28 Apr 2018 | 1 min Read
Vinita Pangeni
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मल की बात करना किसी को पसंद नहीं आता। लेकिन एक माँ अपने शिशु के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए उसके मल के रंग तक को देखती है। भले ही यह थोड़ा घृणित लगे, लेकिन हर नई माँ के जीवन का यह एक हिस्सा-सा है। बच्चे की नैपी बदलते समय वो उसके मल के रंग पर गौर करती है। कारण यह है कि मल शिशु की मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति के बारे में बहुत कुछ बताता है।
छोटा बच्चे के जीवन के पहले वर्ष में उसका मल काफी अलग-अलग रंगों का हो सकता है। क्योंकि उसका आहार बदलता रहता है। किस तरह का मल सामान्य है और किस तरह के मल का रंग दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, इनके बारे में यहां हमने विस्तार से चर्चा की है।
सबसे पहले हम बताएंगे कि नवजात शिशु दिन में कितनी बार पॉटी करता है।
नवजात 2 हफ्ते तक थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिनभर में करीब-करीब 8 से 10 बार तक मल त्यागता है। जब शिशु बढ़ता जाता है, तो मल की मात्रा और आवृत्ति यानी फ्रीक्वेंसी बदलती है।
नवजात शिशु दिन में कितनी बार पॉटी करता है, यह स्पष्ट हो गया है। अब आगे शिशु के मल के रंग और उसके कारणों पर चर्चा करते हैं।
नवजात के पहले मल (Navjat Shishu Ki Potty) का रंग काला और भूरा होता है। यह पहला मल मेकोनियम कहलाता है। एमनियोटिक द्रव, बलगम, स्किन सेल्स और गर्भ में जो भी भ्रूण खाता है, उसके कारण नवजात का मल काला पड़ जाता है। हालांकि, मेकोनियम मल का रंग हरा या पीला भी हो सकता है। समय के साथ नवजात के मल का रंग बदलता है। अगर दो हफ्ते बाद भी शिशु के मल का रंग काला ही रहे, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
नवजात जब अगले कुछ दिन तक कोलोस्ट्रम लेता है, तो मल का रंग काले से हरे रंग में बदल सकता है। इसे ट्रांजीशन स्टूल कहा जा सकता है। दरअसल, फॉर्मूला मिल्क पीने वाले 50 प्रतिशत बेबी ग्रीन पॉटी करते हैं। बेबी को ग्रीन पॉटी का मतलब कई बार पानी की कमी भी हो सकता है।
यही नहीं, बेबी को ग्रीन पॉटी का मतलब एलर्जी और पेट में कीड़े होना भी हो सकता है। गहरे हरे रंग का मल उन शिशुओं में सबसे आम है, जो हरे रंग के ठोस खाद्य पदार्थ लेना शुरू कर रहे हैं, जैसे कि पालक और मटर। आयरन की खुराक भी बच्चे के मल को हरा कर सकती है।
शिशु के पेट से जब मेकोनियम कहलाने वाला मल निकल जाता है, तो मल का रंग पीला हो जाता है। यह सीधे-सीधे माँ दूध का असर होता है। जन्म के करीब 4 से 5 दिन बाद से शिशु के मल का रंग पीला होते जाते है। मल का यह रंग एकदम सामान्य है। इससे यह पता चलता है कि बच्चे का पेट स्वस्थ है।
रिसर्च पेपर बताते हैं कि स्तनपान करने वाले शिशु पहले 3 महीने तक पीले रंग का मल त्याग करते हैं। जबकि फॉर्मूला मिल्क पीने वाले शिशु के मल का रंग अलग रंग का हो सकता है।
हां, अगर मल चमकीला पीला और पतला आने लगे, तो यह डायरिया की ओर संकेत कर सकता है। इसलिए डॉक्टर से इस विषय पर डॉक्टर से जरूर बात करें।
शिशु के मल का हल्का पीला हो, तो यह पीलिया का संकेत हो। माना जाता है कि फॉर्मुला मिल्क पीने वाले बच्चों में इसकी अधिक आशंका होती है। इस स्थिति में तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
लाल रंग का मल होने का मतलब हो सकता है कि बच्चे के मल में खून आ रहा है। साथ ही यह इंफेक्शन का संकेत भी हो सकता है। इसलिए शिशु का मल लाल रंग का दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें। हां, अगर बच्चे इतना बड़ा हो गया है कि वो चुकंदर या अन्य लाल रंग की चीजें खा रहा है, तो मल के लाल रंग का होने का कारण ये खाद्य पदार्थ भी हो सकते हैं।
शिशु को पाचन से जुड़ी समस्या होने पर उसके मल का रंग सफेद हो सकता है। साथ ही ज्यादा दूध व पाउडर मिल्क के चलते भी बच्चे हल्के सफेद रंग की पॉटी कर सकते हैं। लेकिन फिर भी इस बात को हल्के में नहीं लेना चाहिए। आप इस स्थिति में एक बार डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
मल का रंग सलेटी होना असामान्य माना जाता है। कहा जाता है कि पेनक्रिया, लिवर या फिर गाल ब्लैडर में दिक्कत होने पर शिशु के मल का रंग ग्रे हो सकता है। हां, अगर शिशु को कोई सप्लीमेंट दिया जा रहा हो, तो मल का ग्रे होने का कारण वह सप्लीमेंट भी हो सकता है। मगर एक बार चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
शिशु के मल का रंग उसकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में बहुत कुछ कहता है। इसलिए, माँ अपने बच्चे के हर छोटे संकेत को ही नहीं बल्कि उसकी पॉटी तक को चेक करती है। ताकि वो यह सुनिश्चित कर सके कि उसका बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है। इसलिए, मल में असामान्य परिवर्तन दिखते ही हर माँ परेशान हो जाती है। आपको कभी कोई असमान्यता लगे, तो परेशान होने की जगह बेझिझक डॉक्टर से संपर्क करें।
काली लैट्रिन आने के लक्षण क्या हैं?
काली लैट्रिन आने के लक्षण कुछ नहीं होते हैं। काला मल अपने आप में ही किसी बीमारी का लक्षण हो सकता है। हालांकि, काला मल शिशु का पहला मल कहलाता है, जिसे मेकोनियम मल के नाम से भी जाना जाता है। लंबे समय तक काला मल आने का मतलब हो सकता है कि शिशु के पाचन तंत्र में दिक्कत है, इसलिए डॉक्टर से संपर्क करें।
बेबी को ग्रीन पॉटी का मतलब (potty meaning in hindi) क्या है?
बेबी को ग्रीन पॉटी का मतलब हो सकता है कि शिशु को एलर्जी हो गई है या उसके पेट में कीड़े हैं। साथ ही हरे रंग के खाद्य पदार्थ के कारण भी मल का रंग हरा हो सकता है।
शिशुओं में हरे रंग मल के लिए घरेलू उपचार
मल का रंग कैसा होना चाहिए?
मल का रंग हल्के भूरे से लेकर पीला होना सामान्य है। हालांकि, मल का रंग अधिकतर खानपान पर निर्भर करता है।
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