18 Sep 2018 | 1 min Read
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पेट साफ़ होने में समस्या, पेट में दर्द और मल का अत्यधिक कठोर हो जाना, ये सभी गर्भावस्था में सामने आने वाली आम समस्याएं हैं। अगर कोई महिला गर्भवती है तो कब्ज के ये तीन लक्षण काफी तकलीफ देह साबित होते हैं। बढ़ते वजन और जी मिचलाने के साथ-साथ लम्बे से तक टॉयलेट में बैठना वाकई दूभर हो जाता है लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है, गर्भावस्था के दौरान कब्ज होना आम है। एक अध्ययन के अनुसार, चार में से लगभग तीन महिलाओं को प्रेगनेंसी में किसी न किसी समय कब्ज का सामना करना पड़ता है। स्टूल सॉफ्टनर से लेकर प्राकृतिक इलाज तक, कब्ज से राहत पाने के लिए ढेर सारे उपचार उपलब्ध हैं, जिनके बारे में इस लेख में विस्तार से बताया गया है।
आइए, सबसे पहले जानते हैं कि गर्भावस्था में कब्ज क्यों होता है ?
हार्मोनल परिवर्तन, आँतों पर दबाव और आयरन-विटामिन का सेवन, इसके अलावा कई अन्य कारणों से भी कब्ज हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बढ़ जाता है जो शरीर की मांसपेशियों को धीमा करके उन्हें आराम देने का काम करता है। इसी प्रक्रिया में प्रोजेस्टेरोन आँतों को भी टार्गेट करता है। आंतें धीमी गति से चलने लगती हैं तो पाचन भी धीमा पड़ जाता है। इससे भी कब्ज की समस्या हो सकती है।
यदि आप आयरन की खुराक पर हैं, तो आपके डॉक्टर चाहेंगे की आप वह खुराक लेती रहें, ऐसे में आप कब्ज महसूस कर सकते हैं। आयरन की खुराक पाचन को धीमा करती है। कई बार आयरन शरीर द्वारा पचाये नहीं गये पदार्थों से चिपक जाता हैं और मल को कठोर बना देता है। इसके अलावा, गर्भ में बढ़ते बच्चे के कारण बना दबाव भी कुछ गर्भवती महिलाओं में कब्ज पैदा कर सकता है। चलिए जानते हैं कब्ज का समाधान करना क्यों जरूरी है ?
गर्भावस्था के दौरान कब्ज होना अधिक गंभीर नहीं माना जाता है। बहुत ही दुर्लभ मामलों में कब्ज के परिणामस्वरूप गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं जैसे कि फेकल इंफेक्शन। फेकल इंफेक्शन में मल का एक बड़ा, कठोर टुकड़ा होता है जो आपके बृहदान्त्र या मलाशय में इतनी बुरी तरह से फंस जाता है कि आप इसे बाहर नहीं निकाल पाते हैं। यह समस्या बहुत गंभीर हो सकती है। साथ ही यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कब्ज गर्भवती महिला के दैनिक जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। गर्भावस्था के दौरान कब्ज अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परेशानियों जैसे मतली और उलटी का कारण बन सकता है, इसलिए कब्ज के लक्षण नजर आने पर इसका समाधान पाने की कोशिश करें –
आइए, गर्भावस्था के दौरान कब्ज के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचारों पर नज़र डालें।
आयुर्वेद बीमारी के इलाज की एक प्राचीन प्रणाली है और वेदों में भी इसका जिक्र मिलता है। कई ऐसे आयुर्वेदिक फार्मूले हैं जो आँतों की गतिविधि को बढ़ावा दे सकते हैं। ध्यान रखें कि गर्भावस्था में डॉक्टर की सलाह के बिना इन नुस्खों का प्रयोग न करें –
इस को सामान्यतः सत इसबगोल के रूप में जाना जाता है और यह मेडिकल काउंटर पर आसानी से उपलब्ध है। इसबगोल भूसी कब्ज के लिए एक टेस्टेड और परखा गया उपाय है। यह सबसे अच्छा काम करता है जब आप गरम दूध के साथ 1 टेबलस्पून लेते हैं।
आतों की सफाई में सहायता करने के लिए जाना जाता है, यह टॉनिक आमतौर पर भोजन के बाद समान मात्रा में पानी के साथ 10 मिलीलीटर की खुराक में लिया जाता है।
त्रिफला तीन फलों का एक मिश्रण है – अमलकी (आंवला), बिभीतक (बहेडा) और हरितकी (हरड़)। इसे दिन में दो बार शहद के साथ ले लो या गर्म पानी के साथ रोजाना 5 से 10 ग्राम सोने के वक्त ले लो।
यह आयुर्वेदिक उपाय तीव्र या पुरानी तरह की पाचक मुसीबतों का मुकाबला करने में मदद करता है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है। इस सूत्रीकरण के लिए सामान्य खुराक एक ग्राम का पांचवां हिस्सा है और आप पानी या छाछ के साथ भोजन के बाद रोज दो बार या तीन बार ले सकते हैं।
इसे एक हानिरहित रेचक के रूप में स्वीकार किया जाता है। नियमित रूप से उपयोग किए जाने पर जाम जैसी स्थिरता को भी यह दवा कम करती है। आम तौर पर, प्रशासित खुराक 6 से 12 ग्राम होता है और इसे गर्म पानी के साथ सोने के समय पहले लेना होता है।
भोजन के बाद गर्म पानी के साथ गंधक वटी का एक टैबलेट कब्ज की समस्याओं को खत्म करने में भी मदद कर सकता है।
इनके अलावा नारियल के तेल का सेवन कब्ज से छुटकारा पाने के लिए जाना जाता है। बायल फल एक आयुर्वेदिक दवा है जो शरीर से अपशिष्ट को दूर करने में मदद करता है। इसी प्रकार, कॅस्टर ऑयल, कासनी, हरितक, और रूबर्ब सुस्त आंतों के लिए सभी प्राकृतिक उपचार माने जाते हैं।
अब जानते हैं कि गर्भावस्था में कब्ज के जोखिम को कैसे कम किया जा सकता है।
गर्भावस्था आपके जीवन में आने वाल एक सुंदर मौका है। इस दौरान आप और आपके बच्चे दोनों के लिए इस अवस्था को आरामदायक और सुरक्षित बनाने के लिए सही आदतों की अपनाना काफी महत्वपूर्ण है। गर्भावस्था के दौरान कब्ज में कुछ स्वास्थ्यवर्द्धक आदतें राहत दे सकतीं हैं जैसे –
गर्भावस्था के दौरान कब्ज होने पर आयुर्वेदिक उपचार बहुत फायदेमंद साबित हो सकते हैं। लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रखें कि सबकी प्रेगनेंसी अलग-अलग होती है, इसलिए जो नुस्खा आपकी सहेली पर कारगर रहा हो जरूरी नहीं वो आपके लिए भी ठीक हो। इसलिए किसी भी तरह की दवा या सामग्री के सेवन से पहले अनुभवी डॉक्टर से राय जरूर लें। किसी भी प्रकार की परेशानी महसूस हो तो तुरंत मेडिकल स्टाफ से सलाह लें क्योंकि गर्भावस्था के दौरान थोड़ी भी लापरवाही बड़े नुकसान का कारण बन सकती है।
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