9 Jul 2018 | 1 min Read
Dr Trupti Kaji
Author | 7 Articles
प्रेगनेंसी में वज़न बढ़ना नॉर्मल है, ये बढ़ते बच्चे की ज़रूरत के हिसाब से होता है. लेकिन एक माँ को ये देखना ज़रूरी है कि कहीं वज़न ज़रूरत से ज़्यादा न बढ़े. हर तिमाही (3 महीने) के हिसाब से निश्चित वज़न बढ़ना ज़रूरी है.
चूंकि प्रेगनेंसी का असर आपकी सेहत पर पड़ता है, इसलिए शुरुआत से लेकर आखिर तक अपना BMI (बॉडी मास इंडेक्स यानि हाइट-वेट बैलेंस) ज़रूर करवाएँ।
प्रेगनेंसी मापने के लिए Calculator (किलो के हिसाब से)
प्रेगनेंसी का वेट नापने के लिए पहले BMI जानना ज़रूरी है.
पहले अपने वज़न को (किलो में) हाइट (मीटर में) से भाग या डिवाइड करें।
फिर उस परिणाम को दोबारा हाइट (मीटर में) से भाग या डिवाइड करें।
प्रेगनेंसी में बढ़ा वज़न, BMI के हिसाब से कुछ ऐसा होना चाहिए:
शुरुआती BMI (10 हफ़्ते से पहले)
अंडरवेट
नॉर्मल वेट (18.5 – 24.9 kg/m2)
वरवेट (25.0 – 29.9 kg/m2)
अत्यधिक वज़न बढ़ना (> 30.0 kg/m2)
बढ़े वज़न का रेंज
12.5 – 18 kg
11.5 – 16 kg
7 kg – 11.5 kg
5 kg – 9 kg
BMI के अनुसार, इस दौरान औसतन 12 किलो तक वज़न बढ़ता है. ये सिर्फ़ बढ़ते बच्चे का वज़न नहीं होता, बल्कि इसमें अमिनिओटिक फ़्लूड, प्लेसेंटा, शरीर में स्टोर हुआ फ़ैट, ख़ून वगैरह भी होता है. प्रेगनेंसी में वज़न इस तरह से बंटना चाहिए:
बच्चे का वज़न: 2 – 3.4 kg
एमनीओटिक फ़्लूड के लिए: 4 – 5.9 kg
प्लेसेंटा के लिए: 0.5 kg
गर्भाशय: 0.5 – 1.1 kg
स्तन: 0.5 – 1.4 kg
ख़ून की मात्रा: 1 – 1.8 kg
शरीर में स्टोर किये हुए फ़ैट: 1 – 3.6 kg
दो लोगों की तरह, दो गर्भवतियों का भी वज़न एक जैसा नहीं बढ़ता। अमूमन प्रेगनेंसी में 12 से 16 तक वज़न बढ़ता है, किसी को शुरुआती 20 हफ़्तों में ही वज़न बढ़ जाता है, फिर बाकी के दिनों में आधा किलो के हिसाब से बढ़ता है. इसमें आपके खान-पान, कल्चर, लाइफस्टाइल, बॉडी टाइप का भी फ़र्क पड़ता है.
प्रेगनेंसी वेट गेन चार्ट
तिमाही |
हफ़्ते |
बढ़ा हुआ वज़न |
पहली तिमाही |
0-10 हफ़्ते |
कोई वज़न न बढ़ना |
10-14 हफ़्ते |
1.5 kg | |
दूसरी तिमाही |
14-20 हफ़्ते |
2.5 kgs |
20-30 हफ़्ते |
4.5 kgs | |
तीसरी तिमाही |
30-36 हफ़्ते |
2.7 kg |
36-38 हफ़्ते |
1.0 kg | |
38-40 हफ़्ते |
वज़न न बढ़ना | |
Total |
12-14 kg |
गर्भावस्था में बच्चे का वज़न – चार्ट
मानकी तरह ही बच्चे का वज़न भी अलग-अलग चीज़ों पर निर्भर करता है. हालांकि आदर्श वज़न लगभग ऐसा होना चाहिए:
प्रेगनेंसी का हफ़्ते
प्रेगनेंसी का हफ़्ते |
लम्बाई (सेंटीमीटर में) क्राउन से रम्प तक |
बच्चे का वज़न |
8 हफ़्ते |
1.6cm |
1g |
9 हफ़्ते |
2.3cm |
2g |
10 हफ़्ते |
3.1cm |
4g |
11 हफ़्ते |
4.1cm |
7g |
12 हफ़्ते |
5.4cm |
14g |
13 हफ़्ते |
7.4cm |
23g |
14 हफ़्ते |
8.7cm |
43g |
15 हफ़्ते |
10.1cm |
70g |
16 हफ़्ते |
11.6cm |
100g |
17 हफ़्ते |
13cm |
140g |
18 हफ़्ते |
14.2cm |
190g |
19 हफ़्ते |
15.3cm |
240g |
क्राउन से हील तक | ||
20 हफ़्ते |
25.6cm |
300g |
21 हफ़्ते |
26.7cm |
360g |
22 हफ़्ते |
27.8cm |
430g |
23 हफ़्ते |
28.9cm |
501g |
24 हफ़्ते |
30cm |
600g |
25 हफ़्ते |
34.6cm |
660g |
26 हफ़्ते |
35.6cm |
760g |
27 हफ़्ते |
36.6cm |
875g |
28 हफ़्ते |
37.6cm |
1kg |
29 हफ़्ते |
38.6cm |
1.2kg |
30 हफ़्ते |
39.9cm |
1.3kg |
31 हफ़्ते |
41.1cm |
1.5kg |
32 हफ़्ते |
42.4cm |
1.7kg |
33 हफ़्ते |
43.7cm |
1.9kg |
34 हफ़्ते |
45cm |
2.1kg |
35 हफ़्ते |
46.2cm |
2.4kg |
36 हफ़्ते |
47.4cm |
2.6kg |
37 हफ़्ते |
48.6cm |
2.9kg |
38 हफ़्ते |
49.8cm |
3.1kg |
39 हफ़्ते |
50.7cm |
3.3kg |
40 हफ़्ते |
51.2cm |
3.5kg |
प्रेगनेंसी के दौरान बेहतर तरह से वज़न बढ़ाने और नियंत्रित करना
पौष्टिक खान-पान और रोज़ थोड़ी एक्सरसाइज़ की मदद से आप वज़न नियंत्रित कर सकती है. दिन भर में 200 से 300 कैलोरी इस समय सही रहती हैं. इस दौरान आपको सही मात्रा में प्रोटीन, फोलिक एसिड, आयरन, विटामिन की खुराक लेनी चाहिए। इसलिए ज़्यादा मात्रा में हरी सब्ज़ियां, फल, नट्स, फ़िश और मीट लें.
इन 7 पौष्टिक चीज़ों की मदद से प्रेगनेंसी में वज़न बढ़ता है:
दूध और दूध से बनी चीज़ें
डाल, अनाज, नट्स
फ़िश, मीट, अंडा
फल जैसे संतरा, सेब, अंगूर
हरी सब्ज़ियाँ
लिक्विड (पैकेट वाला जूस न लें)
फ़ैट
अगर प्रेगनेंसी से पहले ही आपका वज़न ज़्यादा है, तो इस दौरान बेहतर एक्सरसाइज़ और योग से इसे नियंत्रित करें। डॉक्टर्स के हिसाब से शुरुआती 20 हफ़्तों में कम कैलोरी वाले भोजन का बच्चे और माँ पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ता है. इसलिए व्यायाम ज़रूरी है. शुरूआती महीनों में अगर आप अंडरवेट हैं, तो वज़न बढ़ाने की कोशिश करें।
प्रेगनेंसी में वज़न बढ़ना नॉर्मल है, इसलिए एक-दो किलो के चक्कर में परेशान न हों. और अगर ये आपके लिए चिंता का विषय है, तो डॉक्टरी परामर्श ज़रूर लें. सबसे ज़रूरी बात, ख़ुश रहें।
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