12 Sep 2018 | 1 min Read
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आप माता-पिता के रूप में कैसे हैं, यह आपके बच्चे के व्यक्तित्व को बनाने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। क्योंकि यह अनुभव बड़े होने तक उनके साथ रहता है। बच्चें बिल्कुल कुम्हार की माटी जैसे होते हैं, उन्हें जैसा आकार दो, वो वैसे ही बनते जाते हैं। जो पैरेंट्स अपनी परवरिश से जुड़ी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाते हैं, उनकी मेहनत उनके बच्चे की पर्सनैलिटी में झलकती जरूर है। यह व्यवहार और मनोस्थिति से जुड़ा एक मुश्किल विज्ञान है, बेबीचक्रा के इस आर्टिकल में हम जानेंगें कि कैसे परवरिश और पालन-पोषण के तरीके बच्चे के मानसिक विकास को प्रभावित करते हैं। साथ ही यह भी बताने की कोशिश करेंगे कि विशेषज्ञ इस बारे में क्या राय रखते हैं और आपके बच्चों की परवरिश में कर्तव्य क्या होने चाहिए।
आइये जानते है कि एक माता-पिता के लिए परवरिश की शैलियाँ कौन-कौन सी होती हैं
सभी माता-पिता की अपनी खुद की परवरिश की शैली होती है – उनके बच्चों को बड़ा करने का उनका अपना तरीका। असल मायने में बच्चों की परवरिश शैली यह तय करती है, कि आप कैसे पैरेंटस है। इस बारे में बेला राजा, जो कि एक पैरेंटिंग काउंसलर हैं उनके , अनुसार आपकी पेरेंटिंग शैली, अगर निगेटिव है, तो बच्चे के मनोविज्ञान पर भी गलत प्रभाव पड़ सकता है जिससे नुकसान हो सकता है। “पेरेंटिंग की एक अच्छी शैली यह है, जिसमें माता-पिता अपने बच्चे की जरूरतों और भावनाओं का उतना ही सम्मान करते हैं, जितना बच्चे माता-पिता का सम्मान करते है। माता-पिता के लिए बच्चे के आत्म-सम्मान के विकास को प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण है। उन्हें खुद के बारे में अच्छा महसूस करने के लिए उन्हें सिखाने की जरूरत है। “हालांकि हमारे समाज में बच्चों के अधिकारों की चिंता करना लोगों को बेकार की बात लगता है चाहे वो बिना पूछे उनके कमरे में प्रवेश करने जैसी छोटी बात ही क्यों न हो।”
बेला कहते हैं कि चूंकि बच्चे की पहली सामाजिक बातचीत माता-पिता के साथ होती है, इसलिए यहां इस्तेमाल की जाने वाली बातचीत की शैली का बच्चे के व्यक्तित्व पर एक बड़ा असर पड़ता है । टीवी एंकर मिनी माथुर, सात वर्षीय विवान की मां बताती हैं कि वह एक मीडियम पैरेंट हैं ना ज्यादा कड़े और ना ज्यादा नरम है। वो कहती हैं कि
“मैं विवान को लेकर कभी ज्यादा डिफेंसिव नहीं होती हूँ ,ताकि वह खुद अपनी लड़ाई लड़ना सीख सके। अब मैं एक गाइड यानी संरक्षक की भूमिका निभा रही हूं जिससे वह स्वतंत्र होना सीख रहा है और उम्मीद करती हूँ कि बड़े होकर वो अपने निर्णय खुद ले पाएगा। कभी-कभी मैं भावनाओं में बह जाती हूँ लेकिन परिवार में अनुशासन बना के रखना जरूरी है।”
” विवान के पिता कबीर एक फन लविंग और नॉलेज शेयर करने वाले फ्रैंक डैड है, इसलिए चीजों को बैलेंस रखने का और विवान को अनुशासन में रखने का काम मुझे करना होता है। शुक्र है कि वह एक बैलेंस्ड, इमोशनल , संवेदनशील और ग्राउंडेड बच्चा है , इसलिए मुझे विश्वास है कि मैं कहीं कुछ ठीक कर रही हूं, “वह कहती हैं।
यदि आप चिंतित हैं कि आपका कॉलेज जाने वाला बच्चा कपड़ों या जूते पर बहुत ज्यादा ज़िद कर रहा है, तो हो सकता है यह आपके हर बात पर ना कहने के कारण हो। जिसकी वजह से बच्चा स्वयं अपने निर्णय लेने में सफल नहीं हो पाता है, यदि लोग शिकायत करते हैं कि आपका बच्चा अत्यधिक अहंकारी और अशिष्ट है, तो ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि आपने उसके व्यवहार पर बचपन में ध्यान नहीं दिया है। ।
यहां कुछ पेरेंटिंग शैलियों और उनके संभावित परिणाम क्या हो सकते है, इसके बारे में बताया गया है :
जो पैरेंट्स अपने बच्चे को हमेशा अपनी प्रोटेक्शन में रखते हैं वो आगे चलकर बहुत दब्बू और डरपोक मानसिकता के शिकार हो सकते हैं। अपने बच्चे को लेकर बहुत ज्यादा सेंसीटिव रहने वाले पैरेंट्स के साए में बच्चे अक्सर आत्मनिर्भर बनने में परेशानी महसूस करते हैं। यदि आप उन्हें अपने जीवन की परेशानियों का सामना नहीं करने देंगे , तो वे अत्यधिक निर्भर और कमजोर हो जाएंगे और छोटे मामलों के लिए मदद मांगेंगे।
एक्सपर्ट टिप : ऐसा व्यवहार आपके बच्चे की इमोशनल इंटेलीजेंस को कम कर सकता है। बच्चों को लेकर ओवर-प्रोटेक्टिव न बनें और उन्हें समस्याओं से खुद जूझने का भी मौका दें।
ऐसे में बच्चे अक्सर झूठ बोलने वाले और अविश्वासपूर्ण बन जाते हैं । अपने बच्चे पर नज़र रखना ठीक है, लेकिन अगर आप ऐसा ज्यादा करते हैं तो आप बच्चे का विश्वास खो देंगें। ऐसी परवरिश में बच्चा आपके कॉल या संदेश को देखकर घबराएगा। बचने के लिए, वो झूठ बोलने का भी सहारा ले सकता है। ऐसे माता-पिता अपने डर को, अपने बच्चे में डाल देते हैं और इससे वे बड़े होकर कम आत्मविश्वास वाले और अविश्वासपूर्ण व्यक्तित्व को अपना लेते हैं।
एक्सपर्ट टिप : अगर आप बच्चों पर अत्यधिक नज़र रखना चाहते हैं , तो उनके साथ स्पष्ट बात करें और समाधान ढूंढें। उदाहरण के तौर पर, बच्चों के साथ ऐसा व्यहावर रखें, कि जब भी वह अपने दोस्त के घर जाएं तो वह आपको कॉल करें न की आप उन्हें। सरल शब्दों में यह कहा जा सकता है कि बच्चों के साथ फ्रेंडली बनकर रहे।
बहुत अधिक अपमान करने वाले और मार-पिटाई करने वाली परवरिश बच्चों को गुस्सैल व्यक्तित्व की ओर ले जाती है। सबको अपने बच्चे की गलतियों को बताने करने का अधिकार है, लेकिन भावनात्मक या शारीरिक हिंसा का उपयोग उन्हें जीवन भर के लिए डरा सकता है। अपमान करने वाले माता-पिता अपने बच्चे के भावनात्मक विकास को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाते हैं जिससे उनका आत्म सम्मान और आत्मविश्वास कम होता है। ऐसे बच्चे की सभी भावनाएं चरम पर होती हैं, वह या तो बहुत विद्रोही बन जाते हैं या फिर बहुत इंट्रोवर्ट हो जाता है ।
एक्सपर्ट टिप : आप बच्चों पर गुस्सा होने के कारणों की पहचान करें। देखें कि क्या यह आपके बच्चे से बात करने का सही का तरीका है? उनकी कौन सी गलतियों से आपको परेशानी होती है। उन गलतियों में सुधार पर बच्चों से चर्चा करें।
जिनके माता-पिता बच्चों पर अधिक प्रेशर डालते हैं वो बच्चे खुद को नुकसान पहुंचा सकते हैं। है। वह माता -पिता जो अपने बच्चों को हमेशा ही विजेता बनाना चाहते हैं, हर समय बच्चों को अत्यधिक दबाव में रखते हैं वो आगे चलकर बच्चों में खुद का नुकसान करने की प्रवृत्तियों का कारण बन सकते हैं। ऐसे माता-पिता को अपनी बच्चे की असफलता बहुत चुभती हैं और वे बच्चे के व्यक्तित्व को कुचल देते हैं। बड़े होने पर , ऐसे बच्चे दूसरों की उम्मीदों के अनुरूप होने का प्रयास करते हैं,और जब वे ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो वे खुद को बेकार समझने लगते हैं ।
एक्सपर्ट टिप : अपने बच्चों के साथ सकारात्मक भावनाओं को साझा करें। अगर वे प्रतिस्पर्धा नहीं जीतते हैं तो भी बच्चों को प्रोत्साहित करें।
ऐसे माता-पिता, जो अपने बच्चे के साथ सहानुभूति नहीं रखते हैं, वे अपने बच्चे के व्यक्तित्व को अधिक खराब कर देते हैं। इससे वह साइकोपैथ हो सकते हैं अपने आप को बेकार महसूस कर सकते हैं। उनका ,आत्म-सम्मान कम हो जाता है और वे हीन भावना से भर जाते हैं।
एक्सपर्ट टिप : अगर आप अपने बच्चे की किसी बात से असहमत भी है तो उसे पॉजिटिव तरीके से समझाएं और ऐसी बातों से बचें जिनमें तुलना भरी हो। ऐसे ताने न दें जो चोट पहुंचाते हैं।
बिजी पैरेंट्स बच्चों को घमंडी बना सकते हैं । माता-पिता, जो अपने बच्चे की गतिविधियों में भाग नहीं लेते हैं या जो अपने बच्चे पर गुस्सा होने के बाद बहुत खेद महसूस करते हैं, वो बच्चे को एक कॉम्प्लीकेटड पर्सनैलिटी में बदल देते हैं। ऐसे माता-पिता अक्सर ‘नहीं’ कहने में असमर्थ होते हैं जिससे बच्चा एक अति असंवेदनशील व्यक्ति बनता है, जो गलती स्वीकार नहीं कर सकता और आलोचना को सकारात्मक रूप से स्वीकार नहीं कर पाता है।
एक्सपर्ट टिप : अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं। कई चीजें एक साथ प्लान करें, जैसे पेंटिंग, कहानी सुनाना , पार्क जाना इत्यादि। यदि वे कोई गलती करते हैं, तो धीरे-धीरे उन्हें समझाएं। अपने बच्चे के रोने से या नखरे दिखाने से हार न मानें , क्योंकि यह आगे चलकर उनके व्यवहार को मजबूत करता है।
बच्चों को पालना आसान काम नहीं होता है। बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए बच्चों से भावनात्मक तौर से जुड़े। बच्चों को समय दे, उनकी बात सुने, कभी किसी दूसरों के सामने बच्चों को अनदेखा नहीं करे। अगर माता पिता अपने बच्चों की ख़ास जरूरतों को पूरा करने में असफल होते हैं तो बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव देखने को मिल सकता है। बच्चों के पालन पोषण के तहत नीचे लिखी जिम्मेदारियां बहुत महत्वपूर्ण मानी गयी हैं –
सभी पैरेंट्स को अपने बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में अवश्य बताना चाहिए। बच्चों की सभी समस्याओं को सुनना चाहिए। बच्चों की पहुंच से हमेशा उन चीजों से दूर रखें जिनसे उनको नुकसान पहुंच सकता है।
अपने बच्चे की देखभाल करने वालों और उनके साथ रहने वालों को अच्छी तरह जान लें। हमेशा सीटबेल्ट आदि पहना कर रखें और निर्धारित उम्र से पहले ड्राइविंग न करने दें।
बच्चे का शारीरिक विकास अच्छी तरह होता रहे इसके लिए उन्हें अच्छा भोजन देना और देखभाल करना अच्छी परवरिश का हिस्सा होता है। बच्चों के शारीरिक विकास के लिए हेल्दी डाइट दे। जैसे कि फल, मेवे, प्रोटीन युक्त भोजन आदि। इसके अलावा बच्चों को खेलकूद के लिए प्रोत्साहित करें। क्योंकि इससे शारीरिक विकास बहुत तेजी से होता है।
हर बच्चा अपने आप में अलग व्यक्तित्व होता है इसलिए अपने बच्चे की विशिष्टता को स्वीकार करें और उसके व्यक्तित्व का सम्मान करें। साथ ही अपने बच्चे को क्लब, गतिविधि या खेल में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें अगर वो कोई कार्य नहीं करना चाहते तो उनसे जबरदस्ती न करें। उन्हें साफ़-सफाई से रहना सिखाएं और बाहरी सुन्दरता से ज्यादा आंतरिक सुन्दरता का महत्व जरूर बताएं। अगर आप अपने बच्चे के अंदर आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास जैसे गुण चाहते हैं तो उसका कभी भी पब्लिक में मजाक न बनाएं और न ही किसी बाहरी व्यक्ति से उसकी बुराई करें।
अपने बच्चे की मानसिक क्षमता को स्वीकार करें और उसके बौद्धिक स्तर का सम्मान करें ताकि उसका मानसिक विकास अच्छा हो। बच्चे को ईमानदारी, सम्मान करना, धैर्य रखना, माफ़ करना और संवेदनशील होना सिखाएं। आपको हमेशा अपने बच्चे से सम्मानजनक भाषा में बात करनी चाहिए। बच्चे की भावनाओं और राय को समझने की कोशिश करनी चाहिए। अपने बच्चे की शिक्षा में खुद भी शामिल हों, केवल स्कूल पर निर्भर न रहें, स्कूल उन्हें सब कुछ नहीं सिखाते हैं। अपने बच्चे के टीचर्स के साथ नियमित रूप से संवाद करें। अपने बच्चे को उसके होम वर्क में सहायता करें, लेकिन उसका होमवर्क न करें। अपने बच्चे से प्रतिदिन स्कूल के बारे में बात करें जैसे क्या पढ़ा जा रहा है, या कोई दिलचस्प घटना हुई या नहीं? इस तरह से बच्चे की बौद्धिक क्षमता का विकास होता है।
आपने जाना कि पैरेंटिंग की रूलबुक कैसी होनी चाहिए। उम्मीद करते हैं कि आपको कई अच्छी पैरेंटिंग टिप्स इस आर्टिकल से मिल गयी होंगी। बच्चों के पालन पोषण में जो बात सबसे महत्वपूर्ण है वो है उनकी क्षमताओं का बढ़ावा देना और उनकी कमियों को सुधारने में प्यार से मदद करना। पैरेंट्स का प्यार पाना हर एक बच्चे की अधिकार है इसलिए कभी भी उन्हें इससे दूर रखना नहीं चाहिए। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो इसे शेयर करना न भूलें।
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