31 May 2018 | 1 min Read
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बच्चों की स्किन और उनकी बॉडी, दोनों को ही शुरूआती टाइम में इंफ़ेक्शन होने का ख़तरा रहता है। अभी तक उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी मज़बूत नहीं हुई होती कि इनसे लड़ सके, इसलिए बच्चों को वर्म इंफ़ेक्शन या संक्रमण होते ही उनका इलाज होना चाहिए नहीं तो ये उनके विकास में बाधा बन सकते हैं। बेबीचक्रा के लेख में जानने की कोशिश करेंगें कि बच्चों के पेट में कीड़े क्यों होते हैं और इसका समाधान क्या हो सकता है?
बड़ों के मुक़ाबले बच्चों में इस तरह के संक्रमण के Chances ज़्यादा रहते हैं। यह संक्रमण डेली काम जैसे पार्क या घास पर नंगे पैर चलने या खेलने से भी हो जाते हैं। बच्चों को वर्म संक्रमण का ख़तरा अलग-अलग जगहों पर रहता है, जिनमें मुख्य हैं:
1. संक्रमित मिट्टी:
वर्म्स का बच्चों के शरीर में घुसने का सबसे आसान ज़रिया है मिट्टी। मिट्टी में नमी होने की वजह से ये पैरासाइट या वर्म्स के जन्म के लिए परफ़ेक्ट जगह होती है। बच्चे ज्यादातर मिट्टी के सम्पर्क में रहते हैं, ऐसे में उनके पेट में अक्सर वर्मी संक्रमण हो जाता है।
2. साफ़-सफ़ाई न होना:
शौच के समय हाथ न धोना, खाने से पहले और बाद में हाथ न धोना या फिर खुले में शौच करने से इस तरह से संक्रमण सबसे पहले पकड़ता है। घर से लेकर आस-पास सफ़ाई न होना इसकी सबसे बड़ी वजह बनती है।
3. अधपका खाना:
कटे हुए फल या फिर अधपके पोर्क, चिकन की वजह से भी बैक्टीरिया बच्चे के शरीर में जाने में सक्षम हो जाते हैं। यह न सिर्फ़ शरीर बल्कि दिमाग़ को भी डैमेज कर सकते हैं।
4. बड़ों से बच्चों तक
घर के बड़े, ख़ास कर वो, जिनके साथ बच्चा ज़्यादा समय बिताता है, वो अगर साफ़-सफाई न रखें, तो उनसे भी ये बच्चों में संक्रमित होता है। वर्म्स नाखूनों में अंडे देते हैं, साफ़ न रखने से ये आसानी से खाना खिलाते समय बच्चों तक जा सकते हैं।
5. संक्रमित पालतू जानवर
यूँ तो बढ़ते बच्चों के लिए घर के पालतू जानवर का साथ सही माना जाता है, लेकिन उनके शरीर में पल रहे कीड़े आसानी से बच्चों तक जा सकते हैं। इससे बच्चे अक्सर बीमार भी पड़ जाते हैं। आइए, आगे जानते हैं कि कैसे जाने कि आपके बच्चे के पेट में कीड़े हो सकते हैं –
बच्चों के पेट में कीड़े के संक्रमण के लक्षण कई बार इतने हलके होते हैं कि माँ-बाप इन्हें नज़रअंदाज़ कर देते हैं। वर्म्स इन्फेक्शन के सबसे कॉमन लक्षण हैं –
यूँ तो वर्म के हिसाब से डॉक्टर (Pediatrician) बच्चे के लिए दवाई लिखता है। छोटे बच्चों को सिरप और बड़ों को टेबलेट्स दी जाती हैं। इसकी दवाई का कोर्स ज़्यादा दिनों का नहीं होता, आप कुछ दिनों के भीतर इसकी दवाईयां बंद करवा सकते हैं। लेकिन बेहतर हो बच्चे को संक्रमण से पहले ही दवा दी जाएँ, ताकि इसकी नौबत ही न आये।
इसके अलावा कुछ घरेलु नुस्खे भी हैं, जो बच्चे को संक्रमण के दौरान होने वाली असहजता से बचाते हैं। ये कीड़ों को ख़त्म तो नहीं कर सकते लेकिन बच्चे को इनसे आराम ज़रूर मिलता है। साथ ही ये घरेलू नुस्खे कीड़ों को अधिक पनपने से भी रोकते हैं।
1. लहसुन:
लहसुन को प्राकृतिक डीवर्मिंग एजेंट (कीड़ों को मारने वाला) माना जाता है। लहसुन में मौजूद सल्फ़र कीड़ों को ख़त्म करने में मदद करता है। दिन में लहसुन की तीन कलियाँ इसके इलाज में असरदायक हैं। बच्चों को लहसुन खिलाने के लिए उनके खाने में इसका उपयोग करें।
2. कच्चा पपीता:
कच्चे पपीते में मौजूद एंजाइम, Papain पेट में मौजूद कीड़ों को मारने और उन्हें शरीर से बाहर निकालने में सहायक है। कीड़े मारने के लिए बच्चे को लगातार तीन दिन एक चम्मच क्रश किये हुए कच्चे पपीते को गुनगुने दूध और शहद के साथ दें।
3. अजवाईन:
अजवाईन में मौजूद Thymol कीड़ों को पनपने नहीं देता। इसे खाली पेट गुड़ के साथ बच्चों को देने से उन्हें पेट दर्द और कीड़ों से आराम मिलेगा।
4. कद्दू के बीज
कद्दू के बीज अमीनो एसिड और फैटी एसिड से भरपूर होते हैं। विशेष रूप से, वे बेरबेरीन, कुकुरबिटाइन और पामेटाइन से भरपूर होते हैं। ये सभी अमीनो एसिड हैं जो कुछ परजीवियों समाप्त करने के लिए जाने जाते हैं।
आइए अब जानते हैं कि बच्चों को पेट के कीड़ों से बचाने के लिए कौन से टिप्स आजमाए जा सकते हैं –
प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों के खान-पान और साफ़-सफाई का अगर ध्यान रखा जाए तो बच्चों के पेट में कीड़े होने के जोखिम को कम किया जा सकता है –
तो आपने जाना कि बच्चों के पेट में कीड़े होने से कैसे बचा जा सकता है। सही डाईट और दवाओं के अलावा कुछ विशेषज्ञ आंत को साफ करने या डिटॉक्स करने का भी सुझाव दे सकते हैं। इसके लिए कुछ विशेष भोजन जैसे चुकंदर और अलसी बच्चे के खाने में शामिल करें, ये हाई फाइबर फ़ूड आँतों को साफ़ रखने में मदद कर सकता है। इस जानकारी को अधिक से अधिक शेयर करें।
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