27 Apr 2018 | 1 min Read
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जैसे जैसे बच्चा पेट में बड़ा होता जाता है, सोते समय सही मुद्रा खोज पाना उतना ही मुश्किल हो जाता है। बढ़ता हुआ पेट भी समस्या बन जाता है क्यूंकि फिर पेट के बल सोना संभव नहीं होता। इसी चक्कर में कई रातें बिना नींद के गुज़ारनी पड़ जाती हैं। इन सब वजहों से दिमाग में एक ही ख्याल आता है कि क्या कोई ऐसी मुद्रा है जिसमे ढंग से नींद भी आ जाए और बच्चे को कोई नुकसान भी ना हो ? तो इसका जवाब है हाँ, आज हम प्रेगनेंसी स्लीपिंग पोजीशंस (Pregnancy sleeping positions) के बारे में आपको बताने जा रहे हैं –
सबसे अच्छी और सुरक्षित मुद्रा होगी कि आप बायीं तरह लेट कर सोएं यानी कि शरीर के भार अपने बायीं ओर डालें। इस मुद्रा में सोने से गर्भनाल अथवा प्लेसेंटा में रक्त का प्रवाह बराबर रहता है जिससे कि आपके शिशु को सही मात्रा में रक्त और पौष्टिक तत्व मिलते रहते हैं। इससे आपके लिवर पर भार भी कम पड़ता है।
बायीं ओर भार डाल कर सोएं और एक तकिया अपने घुटन के बीच और दूसरा तकिया अपने पेट के नीचे रखें। आइए, अब विस्तार से जानते हैं कि प्रत्येक तिमाही में सोने के दौरान कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए –
पहली तिमाही के दौरान, एक महिला के लिए उस स्थिति में सोना सुरक्षित होता है, जिसमें वह खुद को सहज महसूस करती है, चाहे वह उसकी पीठ, बाजू या पेट के बल सोना क्यों न हो। पहली तिमाही में गर्भाशय नींद में बाधा डालने के लिए अधिक बड़ा नहीं हुआ होता है। हालांकि, हार्मोनल परिवर्तन,क्रेविंग्स, मतली और गर्भावस्था के अन्य लक्षण नींद को थोड़ा कठिन बना सकते हैं।
जैसे ही एक महिला दूसरे और तीसरे तिमाही में पहुंचती है, उसे बाईं ओर करवट लेकर सोना चाहिए। इस पोजीशन में रहने से लीवर पर दबाव डाले बिना गर्भाशय में रक्त का प्रवाह सामान्य बना रहता है।
तीसरी तिमाही में जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कूल्हे या पीठ दर्द का अनुभव होता है, वह सोते समय घुटनों के बीच एक या दो तकिए रखने या घुटनों को मोड़कर राहत महसूस कर सकती है। जो महिला दाहिनी ओर करवट लेकर सोना पसंद करती है, वह इस पोजीशन को अपना सकती है, क्योंकि कोई वैज्ञानिक शोध यह नहीं कहता कि दाहिने ओर सोना खतरनाक है। शरीर को सहारा देने के लिए बॉडी पिलो या प्रेग्नेंसी पिलो का इस्तेमाल करना बहुत मददगार हो सकता है।
तो इस लेख में आपने जाना कि गर्भावस्था के दौरान कैसे सोना चाहिए। गर्भावस्था में महिला को बहुत सी चीज़ों का ख्याल रखना पड़ता है ताकि वह एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सके। इस दौरान आराम और नींद की जितनी जरूरत होती है उतनी ही जरूरत होती है स्वच्छ आहार और तरल की। इसलिए साफ़-सुथरा और संतुलित भोजन लें और गर्भावस्था को यथासंभव आनन्दपूर्ण बनाएं।
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