प्रेग्नेंसी टेस्ट कब और कैसे करना चाहिए?

प्रेग्नेंसी टेस्ट कब और कैसे करना चाहिए?

14 Feb 2022 | 1 min Read

Mousumi Dutta

Author | 387 Articles

प्रेग्नेंसी की खुशखबरी पाने के लिए प्रेग्नेंसी टेस्ट करना जरूरी होता है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर प्रेग्नेंसी टेस्ट कब करना चाहिए? प्रेग्नेंसी टेस्ट करने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? क्या प्रेग्नेंसी टेस्ट का रिजल्ट हमेशा सही आता है? ऐसे बहुत सारे सवालों का जवाब आपके मन में घुम रहा होगा। तो फिर बिना देर किए आपकी चिंता को कम करने की कोशिश करते हैं।

प्रेग्नेंसी टेस्ट क्या होता है?

प्रेग्नेंसी टेस्ट आपके ब्लड या यूरिन में विशेष प्रकार के हॉर्मोन की जाँच करके यह बताता है कि आप प्रेग्नेंट है कि नहीं। इस हॉर्मोन को ह्युमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (human chorionic gonadotropin (HCG))(एचसीजी) कहा जाता है। यूटेरस में फर्टिलाइज्ड एग के जाने के बाद एचसीजी नाम का वुमन प्लासेंटा बनता है और यह सिर्फ गर्भावस्था के दौरान ही बनता है।

मासिक धर्मचक्र के एक हफ्ता देर होने के बाद यूरिन प्रेग्नेंसी टेस्ट से ही एचसीजी हॉर्मोन का पता लगाया जाता है। इस तरह का टेस्ट लैब में या होम टेस्ट किट के माध्यम से किया जाता है।

गर्भावस्था के लक्षण

पीरियड्स मिस करने से ही प्रेग्नेंट हैं, यह मान नहीं सकते। सेक्स करने के एक-दो हफ्ते बाद ही टेस्ट करने पर सही रिजल्ट मिल सकता है। पीरियड मिस करने के साथ अगर आपको ये लक्षण भी महसूस हो रहे हैं तो प्रेग्नेंसी टेस्ट करने की बात सोच सकते हैं।

  • पीरियड मिस होना- पीरियड्स स्ट्रेस, डायट या एक्सरसाइज आदि कारणों से भी पीरियड मिस हो जाता है। यहाँ तक कि कभी-कभी प्रेग्नेंट होने पर भी स्पॉटिंग या लाइट ब्लीडिंग होता है। ऐसा होने पर डॉक्टर को जरूर बताएं।
  • पेट में दर्द- जैसा पीरियड के दौरान क्रैम्प होता है, ठीक उसी तरह गर्भधारण करने के शुरूआती दौर में पेट के एक कोने में क्रैम्प जैसा महसूस हो सकता है।
  • ब्रेस्ट में सूजन और दर्द- गर्भधारण करने पर शरीर में हार्मोन का बदलाव होता है, जिसके कारण ब्रेस्ट में ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है। इस अवस्था में ब्रेस्ट में सूजन और आकार में बदलाव होने लगता है। इसके अलावा निप्पल के चारों तरफ की त्वचा का रंग गहरा हो जाता है।
  • उल्टी- प्रेग्नेंसी के शुरुआत में उल्टी जैसा महसूस होता है।
  • थकान- प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में हार्मोनल बदलाव होता है, जिसके कारण थकान जैसा महसूस होता रहता है।
  • बार-बार पेशाब आना- यह भी गर्भधारण के शुरुआती लक्षणों में शुमार होता है।

प्रेग्नेंसी के बारे में जानने के लिए कब प्रेग्नेंसी टेस्ट करनी चाहिए?

प्रेग्नेंसी टेस्ट करने के लिए पीरियड मिस होने के 1-2 हफ्ते के बाद टेस्ट करना सही समय होता है। जब गर्भाशय में अंडा और शुक्राणु का मिलन हो जाता है और गर्भधारण करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तभी एससीजी हार्मोन का बनना शुरू हो जाता है। जब इस हार्मोन का स्तर बढ़ जाने पर टेस्ट करने पर पॉजिटिव रिजल्ट मिलता है।

प्रेग्नेंसी टेस्ट कितने प्रकार के होते हैं?

वैसे तो मूल रूप से दो ही प्रकार का ही होता है- ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट। लेकिन ब्लड टेस्ट भी दो प्रकार के होते हैं- क्वालिटेटिव और क्वानटिटेटिव।

प्रेग्नेंसी किट का इस्तेमाल कैसे करें?

प्रेग्नेंसी किट का इस्तेमाल करने से पहले पैकेट पर लिखे निर्देश को पढ़े। एक साफ कप में मूत्र एकत्र कर लें। अगर किट में स्टिक पर मूत्र के बूंदें डालनी है तो डालें या स्टिक को मूत्र में डुबोना है तो करें। उसके बाद 5-10 मिनट तक इंतजार करें। ज्यादातर स्टिक में लाल या नीले रंग की लाइनें उभरकर आती हैं। एक बात का ध्यान रखें कि टेस्ट करने के लिए सुबह के पहले मूत्र का ही इस्तेमाल करें क्योंकि इसी समय एचसीजी की मात्रा ज्यादा होती है।

प्रेग्नेंसी किट से जुड़ी जरूरी बातें

  • किट का इस्तेमाल करने से पहले एक्पायरी डेट जरूर देख लें। डेट एक्सपायर हो जाने पर रिजल्ट गलत आ सकता है।
  • टेस्ट करने से पहले ज्यादा पानी न पिएं, इससे एचएसजी का स्तर कम हो जाता है।
  • टेस्ट का रिजल्ट यदि निगेटिव आता है तो फिर से 4-5 दिनों के बाद करना चाहिए, क्योंकि बाद में एचएसजी का स्तर बढ़ जाता है।

अब तक आपको पता चल ही गया होगा कि प्रेग्नेंसी टेस्ट करने के सही समय क्या होता है और टेस्ट करते समय कौन-कौन से जरूरी बातों को याद रखना चाहिए।

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