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गर्भावस्था के दौरान पीलीया का भ्रूण पर क्या प्रभाव होता है ?

गर्भावस्था के दौरान पीलीया का भ्रूण पर क्या प्रभाव होता है ?

24 Jan 2019 | 1 min Read

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स्वस्थ गर्भावस्था आज के समय में एक दुर्लभ स्थिति होती जा रही है, इसका कारण है भाग-दौड़ भरी जिंदगी और खान-पीन में गुणवत्ता का ना होना। शरीर में किसी भी तत्व की कमी होती है तो गर्भावस्था में तकलीफ का कारण बनती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए गर्भावस्था में उनका विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि शिशु और माँ जीवन भर शारीरिक कष्टों का सामना ना करें। इसके अभाव में कई बार गर्भावस्था में पीलिया जैसी समस्या आ खड़ी होती है, जिसके बारे में हम यहाँ विस्तार से आपको बताने वाले हैं।

आइए, जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान पीलिया से कैसे निबटें और इससे बचने के उपाय क्या हो सकते हैं?

 

  • जॉन्डिस (पीलिया) होने के कारण – Causes of jaundice in pregnancy

पीलिया एक ऐसी स्थिति है जो आपके जिगर यानि लिवर के कामकाज में गिरावट के कारण होती है। लिवर का सही से काम न करना शरीर में बिलीरुबिन (पित्त) के निर्माण को बढ़ावा देता है जिसे त्वचा और आंखों में पीलापन हो जाता है। वायरल हेपेटाइटिस गर्भावस्था में पीलिया का सबसे आम कारण है जिसमें हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस डी और हेपेटाइटिस ई वायरस के कारण संक्रमण पैदा हो जाता है। यह संक्रमण लिवर के काम में बाधा डालता है जिससे गर्भवती महिला और शिशु दोनों को परेशानी हो सकती है। आइए, गर्भावस्था में पीलिया के कुछ अन्य कारणों पर एक नजर डालते हैं –

1. हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम (Hyperemesis gravidarum)

गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में बार-बार होने वाली उल्टी के कारण शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और निर्जलीकरण हो सकता है। यह लिवर के समुचित कार्य को प्रभावित कर सकता हैऔर पीलिया का कारण बन सकता है।

2. HELLP ​​सिंड्रोम (HELLP syndrome)

एचईएलपी (हेमोलिसिस, एलिवेटेड लिवर एंजाइम और लो प्लेटलेट्स) सिंड्रोम अक्सर उन महिलाओं को प्रभावित करता है जो प्री-एक्लेमप्सिया से पीड़ित हैं यह गर्भावस्था के प्रारंभिक चरण में हो सकता है। इस सिंड्रोम से प्रभावित महिलाएं भी लिवर में गड़बड़ी से पीड़ित होती हैं, जिससे पीलिया हो सकता है।

3. अधिक फैटी लीवर (Acute fatty liver)

गर्भावस्था के अंतिम चरण में कभी-कभी जिगर में फैटी एसिड जमा हो सकता है।यह जिगर की शिथिलता और पीलिया का कारण बन सकता। ऐसी स्थिति माँ और उसके बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

4. प्रसूति कोलेस्टेसिस (Obstetric Cholestasis)

गर्भावस्था के इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस (ICP) महिलाओं में गर्भावस्था से संबंधित सबसे आम लिवर प्रॉब्लम है। यह आमतौर पर गर्भावस्था के तीसरे तिमाही के भीतर विकसित होता है और पित्त यानि एसिड या एलेनिन एमिनोट्रांस्फरेज़ के स्तर को बढ़ा देता है। यह समस्या आगे चलकर पीलिया का कारण बन सकती है। इसे पीलिया के आनुवंशिक कारणों में से एक माना जा सकता है।

 

एक गर्भवती महिला में जॉन्डिस के संकेत और लक्षण – Signs and symptoms of jaundice in pregnancy

पीलिया का सबसे आम लक्षण यह है कि यह आपकी त्वचा और आपकी आंखों को पीलापन देता है व आपका मूत्र गहरे रंग का हो जाता है। उल्टी, और पेट में दर्द आदि लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। पीलिया के परिणाम सहज से लेकर घातक तक हो सकते हैं। नवजात शिशुओं में पीलिया काफी आम है। हालांकि वयस्क भी इस स्थिति से पीड़ित हो सकते हैं, गर्भावस्था के दौरान पीलिया एक दुर्लभ बीमारी कही जा है।

 

  • गर्भावस्था के दौरान जॉन्डिस का निदान – Diagnosis of jaundice during pregnancy

गर्भावस्था के दौरान पीलिया होने की पुष्टि के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपके बाहरी लक्षणों को देखते हैं जैसे आँख, नाखून, त्वचा या मूत्र अधिक पीला तो नहीं है। अगर किसी प्रकार का कोई खतरा नजर आता है तो ऐसे में डॉक्टर ब्लड टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। ब्लड टेस्ट में एल्ब्यूमिन का आना पीलिया का संदेह देता है जो कि एक तरह का प्लाज्मा प्रोटीन है। इसके अलावा एल्कलाइन फॉस्फेट और प्रोथ्रोम्बिन टाइम (PT) का ज्यादा होना भी पीलिया की ओर संकेत करता है। दुर्लभ मामलों में डॉक्टर अल्ट्रासोनोग्राफी की सलाह देते हैं जिससे लिवर में हुई समस्या पहचानी जा सकती है।

 

  • गर्भावस्था के दौरान जॉन्डिस से होने वाले जोखिम और कॉम्प्लेक्शन

गर्भावस्था में अगर माँ को पीलिया हो तो बच्चे पर कई गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। डिलीवरी के समय कई तरह की समस्या हो सकती हैं, साथ ही गर्भस्थ शिशु के समग्र विकास में बाधा आ सकती है। गर्भावस्था में जॉन्डिस होने पर प्रीमैच्योर डिलीवरी, प्लेसेंटा से जुड़ी समस्याएं, स्टिलबर्थ, डिलीवरी के बाद बवासीर जैसे जोखिम पैदा हो सकते हैं। लिवर में संक्रमण होने पर बच्चे को भी डिलीवरी के समय संक्रमण होने का खतरा रहता है।

गर्भावस्था में माँ को अगर पीलिया है तो दुर्लभ मामलों में यह बच्चे में न्यूरोलॉजिकल कॉम्प्लेक्शन पैदा कर सकता है। इससे बच्चे का मानिसक विकास प्रभावित हो सकता है, सेरेब्रल पाल्सी जैसे विकार का जोखिम भी जॉन्डिस की वजह से पैदा हो सकता है।

 

  • गर्भावस्था के दौरान जॉन्डिस के लिए उपचार- Treatment of jaundice in pregnancy

गर्भावस्था में जॉन्डिस एक जटिल स्थिति है जिसके उपचार के डॉक्टर की सलाह बहुत जरूरी है। इस स्थिति के लिए डॉक्टर आपको कुछ दवाएं और सप्लीमेंट सुझाते हैं जिससे लिवर ठीक तरह से काम करने लगे। असल में पीलिया का इलाज इसके कारणों पर निर्भर है, यानि जिस वजह से पीलिया की स्थिति बनी है, उसका इलाज किया जाता है। जैसे अगर हेपेटाइटिस की वजह से पीलिया हुआ है तो आपको डॉक्टर एंटीवायरल दवा देंगे और अगर यह पानी की कमी से है तो आपको अधिक तरल लेने की सलाह दी जाएगी। ध्यान रखें कि गर्भावस्था में डॉक्टर की अनुमति के बिना आपको कोई दवा नहीं लेनी चाहिए।

 

  • गर्भावस्था के दौरान जॉन्डिस होने से कैसे रोकें – How to prevent jaundice in pregnancy

आपने जाना कि गर्भावस्था में पीलिया कितना घातक साबित हो सकता है इसलिए इससे जितना हो सके उतना बचना चाहिये। हम यहाँ पर पीलिया से बचाव के कुछ उपयोगी टिप्स दे रहे हैं –

  • पीलिया से बचाव के लिए अपने आस-पास साफ़ सफाई रखें ताकि हेपेटाइटिस जैसे वायरस आपसे दूर रहें।
  • भरपूर मात्रा में स्वच्छ पानी पिएँ और तरल पदार्थों का सेवन करें ताकि शरीर में इलेक्ट्रोलाइट इम्बैलेंस न हो।
  • खाने में कीवी, सेब, संतरा जैसे फल शामिल करें, ताकि इनके फाइटोकेमिकल्स आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाएं।
  • बीमारी से बचाव के लिए अपने आप को और अपने बच्चों को हेपेटाइटिस के टीके लगवाएं।
  • एल्कोहल का सेवन न करें, यह लिवर डैमेज का खतरा पैदा करता है।

पीलिया की बीमारी दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है, फिर भी गर्भावस्था में इससे बचाव बहुत जरूरी हो जाता है। हमारे देश में गर्भावस्था में पीलिया की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं क्योंकि लोगों में इस बीमारी के जागरूकता की कमी है। हालांकि, पीलिया का उपचार संभव है फिर एहतियाती उपायों का पालन करने से इसका जोखिम कम हो सकता है। लोगों को इस जटिल बीमारी के बारे जागरुक करना चाहते हैं तो हमारे इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।

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