उपचार में 65,000 रुपए से 3,00,000 लाख रुपए तक का खर्च आ सकता है। हालांकि, आईवीएफ में कितना खर्चा आता है या निम्नलिखित स्थितियों पर भी निर्भर कर सकता है, जैसेः
आई वी एफ के बाद सावधानी बरतने के लिए आप निम्नलिखित बातों का ध्यान रख सकते हैंः
ऐसा नहीं है कि आईवीएफ (IVF) तकनीक हर बार सफल हो जाती है। अधिकांश मामलों में निस्संतान जोड़े दो से तीन बार के प्रयास में आईवीएफ (IVF) तकनीक से गर्भावस्था को धारण कर पाते हैं। इसलिए, आईवीएफ (IVF) तकनीक अपनाने से पहले दोनों साथी को संपूर्ण स्वास्थ की जांच करानी चाहिए और उन्हें बांझपन के कारणों का पता लगाना चाहिए।
दिल्ली में लाजपत नगर स्थित नोवा इवी फर्टिलिटी के क्लिनिक की कंसल्टेंट डॉ. पारुल कटियार का कहना है कि “आईवीएफ (IVF) की विफलता के कारणों की पहचान करने के बाद ही आईवीएफ उपचार को सफल बनाया जा सकता है। देखा जाए, तो आज के अधिकतर युवा करियर में सेटल होने के बाद ही फैमिली प्लानिंग करते हैं। इस प्लानिंग में कई बार 35 व 40 की उम्र भी पार कर जाते हैं।”
वहीं, बढ़ती उम्र का कनेक्शन सीधे तौर पर घटती इनफर्टिलिटी से जुड़ी हुई देखी जा सकती है। आमतौर पर 35 साल के बाद महिलाओं में अंडाणु बनने की क्षमता कम होने लगती है। इसी प्रकार पुरुषों में शुक्राणुओं की गुणवत्ता भी घटने लगती है। जिस वजग से अक्सर अधिक उम्र में आईवीएफ (IVF) के जरिए गर्भधारण की तकनीक असफल साबित हो सकती है।
उम्मीद है कि इस लेख में आपको आईवीएफ (IVF) क्या होता है (ivf kya hota hai), इसके समझने के लिए जरूरी जानकारी विस्तार से मिली होगी। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ (IVF) उपचार निसंतान जोड़ों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अगर डॉक्टर के सुझावों के अनुसार कपल समय पर हार्मोनल दवाओं का इस्तेमाल करें और सभी जरूरी सावधारी को बरतें, तो पहली ही प्रयास में आईवीएफ उपचार को सफल बनाया जा सकता है।
हां, मौजूदा समय में भारत के अब गवर्नमेंट यानी सरकारी अस्पतालों में आईवीएफ (IVF) ट्रीटमेंट की सुविधा मौजूद है।
आप इन सरकारी अस्पतालों में आईवीएफ उपचार के लिए संपर्क कर सकते हैंः
नहीं, आईवीएफ (IVF) की प्रक्रिया के दौरान महिला को दर्द का एहसास न होने वाले इंजेक्शन लगाए जाते हैं। हांलाकि, एम्ब्रायो ट्रांसफर के बाद पेट में दर्द की समस्या हो सकती है।
आईवीएफ (IVF) हस्तांतरण के बाद महिला को संभोग करने से बचना चाहिए और साथ ही, तेज गति से किसी भी शारीरिक कार्य करने से भी बचाव करना चाहिए।
आईवीएफ (IVF) को ही टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहा जाता है।
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