1 Aug 2018 | 1 min Read
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क्या आपका बच्चा मुँह खोल कर सोता है? ये शायद ज़्यादातर बच्चों के साथ होता है और कई माँ इसे नज़रअंदाज़ कर देती हैं, पर क्या इससे कोई बीमारी हो सकती है? सवाल बहुत जायज़ है क्योंकि मुँह खोल कर सोना एक सामान्य आदत नहीं है, यह किसी न किसी परेशानी के कारण होता है। बेबीचक्रा के इस आर्टिकल के जरिए हम बच्चे की मुँह खोलकर सोने (Muh khol ke sona) की आदत के बारे विस्तार से बताने का प्रयास कर रहें हैं, चलिए जानकारी की शुरुआत करते हैं और सबसे पहले जानते हैं कि मुंह खोलकर सोने का क्या मतलब है?
मुंह खोल कर सोने का मतलब है नींद के दौरान मुंह से सांस लेना, जबकि नाक से सांस लेना सामान्य माना जाता है। यह ऊपरी श्वसन समस्याओं का एक संकेत हो सकता है और अगर इलाज न किया जाए तो स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं भी पैदा हो सकती हैं। लेख में आगे जानते हैं कि मुंह से सांस लेने से क्या होता है?
कई चिकित्सकों और डॉक्टरों का कहना है कि मुंह से सांस लेने से कई भविष्य में कई असुविधाएं और समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जिनका असर लम्बे समय तक भी रहता है। मुंह से सांस लेने से रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो सकती है। समय के साथ, यह दिल की समस्याओं से लेकर उच्च रक्तचाप का कारण बन सकती है। नींद के दौरान मुंह से सांस लेने वाले बच्चे अक्सर उतनी गहरी नींद नहीं लेते, जितनी नाक से सांस लेते समय ले सकते हैं।
आगे जानते हैं कि मुंह खोल के सोना (Muh khol Ke Sona) किन कारणों से होता है?
बच्चे के मुंह खोल कर सोने के कई कारण हो सकते हैं, इनमें से कुछ अस्थाई परेशानी पैदा करते हैं तो कुछ गंभीर बीमारी पैदा कर सकते हैं, आइए, जानते हैं कैसे ?
एलर्जी एक सामान्य कारण है जिसकी वजह से बच्चे अपने मुंह से सांस लेते हैं। शिशुओं में एलर्जी जल्दी विकसित हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप बलगम का उत्पादन बढ़ जाता है जो नाक और सांस की नली को अवरुद्ध कर सकता है। ऐसे में उन्हें मुंह खोल के सोना (Muh Khol Ke Sona) ज्यादा सुविधाजनक लगता है।
नवजात शिशु अक्सर मुंह खोलकर सोते हैं उन्हें नाक बंद होने का अनुभव हो रहा हो। रुका हुआ बलगम नाक को अवरुद्ध कर सकता है और बच्चे अपने मुंह से सांस लेने के लिए मजबूर कर सकता है। ऐसा गर्मियों के दौरान भी हो सकता है जब हवा नाक को शुष्क बना देती है। हालाँकि, शिशुओं के नथुने इतने छोटे होते हैं कि वे बहुत कम मात्रा में बलगम से अवरुद्ध हो जाते हैं।
एक सामान्य सर्दी भी आपके बच्चे के सांस के मार्ग में अतिरिक्त बलगम जमा कर सकती है, जिससे उसे सांस लेने में और मुश्किल हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप स्ट्फी नोज की प्रॉब्लम भी हो सकती है। अगर आपको लगता है कि आपके नवजात शिशु के मुंह से सांस लेने की वजह सर्दी-जुकाम है, तो उसकी नाक साफ़ रखने से यह समस्या दूर हो जाती है।
बढ़े हुए टॉन्सिल या एडेनोइड शिशु के सांस द्वार को अवरुद्ध कर सकते हैं और स्लीप एपनिया का कारण बन सकते हैं। स्लीप एपनिया एक ऐसी स्थिति है जिसके शिशु खर्राटे ले सकता है और नींद में सांस लेना बंद कर सकता है। वे अक्सर अपने आप फिर से सांस लेना शुरू देता है लेकिन कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जो घातक हो सकते हैं। इनके अलावा कुछ विशेष मामलों में जीभ से जुड़े जन्मजात विकार जैसे टंग टाई या नाक की हड्डी का विकृत होना भी मुंह से सांस लेने का कारण बन सकते हैं।
कई बार बच्चे का मुंह खोल के सोना (Muh khol ke sona) सर्दी-जुका म और एलर्जी जैसी अस्थाई समस्याओं के कारण होता है, जो चिंता का विषय नहीं जैसे ही ये समस्याएँ खत्म होती है शिशु नाक से सांस लेना शुरू कर देगा। अगर आप यह नोटिस करें कि बच्चा लम्बे समय से मुंह से सांस ले रहा और स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। ऐसे में घबराएं नहीं, बल्कि किसी अच्छे ENT विशेषज्ञ से सलाह लें।
नाक से सांस लेना ना सिर्फ़ जबड़े और दाँतों की ग्रोथ के लिए सही है बल्कि यह अंदर जा रही सांस को प्यूरीफाई भी करता है। नेसल फ़िल्टर अंदर जाने वाले हवा को छानने का काम करते हैं और उसमें फैले कणों को अंदर जाने से रोकते हैं। नेसल नाइट्रिक ऑक्साइड गैस स्तनधारी जीवों में किसी भी बाहरी वायरस या बैक्टीरिया को शरीर में घुसने से रोकती है और उससे लड़ती है। जबकि मुहं से सांस लेने के साइड इफेक्ट्स में शामिल हैं:
टॉन्सिल, अंडाकार आकार के नरम ऊतक होते हैं जो गले में दोनों तरफ तरफ स्थित होते हैं। ये लिम्फैटिक सिस्टम का हिस्सा होते हैं, लिम्फैटिक सिस्टम बीमारी और संक्रमण से बचाने में मददगार होता है। टॉन्सिल का काम मुंह में प्रवेश करने वाले वायरस और बैक्टीरिया से लड़ना है। मुंह खोल कर सोने से टॉन्सिल वायरस और बैक्टीरिया से अत्यधिक संक्रमित हो सकते हैं। संक्रमण के कारण ये ऊतक सूज सकते हैं जिसे टॉन्सिलिटिस के रूप में जाना जाता है।
मुंह से सांस लेने से गला और जीभ सूख जाती है जिससे खांसी की समस्या हो सकती है। सूखो खांसी शिशु को रात के समय अत्यधिक परेशान कर सकती है। मुंह से सांस लेने से गले में खुश्की की वजह से खराश या इरिटेशन भो हो जाती है।
मुंह से सांस लेने के कारण शिशु के दांत या मसूढ़े भी सूज सकते हैं, यह उस बैक्टीरिया संक्रमण के कारण होता है जो साँस लेते समय मुंह में चले जाते हैं। खुले मुंह सोना फंगस को भी आकर्षित कर सकता जिससे मसूढ़ों में सूजन हो सकती है। मुंह से सांस लेने पर मुंह में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले यीस्ट में भी अतिवृद्धि हो जाती है।
मुंह से सांस लेने से सांस में बदबू की समस्या भी हो सकती है जो किसी न किसी संक्रमण की ओर भी इशारा करती है। इससे बच्चे के आत्मविश्वास में कमी आती है और उसे फ्रेश महसूस नहीं होता।
ये दवाईयों से या बच्चों के ENT स्पेशलिस्ट को दिखा कर ठीक किया जा सकता है, लेकिन अगर ये उसकी आदत बन चुकी है, तो इसमें अलग-अलग से मेडिकेशन और डॉक्टरी परामर्श ज़रूरी है। बच्चों के डेंटिस्ट और ENT स्पेशलिस्ट दोनों की सलाह ज़रूरी है। Pediatric Dentist आपको Oral Myo-functional Appliance Therapy ले साथ Oral Myology एक्सरसाइज की सलाह देगा। बच्चों को सिखाया जाएगा कि मुंह बंद करके कैसे सोये (Muh Band Karke Kaise Soye)? इसमें बच्चे को जीभ को तालु के ऊपर रख, होंठ बंद रख कर सांस लेना सिखाया जाता है।
अगर आप देखते हैं कि आपके नवजात शिशु को सांस लेने में परेशानी हो रही है, उसका घुट रहा है, या उसका शरीर नीला या बैंगनी पड़ रहा है, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। ये संकेत हैं कि आपका बच्चा सांस नहीं ले रहा है, या उसे सांस लेने में बहुत परेशानी हो रही है। अगर आप बच्चे की नाक साफ़ रखते हैं और उसे कोई एलर्जी भी नहीं है और तब भी वह मुंह खोलकर सोना जारी रखता है, तो उसे बाल रोग विशेषज्ञ के पास जरूर लेकर जाएँ।
बच्चा अगर मुंह से सांस लेता है माता-पिता को ज्यादा घबराने या अत्यधिक चिंतित होने की जरूरत नहीं है, बल्कि लक्षणों के प्रति चौकस रहें। बच्चे को प्रदुषण और धूल मिट्टी से यथा-संभव दूर रखे जिसे एलर्जी पनपने का जोखिम कम किया जा सके। आप डॉक्टर से कोई अच्छा नसल स्प्रे भी लिखवा सकते हैं जो बंद नाक को खोलने में कारगर हो। याद रखें कि डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को कोई उपचार देने का प्रयास न करें।
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