15 Jun 2018 | 1 min Read
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बदलते मौसम के साथ बच्चों में खांसी-ज़ुकाम आम हैं। अभी-अभी माँ बनी कई महिलाओं के लिए ये परेशानी का कारण बन जाती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वो बच्चे को देखकर जल्दी घबरा जाती हैं। लेकिन इसमें घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि जरूरत है सर्दी जुकाम के कारण और आसान घरेलू उपायों को जानने और समझने की। इसीलिए हम बेबीचक्रा के इस आलेख में बताएंगे कि बच्चों को सर्दी-जुकाम में क्या देना चाहिए, ताकि वो इस समस्या से राहत महसूस कर सकें। आइए, सबसे पहले जानते हैं कि बच्चों में जुकाम होने के कारण क्या हैं?
सामान्य सर्दी या जुकाम नाक और गले (ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण) से जुड़ा हुआ एक तरह का संक्रमण है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जुकाम होने के पीछे 200 से अधिक वायरस हो सकते हैं। इन सभी में से राइनोवायरस (Rhinoviruses) सबसे आम हैं। सर्दी-जुकाम का यह वायरस आपके शिशु के मुंह, आंख या नाक के माध्यम से उसके शरीर में प्रवेश करता सकता है।
एक बार वायरस से संक्रमित होने के बाद, आपका शिशु आमतौर पर उस वायरस से प्रतिरक्षा पैदा कर लेता है। लेकिन चूंकि इतने सारे वायरस सर्दी-जुकाम का कारण बनते हैं, इसलिए आपके शिशु को साल में कई बार सर्दी-जुकाम हो सकता है। इसके अलावा सर्दी-जुकाम के कुछ ऐसे वायरस होते हैं जिनसे स्थायी प्रतिरक्षा मिलना मुश्किल होता है इसलिए जुकाम होता रहता है। इसीलिए सब कहते हैं कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए आपको संतुलित भोजन और पूरक आहार के विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए –
बच्चों में सर्दी-जुकाम का संक्रमण नीचे लिखे कारणों से पहुँच सकता है –
1. वायु : जब कोई बीमार व्यक्ति खांसता, छींकता या बात करता है, तो वह सीधे आपके बच्चे में वायरस को फैला सकता है।
2. सीधा संपर्क : सर्दी-जुकाम से पीड़ित कोई व्यक्ति जो आपके बच्चे के हाथ को छूता है, वह आपके बच्चे में सर्दी का वायरस फैला सकता है, जो अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूने के बाद इससे संक्रमित हो सकता है।
3. दूषित सतहें : कुछ वायरस सतहों पर दो घंटे या उससे अधिक समय तक जीवित रहते हैं। आपका शिशु किसी खिलौने जैसी दूषित सतह को छूने से सर्दी-जुकाम का वायरस पकड़ सकता है।
लेख में आगे जानते हैं कि बच्चों में जुकाम के लक्षण को कैसे पहचानें –
एक बच्चे को जब सर्दी जुकाम होती है तो सबसे पहले उसे बंद नाक और बहती नाक जैसे लक्षण सताने लगते हैं। जुकाम में नाक से निकलने वाला पानी पहले बिल्कुल तरल होता है, जो धीरे सफेद और गाढ़ा होता जाता है। इसके अलावा बच्चों को जुकाम होने के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं –
चलिए एक नजर डालते हैं कि जुकाम होना किसी अन्य बीमारी का लक्षण तो नहीं है ?
बच्चों को जुकाम होना किसी बीमारी का संकेत तो नहीं (Complications of Cold in Babies in Hindi)
सामान्य सर्दी के साथ कुछ अन्य बीमारियों का रिस्क भी हो सकता है इसलिए अगर नीचे लिखी समस्याओं के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए –
यह सामान्य सर्दी की सबसे आम जटिलता है। कान में संक्रमण तब होता है जब बैक्टीरिया या वायरस ईयरड्रम के पीछे की जगह में प्रवेश करते हैं।
सर्दी जुकाम होने से साँस में घरघराहट हो सकती है, भले ही आपके बच्चे को अस्थमा न हो। अगर आपके बच्चे को अस्थमा है, तो सर्दी-जुकाम इसे और भी खराब कर सकता है।
एक सामान्य सर्दी जो लम्बे समय तक चलती है, वह साइनस (साइनसाइटिस) के भीतर संक्रमण का कारण बन सकती है। ये भी पढ़े – बच्चों में साइनस के लक्षण और उपचार
सामान्य सर्दी से निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस जैसे अन्य संक्रमण हो सकते हैं। नाक और कान में बच्चों को खुजली होना एलर्जी के कारण भी हो सकता है। इस तरह के संक्रमण का इलाज डॉक्टर द्वारा ही किया जाना चाहिए।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सामान्य सर्दी-जुकाम के लिए कोई टीका नहीं है। बच्चों को जुकाम से बचाने का उपाय यही है कि नीचे लिखी सावधानियां बरती जाएं –
अब सवाल आता है कि बच्चों को सर्दी-जुकाम में क्या देना चाहिए, जिसका जवाब है – कुछ घरेलु चीज़ों से ही आप उसे आराम दे सकती हैं। 6 साल के नीचे के बच्चों को वैसे भी दवाई देना सही नहीं है।इन चीज़ो की मदद से बच्चे को खांसी-ज़ुकाम में आराम मिलेगा:
12 महीने से नीचे के बच्चे के लिए सबसे सही लिक्विड माँ का दूध ही होता है। एक साल से ज़्यादा के बच्चे के लिए सादा पानी सही रहेगा। तरल पदार्थ बच्चे के शरीर में बनने वाले कफ़ को हल्का करते हैं और शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता। इसलिए इन्हें बच्चों को सर्दी जुकाम का घरेलू उपाय कहा जाता है। हर्बल टी, जिंजर एल, क्लियर सूप भी सही हैं। किसी भी तरह के गरम सूप, जैसे चिकन सूप से ज़ुकाम की वजह से हुआ भारीपन कम होता है और बच्चे को सांस लेने में आसानी होती हैं।
ज़ुकाम-खांसी ठीक करने में विटामिन सी काफ़ी कारगर होता है। इसके कोई ख़ास साइड-इफेक्ट्स नहीं होते लेकिन इसकी ज़्यादा मात्रा से पेट खराब हो सकता है। ये पानी में घुलने वाला विटामिन होता है, इसलिए शरीर में इसका कोई नुक्सान नहीं होता। इसे या तो आप किसी सप्लीमेंट की तरह, या खट्टे फिर फलों से ले सकते हैं। 5 साल से कम के बच्चों को 250 मिलीग्राम से ज़्यादा विटामिन सी नहीं देना चाहिए। बच्चों को खट्टे फलों के जूस या उसकी फांक देना बेहतर होगा। 1 साल से ज़्यादा के बच्चे को तो आप गुनगुने पानी में शहद, नींबू दे सकती हैं, लेकिन सोने से पहले।
बहती नाक और सर्दी-ज़ुकाम से निजात दिलाने का रामबाण इलाज है अदरक। इसे खाने में रोज़ इस्तेमाल करने से ठंड की समस्या नहीं होती। अदरक में एंटी-इन्फ्लैमेटरी प्रॉपर्टी होती है, इससे सीने में दिक्कत नहीं होती। दो साल से ज़्यादा के बच्चे को अदरक और शहद मिक्स करके या फिर किसी सूप में अदरक डाल कर पीने से सर्दी दूर रहती है।
सालों से शहद को सर्दी भागने वाले तत्व के रूप में देखा जाता रहा है। बाकी किसी भी चीज़ से ज़्यादा असर करने वाला शहद ही होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को राहत देते हैं और सर्दी भगाते हैं। अपने बच्चे को सोने से पहले आधा चम्मच शहद दें। इसके अलावा आप उसे शहद नींबू मिक्स कर गुनगुने पानी में भी दे सकती हैं।
बच्चे को सर्दी-ज़ुकाम हो और प्याज़ मदद न करे, ऐसा हो नहीं सकता। इसमें मौजूद Acillin कफ़ को पतला करता है और एयर पैसेज को क्लियर करता है ताकि कफ़ बाहर निकल सके। अगर आपके बच्चे ने अभी चलना शुरू नहीं किया है तो प्याज़ का स्लाइस काट कर एक मोज़े में रख कर उसके सिरहाने के पास रखे दें। प्याज़ में मौजूद सल्फर एयर पैसेज को क्लेर करता है और सर्दी ठीक करता है। 5 साल से बड़े बच्चों को शहद में भीगे हुए प्याज के स्लाइस उनके सूप में डाल कर दें।
अगर आपके शिशु को बिना किसी बड़ी जटिलता के सर्दी-जुकाम है, तो यह 10 से 14 दिनों के भीतर ठीक हो जाना चाहिए। यदि लक्षणों में सुधार नहीं होता है या वो और ज्यादा खराब हो जाते हैं, तो आपको डॉक्टर से बात करने की कोशिश करनी चाहिए। यदि आपका शिशु 3 महीने से कम उम्र का है, तो बीमारी की शुरुआत में ही डॉक्टर को दिखाएं। ख़ासकर अगर आपके छोटे बच्चे को बुखार है तो डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए।
इस तरह बेबीचक्रा के इस ब्लॉग में आपने जाना कि बच्चों को सर्दी-जुकाम में क्या देना चाहिए, उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। आपको हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि इस आर्टिकल का मकसद किसी भी तरह से डॉक्टरी जाँच को कमतर आँकना नहीं है। न ही ये किसी तरह से डॉक्टर, ट्रीटमेंट या सलाह का सब्स्टीट्यूट है। हमेशा पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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