22 May 2018 | 1 min Read
Medically reviewed by
Author | Articles
मां बनना सिर्फ़ एक मानसिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इस पड़ाव में एक औरत के शरीर में ढेरों बदलाव आते हैं। जितना ज़रूरी उसके लिए अपने खान-पान पर ध्यान देना है, उतना ही ज़रूरी है अपने शरीर में आ रहे बदलावों के बारे में सतर्क रहना। गभर्वती महिलाओं को समय-समय पर डॉक्टर से सम्पर्क करने की सलाह भी इसीलिए दी जाती है ताकि रेगुलर Checkup के जरिए यह अनुमान लगाया जा सके कि बच्चा गर्भ में सामान्य रूप से बढ़ रहा है या नहीं।
रेगुलर चेकअप आपके बहुत सारे सवालों का जवाब भी देते हैं जैसे गर्भ में पल रहे बच्चे का वजन कितना है या गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा के लिए पर्याप्त एमनीओटिक फ्लूइड है या नहीं ? इस लेख में हम कुछ जानकरियां साझा कर रहे हैं जैसे एमनीओटिक फ्लूइड कितना होना चाहिए और बच्चे के विकास में इस द्रव की क्या भूमिका होती है।
चलिए सबसे पहले जानते हैं क्या है एमनीओटिक फ्लूइड (Amniotic Fluid Meaning In Hindi)?
मेडिकल टर्म्स में कुछ चीज़ों को समझने में मुश्किल होती है, इसीलिए कई बार लोगों के मन में ये सवाल होता है कि आखिर यह एमनीओटिक फ्लूइड क्या है? असल में एमनीओटिक फ्लूइड एक प्रकार का लिक्विड है जो एमनीओटिक सैक (आम भाषा में पानी की थैली) में भरा होता है। गर्भस्थ शिशु इस एमनीओटिक फ्लूइड से भरी थैली में रहता है। हेल्दी प्रेगनेंसी और भ्रूण के विकास के लिए इस द्रव का सही मात्रा में होना बहुत जरूरी है, इसकी कमी को ओलिगोहाइड्रामनिओस (Oligohydramnios In Hindi) के नाम से जाना जाता है,और यह एक आम लेकिन जटिल स्थिति होती है।
जब एमनीओटिक फ्लूइड की मात्रा बहुत ज्यादा होती है तो इस स्थिति को पॉलिहाइड्रेमनियोस (Polyhydramnios In Hindi) कहा जाता है। क्लियर या फिर हल्के पीले रंग का ये Fluid गर्भधारण के शुरुआती 12 दिनों में एमनीओटिक थैली में बनने लगता है। ये लिक्विड रक्त-पोषक तत्वों का मिक्स होता है। ये भ्रूण के विकास में बेहद सहायक है। एक मां के गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए ज़रूरी इस Fluid की मात्रा से ही प्रेगनेंसी और डिलीवरी कैसी होगी, इसका अंदाज़ा लग जाता है। प्रेगनेंसी बढ़ने के साथ ही एमनीओटिक Fluid बढ़ने लगता है।
हेल्दी प्रेगनेंसी के लिए एमनीओटिक फ्लूइड कितना होना चाहिए जानते हैं आगे –
एमनीओटिक Fluid की मात्रा को एक इंडेक्स द्वारा मापा जाता है, जिसे एमनीओटिक Fluid इंडेक्स कहा जाता है। इस इंडेक्स से आप प्रेगनेंसी पीरियड में बच्चे की ग्रोथ का पता लगा सकते हैं। रूटीन चेकअप के दौरान हुए अल्ट्रासाउंड से ही इसका पता चल जाता है। एमनीओटिक Fluid इंडेक्स cm में मापा जाता है।
एमनीओटिक Fluid नापने के लिए डॉक्टर जो प्रक्रिया अपनाते हैं, उसे ‘एमनीओटिक Fluid इंडेक्स सिंगल डिपेस्ट पॉकेट’ या ‘फ़ोर क्वाड्रेंट एमनीओटिक Fluid इंडेक्स’ मेथड कहा जाता है। फ़ोर क्वाड्रेंट एमनीओटिक Fluid इंडेक्स प्रक्रिया में चारों क्वाड्रेंट्स में सबसे गहरी पॉकेट मापी जाती है, ताकि एमनीओटिक Fluid का वॉल्यूम पता चल सके। नार्मल केस में एमनीओटिक Fluid Index 8 से 24 cm के बीच होता है।
अगर एमनीओटिक Fluid वॉल्यूम 500ml से कम या एमनीओटिक Fluid Index 5 cm से कम हो, तो यह अवस्था को ओलिगोहाईड्रमनिओस कही जाती है। ये अवस्था प्रेगनेंसी में किसी भी वक़्त हो सकती है, लेकिन इसके Chances गर्भावस्था के आख़री तीन महीनों में ज़्यादा बढ़ जाते हैं। एमनीओटिक Fluid बच्चे की ग्रोथ, उसकी मांसपेशियों, उसके फेफड़ों, डाईजेस्टिव सिस्टम के विकास में कारगर होती है। इसकी कमी से Premature (अकाल) बर्थ, गर्भपात, पैदा होते ही बच्चे की मृत्यु जैसे कॉम्प्लीकेशन्स बढ़ जाते हैं। इतने कॉम्प्लीकेशन्स के बावजूद अगर डिलीवरी नॉर्मल होती है, तो उसे जन्म के साथ ही कई शारीरिक बीमारियां पकड़ लेती हैं। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, Preeclampsia (प्रेगनेंसी के दौरान ज़्यादा रक्तचाप और लीवर-किडनी जैसे अंगों को नुक्सान पहुंचना) जैसी बीमारियां ओलिगोहाईड्रमनिओस का ही नतीजा होती हैं। ओलिगोहाईड्रमनिओस से जूझ रही एक गर्भवती को काफ़ी देखभाल और जांच-पड़ताल की ज़रूरत होती है।
अगर एमनीओटिक Fluid की मात्रा ज़रूरत से ज़्यादा और एमनीओटिक Fluid इंडेक्स 24 cm से अधिक है, तो इसे पॉलीहाईड्रमनिओस (Polyhydramnios) कहा जाएगा। इससे शरीर के हिस्सों में Fluid का भरना, वज़न बढ़ना, सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानियां होती हैं। प्रेगनेंसी की कुछ कंडीशंस जैसे गर्भवती को डायबिटीज़, इंफेक्शन्स से भी कई दफ़ा एमनीओटिक Fluid बढ़ जाता है।
एमनीओटिक फ्लूइड कितना होना चाहिए यह जानने के बाद आगे जानते हैं कि एमनीओटिक फ्लूइड के कार्य क्या-क्या होते हैं?
एमनीओटिक फ्लूइड को स्वस्थ गर्भावस्था के लिए बहुत उपयोगी तत्व माना जा सकता है। एमनीओटिक फ्लूइड के उपयोग जानने के लिए नीचे लिखी जानकारी को ध्यान से पढ़ें –
यह द्रव बढ़ते भ्रूण के लिए एक कुशन के रूप में कार्य करता है और उसे बाहरी चोट से बचाता है। जब गर्भस्थ शिशु एमनीओटिक फ्लूइड में तैरता है तो इससे उसकी हड्डियों और मांसपेशियों का विकास होता है। कई बार शिशु सांस के जरिए एमनीओटिक फ्लूइड को अंदर और बाहर करता है जिससे फेफड़ों के विकास में मदद मिलती है। गर्भस्थ शिशु इस द्रव को निगलता है और बाद में पेशाब के जरिए बाहर निकालता है जिससे उसका पाचन तंत्र विकसित होता है।
एमनीओटिक फ्लूइड गर्भनाल को सिकुड़ने से बचाता है जिससे, शिशु के पूर्ण विकास के लिए माँ से बच्चे तक पोषण ठीक तरह से पहुँचता रहता है। यह द्रव मां और भ्रूण के बीच पोषक तत्वों, पानी और अन्य बायो केमिकल तत्वों के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है। एमनीओटिक फ्लूइड, चिकनाई (लुब्रिकेंट) युक्त होता है जिससे शिशु के नाजुक अंगों का विकास सही तरीके से हो पाता। एमनीओटिक फ्लूइड की मदद से हाथों और पैरों की उँगलियाँ सुरक्षित विकसित होती रहती हैं।
आगे जानते हैं कि एमनीओटिक फ्लूइड कम होने के कारण क्या-क्या हो सकते हैं?
एमनीओटिक फ्लूइड कम होने के कई कारण हो सकते हैं। गर्भवती के शरीर में पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं बनने के कारण एमनीओटिक फ्लूइड कम हो सकता है। यह उन समस्याओं के कारण हो सकता है जो शरीर में फ्लूड को घटाती हैं। इसके अलावा ओलिगोहाइड्रामनिओस के कारण ये भी हो सकते हैं –
लेबर शुरू होने से पहले एमनीओटिक सैक का रिसना शुरू होने पर पानी की कमी हो जाती है। डिलीवरी का समय निकट होने पर ऐसा हो सकता है, इसलिए अगर गभवती को ऐसा कुछ महसूस हो तो उसे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेने चाहिए।
अगर कोई महिला जुड़वा बच्चों के साथ गर्भवती हैं और वो दोनों एक ही प्लेसेंटा साझा कर रहे हैं, तो इसके कारण भी एमनीओटिक फ्लूइड में कमी आ सकती है। प्लेसेंटा, शिशु तक पहुँचने वाले तत्वों को रिफाइन करता है, जानिए प्लेसेंटा के प्रकार। जुड़वाँ बच्चों के साथ गर्भावस्था हमेशा जटिल होती है इसलिए गर्भवती को डॉक्टर की देख-रेख में रहना चाहिए।
डॉक्टर द्वारा बताई गयी एस्टीमेटड डेट ऑफ़ डिलीवरी से आगे अगर प्रेगनेंसी बढ़ जाती है तो एमिनियोटिक द्रव में कमी आ सकती है। शिशु के बढ़ते आकार और जरूरी पोषण के हिसाब से यह एमिनियोटिक द्रव कम पड़ सकता है।
शिशु में जन्म दोष (गुर्दे और मूत्र पथ की समस्याएं) होने पर यह द्रव कम हो सकता है। डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के जरिए, गर्भस्थ शिशु में बर्थ डिफेक्ट की पुष्टि कर सकते हैं।
आइए, अब जानते हैं कि कम एमनीओटिक द्रव के लक्षण क्या-क्या होते हैं?
आप जान चुके हैं कि एमनीओटिक फ्लूइड कितना होना चाहिए लेकिन ये कैसे पता चलेगा कि इस द्रव की मात्रा कम हो चुकी है? इसका आसान तरीका है नीचे लिखे लक्षणों पर ध्यान दें और अगर इनमें से कोई भी लक्षण नजर आए तो अपने डॉक्टर को जरूर सूचित करें –
अब जानते हैं कि स्वस्थ गर्भावस्था के लिए एमनीओटिक फ्लूइड बढ़ाने के उपाय क्या हैं?
गर्भावस्था के दौरान एमनीओटिक फ्लूइड कम ना हो और आपका शिशु सही तरीके से वृद्धि करता रहे, इसके लिए कुछ बातों का ख़ास ख्याल रखना चाहिए जैसे –
उम्मीद करते हैं कि आप जान चुके होंगें कि एमनीओटिक फ्लूइड कितना होना चाहिए और यह कितना महत्वपूर्ण है। अगर गर्भावस्था के बिल्कुल अंतिम पड़ाव पर एमनीओटिक फ्लूइड कम होता है तो डॉक्टर आपको जल्दी सिजेरियन डिलीवरी कराने की सलाह दे सकते हैं। ऐसा इसलिए करते हैं ताकि गर्भस्थ शिशु को किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या से बचाया जा सके जो कम एमनीओटिक फ्लूइड से पैदा हो सकती है। गर्भावस्था एक नाजुक दौर होता है इसलिए इस दौरान थोड़ी भी तकलीफ होने पर या असामान्य लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से तुरन्त सम्पर्क करना चाहिए।
Check your Fertile Days on BabyChakra’s Ovulation calculator.
Related Articles:
जानिए बच्चों में नॉन-स्ट्रेस टेस्ट क्या है? – गर्भावस्था में शिशु के स्वास्थ्य के लिए अल्ट्रासाउंड जांच बहुत उपयोगी होती है इसलिए इनके बारे में सही जानकारी लेना बहुत जरूरी हो जाता है।
डॉक्टर क्यों करते हैं एनोमली स्कैन? – कुछ बर्थ डिफेक्ट ऐसे होते हैं जिनका अगर समय पर पता चल जाए तो उन पर काबू पाया जा सकता है इसलिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड स्कैन का सुझाव देते हैं, जानिए इसके और फायदे क्या हैं?
प्रेगनेंसी में कैसे सोना चाहिए– यहां पर आप प्रेग्नेंसी में कैसे सोना चाहिए इसके बारे में विस्तार से पढ़ेंगे।
प्रेगनेंसी में बच्चा नीचे हो तो क्या करना चाहिए – नौवें महीने में नीचे खिसक गया है शिशु, तो कभी भी हो सकता है लेबर पेन।
IVF क्या होता है – आईवीएफ (IVF) एक मेडिकल फर्टिलिटी टेक्निक हैइसका इस्तेमाल माता या पिता बनने की क्षमता नहीं रखने वाले दंपतियों के लिए किया जाता है
छवि स्त्रोत: womenfitness
ये भी पढ़ें – Ectopic Pregnancy in Hindi
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.